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जल को शुद्ध करने के प्रमुख उपाय/विधियाँ

आरओ सिस्टम (Reverse Osiriosis System)

  • इसके द्वारा साफ पानी में बैक्टीरिया होने की आशंका बहुत कम हो जाती है । यह पेयजल को साफ करने का उच्चस्तरीय तरीका है ।
  • आरओ सिस्टम 220 से 240 पीपीएम युक्त पानी को स्वच्छ कर 25 पीपीएम तक ले आता है । यह गंदगी, धूल, बैक्टीरिया आदि से पानी को मुक्त कर शुद्ध व मीठा बनाता है ।

यूवी रेडिएशन सिस्टम (Ultraviolet Radiation Systent)

  • यूवी रेडिएशन सिस्टम से पानी में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए अव्यवस्थित हो जाते  हैं, साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं ।
  • युवी प्यूरीफायर्स तीन-चार प्यूरीफिकेशन चरणों में आते हैं, जिनमें से हीट फिल्टर यानी प्री-फिल्टर प्रक्रिया और सक्रिय कार्बन काटिरेज प्रमुख हैं ।
  • यह पानी से काई, कार्बनिक कणों, घुलनशील ठोस पदार्थ, बैक्टीरिया विषाणु और भारी तत्वों को बाहर करता है ।

क्लोरीनेशन (Chlorination)

  • बलोरीनेशन के जरिये भी पानी साफ किया जाता है । विभिन्न नगरों एवं सरकारी उपक्रमों में जलापूर्ति के दौरान यह प्रक्रिया अपनाई जाती है ।
  • इससे पानी शुद्ध होने के साथ उसके रंग और सुगंध में भी परिवर्तन आ जाता है । यह पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है ।

हैलोजन टैबलेट (Halogen Tablets)

  • आकस्मिक परिस्थितियों में पानी साफ करने के लिये हैलोजन टैबलेट उपयोगी होती है । पानी में इसे कितनी मात्रा में डाला जाए, यह पानी की मात्रा और हैलोजन टैबलेट के ब्रांड के ऊपर निर्भर करता  है। गोलियाँ जल में पूरी तरह घुलनशील होती हैं।

 

पेयजल में विषैले तत्त्व

  • पेयजल में कुछ विषैले तत्त्व भी पाए जाते हैं, जैसे-कैडमियम, लेड, पारा, निकेल, सिल्वर,आर्सेनिक आदि । जल में लोहा, मैंगनीज, कैल्शियम, बेरियम, क्रोमियम, कॉपर, सीलियम, यूरेनियम, बोरॉन के साथ ही नाइट्रेट, सल्फेट, बोरेट, कार्बोनेट आदि की अधिकता से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । जल में मैग्नीशियम व सल्फेट की अधिकता से आँतों में जलन पैदा होती है । वहीं, फ्लोराइड से 'फ्लोरोसिस' नाम की बीमारी हो जाती है ।
  • इसी तरह कृषि क्षेत्र में प्रयोग की जाने वाली कीटनाशी दवाइयों एवं उर्वरकों के अंश हमारे जलस्रोतों को प्रदूषित करते हैं ।

 

पेयजल के मानक

  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पेयजल ऐसा होना चाहिये जो स्वच्छ, शीतल, स्वादयुक्त तथा गंधरहित हो तथा उसका पीएच मान 7 से 8.5  के मध्य हो ।

जल में आर्सेनिक का मान्य स्तर

  • भारतीय मानक ब्यूरो ने प्रति लीटर जल में 0.05 मिलीग्राम आर्सेनिक को मानव जीवन के लिये सुरक्षित माना है, जबकि डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पेय जल के प्रति एक लीटर में अधिकतम 0.01 मिलीग्राम आर्सेनिक की मौजूदगी को एक हद तक सुरक्षित मानक माना है । |

आर्सेनिक से खतरे

  • जल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होने पर कैंसर, लीवर फाइब्रोसिस, हाइपर पिगमेंटेशन जैसी लाइलाज बीमारियाँ हो जाती हैं ।

 

 

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