- जल है, तो जीवन है । रासायनिक रूप में जल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का यौगिक है । महासागर, सागर, झीलें, नदियाँ, ग्लेशियर इत्यादि को मिलकर पृथ्वी के लगभग 71 प्रतिशत भू - भाग पर जल का विस्तार है ।
- जल संसाधनों का कुशलतम उपयोग तथा अधिकतम विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है इसके दो प्रमुख स्रोत हैं-
1. धरातलीय जल 2 . भूमिगत जल
धरातलीय जल संसाधन (Surface Water Resources)
- धरातलीय जल या सतही जल पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला पानी है जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में ढाल का अनुसरण करते हुए सरिताओं या नदियों में प्रवाहित हो रहा है अथवा पोखरों, तालाबों और झीलों या मीठे पानी की आर्द्रभूमियों में स्थित है।
- किसी जलसम्भर में सतह के जल की प्राकृतिक रूप से वर्षण और हिमनदों के पिघलने से पूर्ति होती है और वह प्राकृतिक रूप से ही महासागरों में निर्वाह, सतह से वाष्पीकरण और पृथ्वी के नीचे की ओर रिसाव के द्वारा खो जाता है।धरातलीय जल के प्रमुख स्रोत नदियाँ, झीलें, जलाशय इत्यादि हैं ।
- मैदानी नदियाँ सिंचाई, पेयजल के लिये विशेष रूप से उपयोगी हैं । प्राप्त आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार देश का लगभग 50 % से ज्यादा सिंचित क्षेत्र उत्तर प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु के अंतर्गत आता है ।
- हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों तथा प्रायद्वीपीय पठार से प्रवाहित होने वाली नदियाँ विशेष रूप से जलविद्युत उत्पादन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं । इन नदियों पर विभिन्न बहउद्देशीय परियोजनाएं चलाई जा रही है ।
भूमिगत जल संसाधन (Ground Water Resources)
'भूमिगत जल से अभिप्राय है वह पानी जो चट्टानों और मिट्टी के माध्यम से रिसकर धरातल की निचली सतहों में भंडारित होता रहता है । जिन चट्टानों में यह जल संगृहीत होता है उन्हें जलीय चट्टानी परत कहते हैं । देश के विभिन्न भू-भागों में भौम जल का विकास समान रूप से नहीं हुआ है कुछ क्षेत्रों में भौम जल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं तो वहीं कुछ क्षेत्रों में इनकी कमी है ।
भौम जल के विभिन्न कार्यों में अति दोहन से भी इसमें कमी आई है । भूमिगत जल संसाधन अनेक कारकों से प्रभावित होते हैं, जिसमें जलवायवीय दशाएँ, उच्चावच, भूगर्भिक संरचना तथा जलीय दशाएँ सम्मिलित हैं ।