भूगर्भिक हलचलों द्वारा भूपटलीय भ्रंशन तथा वलन होता है, जिसका प्रमुख कारण तनावमूलक तथा संपीडन बल है। तनावमूलक बल से प्रायः भ्रंशों का निर्माण होता है जबकि संपीडन बल के कारण वलन एंव क्षेपण की प्रक्रियाएं होती हैं, जिसके फलस्वरूप भूकम्प की उत्पत्ति होती है।
उत्तरी अमेरिका में जुआन-डी-फूका भ्रंश तथा अफ्रीका की महान भ्रंश घाटी इसके उदाहरण हैं।
ज्वालामुखीक्रिया
ज्वालामुखी तथा भूकम्प की क्रिया एक-दूसरे से अंतर्संबंधित हैं। प्रत्येक ज्वालामुखी क्रिया के साथ सामान्यतः भूकम्प की उत्पत्ति होती है तथा इस भूकम्प की तीव्रता ज्वालामुखी क्रिया की तीव्रता पर निर्भर करती है। किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक भूकम्पीय क्रिया के साथ ज्वालामुखी क्रिया भी हो।
गैसोंकाफैलाव
भूपटल के नीचे गैसों के प्रसार से सामान्यतः भूकम्प का अनुभव होता है। जब भूपटल के नीचे जल पहुंचता है तो पृथ्वी के आंतरिक भाग में अत्यधिक ताप के कारण उसके गैस और वाष्प में बदलने से आयतन में वृद्धि होती है तथा वह ऊपर की ओर गतिशील होता है। इससे भूकम्प की उत्पत्ति होती है।
प्लेट विवर्तनिकी
इस संकल्पना के अनुसार, स्थल भाग कठोर प्लेटों से निर्मित, गतिमान अवस्था में विद्यमान है और इन्हीं रचनात्मक, विनाशात्मक तथा संरक्षी प्लेटों के सीमांतों के सहारे भूकम्पीय घटनाएं घटित होती हैं।
मानवजनितकारण
खनन क्रिया जिसमें जीवाश्म ईंधन एवं अन्य खनन शामिल हैं।
भूमिगत जल का निष्कर्षण
बांधों का निर्माण
परमाणु विस्फोट एवं भूमिगत परमाणु परीक्षण आदि।
अन्यकारक
उल्कापात
पृथ्वी के घूर्णन या परिभ्रमण के अन्तर्गत अन्य आकाशीय पिण्डों के पृथ्वी पर प्रभाव से होने वाली हलचल।