पृथ्वी के अन्तर्जात एवं बहिर्जात बलों के कारण ऊर्जा का निष्कासन होता है, जिसके कारण तरंगों की उत्पत्ति होती है, जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी पर कंपन उत्पन्न करती हैं, इसे ही 'भूकम्प' कहते हैं।
वस्तुतः प्राकृतिक घटनाओं से पृथ्वी के कंपन को ही 'भूकम्प' कहते हैं लेकिन कभी-कभी मानवीय कारणों से भी भूकम्प आते रहते हैं, जैसे- परमाणु परीक्षण द्वारा उत्पन्न भूकम्प, भूमिगत खानों की छतों के गिरने से उत्पन्न भूकम्प आदि।
वह स्थान जहां से ऊर्जा तरंगों की उत्पत्ति होती है, उसे भूकम्प का 'उद्गम केन्द्र' या 'भूकम्प मूल' कहते हैं। वह बिन्दु जहां पर भूकम्पी तरंगें सबसे पहले पहुंचती हैं, उसे भूकम्प का 'अधिकेन्द्र' (Epicenter) कहते हैं, जो उद्गम केन्द्र के ठीक ऊपर या 90 डिग्री के कोण पर स्थित होता है।
पृथ्वी की सतह पर भूकम्प के समान तीव्रता वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा को 'समभूकम्पी रेखा' कहते हैं।
भूकम्प आने से पहले वायुमण्डल में रेडॉन गैसों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। अतः रेडॉन गैस की मात्रा में वृद्धि उस क्षेत्र-विशेष में भूकम्प आने का संकेत होता है।