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ज्वालामुखी के प्रकार

विभिन्न आधारों पर ज्वालामुखी को अधोलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया गया है। यथा-

 सक्रियता के आधार पर

 ज्वालामुखी उद्गारों के आधार पर ज्वालामुखी को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है। यथा-

सक्रिय ज्वालामुखी

  • ऐसे ज्वालामुखी जिनके मुख से सदैव धूल, धुआं, वाष्प, गैसें, राख चट्टानखण्ड, लावा, आदि पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं। सक्रिय ज्वालामुखी कहलाते हैं। वर्तमान में इनकी संख्या 500 से अधिक है। भारत में एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अण्डमान निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप में हैं।

विश्व के कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी निम्न हैं- 

  • हवाई द्वीप - किलायू
  • पापुआ न्यूगिनी- लांगिला एवं बागाना
  • इण्डोनेशिया - समेरू (जावा), मेरापी (सर्वाधिक सक्रिय), दुकोनो
  • तात्रा द्वीप (वनुआतु) - यासुर (विगत् 800 वर्षों से सक्रिय)
  • सिसली द्वीप का - माउण्ट एटना
  • लेपारी द्वीप का - स्ट्राम्बोली
  • इक्वेडोर का - कोटोपैक्सी
  • अंटार्कटिका का - माउण्ट इरेबस
  • अंडमान निकोबार के - बैरन द्वीप में
  • हवाई द्वीप का - मौनालोवा
  • अर्जेन्टीना - चिली की सीमा पर स्थित - ओजस  डेल सालाडो
  • अंटार्कटिका-रास द्वीप पर स्थित-माउण्टऐरिब

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प्रसुप्त ज्वालामुखी

 ऐसे ज्वालामुखी जिसमें निकट अतीत में उद्गार नहीं हुआ है, लेकिन जिसमें कभी भी उद्गार हो सकता है। प्रसुप्त ज्वालामुखी की संज्ञा से जाने जाते हैं। जैसे-

  • इटली का - विसुवियस
  • जापान का - फ्यूजीयामा
  • इंडोनेशिया का - क्राकाताओ 
  • अण्डमान निकोबार का - नारकोंडम द्वीप में

 शांत ज्वालामुखी

 वैसा ज्वालामुखी जिसमें ऐतिहासिक काल से कोई उद्गार नहीं हुआ है और जिसमें पुनः उद्गार होने की संभावना नहीं हो। जैसे-

  • ईरान का - कोह सुल्तान एवं देवबंद
  • म्यांमार का - पोपा
  • तंजानिया का - किलीमंजारो
  • इक्वेडोर का - चिम्बराजो
  • एण्डीज पर्वत श्रेणी का - एकांकागुआ

उद्गार के अनुसार

 ज्वालामुखी का उद्गार प्रायः दो रूपों में होता है।

केन्द्रीय उद्भेदन

  •  जब ज्वालामुखी उद्भेदन किसी एक केन्द्रीय मुख से भारी धमाके के साथ होता है तो उसे केन्द्रीय उद्भेदन कहते हैं। यह विनाशात्मक प्लेटो के किनारों के सहारे होता है। ये कई प्रकार के होते हैं। जैसे -हवाई तुल्य, स्ट्राम्बोली तुल्य, वलकेनियन तुल्य, पीलियन तुल्य तथा विसुवियस तुल्य।
  • इनमें पीलियन प्रकार के ज्वालामुखी सबसे अधिक विनाशकारी होते हैं तथा इनका उद्गार सबसे अधिक विस्फोटक एवं भयंकर होता है। जैसे-पश्चिमी द्वीपसमूह के मार्टिनिक द्वीप का पीली ज्वालामुखी,  सुण्डा जलडमरूमध्य का क्राकाटोवा ज्वालामुखी तथा फिलपाइन द्वीप समूह का माउण्ट ताल का भयंकर उद्भेदन।

दरारी उद्भेदन

  •  भू-गर्भिक हलचलों से भूपर्पटी की शैलों में दरारें पड़ जाती हैं। इन दरारों से लावा धरातल पर प्रवाहित होकर निकलता है जिसे दरारी उद्भेदन कहते हैं। यह रचनात्मक प्लेट-किनारों के सहारे होता है। इस प्रकार के उद्गार क्रिटैशियस युग में बड़े पैमाने पर हुए थे।लावा पठारों का निर्माण हुआ था।

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