ज्वालामुखी का विश्व वितरण
प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर प्लेट किनारों के परिवेश में ज्वालामुखियों के क्षेत्र का वितरण वर्तमान समय में सर्वाधिक मान्य संकल्पना है। विश्व स्तर पर अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी प्लेट की सीमाओं के साथ संबंधित हैं। लगभग 15 प्रतिशत ज्वालामुखी रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे तथा 80 प्रतिशत विनाशी प्लेट किनारों के सहारे पाये जाते हैं। इनके अलावा कुछ ज्वालामुखी का उद्भेदन प्लेट के आन्तरिक भाग में भी होता है।
परिप्रशान्त महासागरीय मेखला
- प्रशान्त महासागर में स्थित द्वीपों और उसके चारों ओर तटीय भाग में ज्वालामुखियों की संख्या अत्यधिक पायी जाती है। यहां विनाशात्मक प्लेट किनारों के सहारे ज्वालामुखी मिलते हैं। विश्व के ज्वालामुखियों का लगभग 2/3 भाग प्रशान्त महासागर के दोनों तटीय भागों, द्वीप चापों तथा समुद्री द्वीपों के सहारे पाया जाता है। इसे 'प्रशान्त महासागर का अग्निवलय' कहते हैं।
- यह पेटी अंटार्कटिका के माउन्ट इरेबस से शुरू होकर दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वतमाला व उत्तर अमेरिका के राकी पर्वतमाला का अनुसरण करते हुए अलास्का, पूर्वी रूस, जापान, फिलीपींस आदि द्वीपों से होते हुए 'मध्य महाद्वीपीय पेटी' में मिल जाती हैं।
मध्य महाद्वीपीय पेटी
- इस मेखला के अधिकांश ज्वालामुखी विनाशी प्लेट किनारों के सहारे आते हैं। क्योंकि यूरेशियन प्लेट तथा अफ्रीकरन एवं इण्डियन प्लेट का अभिसरण होता है। यह यूरेशिया महाद्वीप के मध्यवर्ती भागों में नवीन वलित पर्वतों के सहारे पूर्व से पश्चिम को फैली हुई है।
- यह आइसलैंड से प्रारंभ होकर स्काटलैंड होती हुई अफ्रीका के कैमरून पर्वत की ओर जाती है। कनारी द्वीप पर इसकी दो शाखाएं हो जाती हैं-एक पश्चिम की ओर और दूसरी पूर्व की ओर। पूर्व की ओर वाली शाखा स्पेन, इटली, सिसली, तुर्की, काकेशिया, आरमेनिया, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, म्यांमार और मलेशिया होती हुई इण्डोनेशिया तक चली जाती है। इसके अतिरिक्त अरब में जार्डन की भ्रंश घाटी एवं लाल सागर होती हुई एक श्रृंखला अफ्रीका की विशाल भ्रंश घाटी तक फैली हुई है। पश्चिम की ओर वाली शाखा कनारी द्वीप से पश्चिमी द्वीप तक जाती है। यूरोप की राइन भ्रंश घाटी में अनेक विलुप्त ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
मध्य अटलांटिक मेखला
- इसे मध्य महासागरीय कटक ज्वालामुखी मेखला की संज्ञा से भी अभिहित किया जाता है। यह मेखला रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे मिलती है। जहां पर दो प्लेटों के अपसरण के कारण दरार या भ्रंशन का निर्माण होता है। इस भ्रंशन का प्रभाव एस्थिनोस्फीयर तक होता है, जहां से पेरिडोटाइट तथा बेसाल्ट मैग्मा ऊपर उठते हैं। इनके शीतलन से नवीन क्रस्ट का निर्माण होता रहता है।
- कटक के पास नवीनतम लावा होता है तथा इससे (कटक से) जितना दूर हटते जाते हैं, लावा उतना ही प्राचीन होता जाता है। इस तरह की ज्वालामुखी क्रिया सबसे अधिक मध्य अटलांटिक कटक के सहारे होती है। आइसलैण्ड इस मेखला का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्ण सक्रिय क्षेत्र है, जहां लाकी, हेकला एवं हेल्गाफेल का उद्गार महत्वपूर्ण है। लेसर एण्टलीज (दक्षिणी अटलांटिक महासागर), एजोर द्वीप तथा सेण्ट हेलना (उत्तरी अटलांटिक महासागर) आदि इस मेखला के अन्य प्रमुख ज्वालामुखी क्षेत्र हैं।
अन्तरा प्लेट ज्वालामुखी
- महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट के अन्दर भी ज्वालामुखी क्रियायें होती हैं। जिसका कारण माइक्रो प्लेट गतिविधियों एवं गर्भ स्थल संकल्पना को माना जाता है, क्योंकि प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत द्वारा अभी तक इनका स्पष्टीकरण नहीं हो पाया है। इस मेखला का एक प्रमुख श्रृंखला हवाई द्वीप से प्रारंभ होकर उत्तर पश्चिम दिशा में कमचटका तक चली गई है।
- स्मरणीय है कि मात्र हवाई द्वीप पर ही ज्वालामुखी उद्भेदन द्वारा भूकम्प आते हैं तथा सम्पूर्ण श्रृंखला भूकम्प रहित है। इसी कारण इसे भूकम्प रहित कटक कहते हैं।
- महासागरीय प्लेटों के अलावा महाद्वीपीय प्लेटों के आन्तरिक भागों में भी ज्वालामुखी का विशेषकर दरारी उद्भेदन होता है। उदाहरण के लिए कोलम्बिया पठार, भारतीय प्रायद्वीपीय पठार तथा ब्राजील एवं पराग्वे का पराना पठार आदि का निर्माण दरारी उद्भेदन के फलस्वरूप हुआ था। ध्यातव्य है कि पूर्वी अफ्रीका के भूभ्रंश घाटी क्षेत्र के ज्वालामुखी भी अन्तरा प्लेट ज्वालामुखियों के उदाहरण हैं।
ज्वालामुखी उद्गार के अन्य प्रमुख भू-स्वरूप
गेसर एवं गर्म जलस्रोत
- 'गेसर गर्म जलस्रोत होते हैं, जिनसे अवकाश के बाद गर्म जल तथा वाष्प तीव्रता से निकला करती हैं। कभी-कभी इनकी ऊँचाई सैकड़ों फीट तक होती है जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क का ओल्ड फेथफुल तथा एक्सेल्सियर गेसर।
- यद्यपि गेसर तथा गर्म जलस्रोत समान होते हैं, परन्तु एक से नहीं होते हैं। गर्म जलस्रोत से वाष्प तथा गर्म जल निरंतर निकला करता है। इसकी क्रिया में किसी प्रकार का अवकाश नहीं पाया जाता है। पुनश्च गेसर का संबंध ज्वालामुखी क्रिया से है जबकि गर्म जल स्रोत का कारण पृथ्वी के आन्तरिक भाग से संबंधित होना है।
धुँआरे
- ऐसा छिद्र जिसके सहारे गैस तथा वाष्प निकला करती है, 'धुँआरे' की संज्ञा से जाना जाता है, जिसका सीधा संबंध ज्वालामुखी क्रिया से होता है। वास्तव में धुँआरे ज्वालामुखी की सक्रियता के अंतिम लक्षण माने जाते हैं।
- गेसर एवं गर्म जलस्रोत की अपेक्षा धुँआरे द्वारा निस्सृत वाष्प का तापमान बहुत अधिक होता है। गैस एवं वाष्प का यह तापमान 6450 सेंटीग्रेड तक होता है। सभी धुँआरे से निस्सृत पदार्थों में वाष्प 98-99 प्रतिशत तक होता है। अन्य गैसों में CO2, HCl, H2S, आक्सीजन एवं अमोनिया के अलावा महत्वपूर्ण खनिज गंधक भी पायी जाती है। ऐसे धुँआरे भी है जिनसे अधिक मात्रा में गंधक का धुँआ निकलता है, इन्हें 'सोल्फतारा' की उपमा दी गई हैं। विश्व के प्रमुख धुँआरों में अलास्का की ''दस सहस्त्र धूम घाटी'' ईरान का कोह सुल्तान धुँआरा तथा न्यूजीलैंड की प्लेण्टी की खाड़ी में 'ह्वाइट टापू का धुँआरा' आदि प्रसिद्ध है।
- धुँआरों का आर्थिक उपयोग भी होता है। इनसे गंधक एवं बोरिस एसिड प्राप्त किया जाता है। गर्म वाष्प तथा गैसों को एकत्रित कर इटली तथा यू.एस.ए. में बिजली उत्पन्न की जाती है।
काल्डेरा
- इसका निर्माण क्रेटर के धंसाव अथवा ज्वालामुखी के विस्फोटक उद्भेदन से होता है। जिसका व्यास, क्रेटर तथा ज्वालामुखी छिद्र से बहुत अधिक होता है। जैसे-आसो (जापान) नामक काल्डेरा।
- अत्यधिक विस्तृत काल्डेरा को सुपर काल्डेरा कहते हैं। जैसे-लेक टोवा (सुमात्रा) तथा क्रेटरलेक (यू.एस.ए.)।
- जब काल्डेरा के अन्दर पुनः ज्वालामुखी उद्गार होता है, तो नये शंकु की रचना होती है। इन शंकुओं के विस्फोटक विनाश से घोंसलादार काल्डेरा का निर्माण होता है।
विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी
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नाम
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देश
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नाम
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देश
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जापान
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फिलीपींस
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फिलीपींस
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फिलीपींस
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रास द्वीप (अंटार्कटिका)
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तंजानिया
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सिसली (इटली)
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कीनिया
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मार्टिनीक द्वीप
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कैमरून (अफ्रीका)
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आइसलैंड
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इंडोनेशिया
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नेपल्स की खाड़ी (इटली)
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यू.एस.ए. (कास्कड श्रेणी)
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लिपारी द्वीप (भूमध्यसागर)
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ग्वाटेमाला
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आइसलैंड
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- साकुरा-जिमा, सुवानोसे-जिमा
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जापान
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अलास्का (यू.एस.ए.)
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कोस्टारिका
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यू.एस.ए.
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आइसलैण्ड (डेनमार्क)
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यू.एस.ए.
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सोलोमन द्वीप
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इक्वेडोर
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रूस
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अर्जेंटीना-चिली
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चिली
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इक्वेडोर
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न्यूजीलैण्ड
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मैक्सिको
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मैक्सिको
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मैक्सिको
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जापान
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हवाईद्वीप
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न्यूजीलैण्ड
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ईरान
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चिली
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ईरान
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कास्टेड श्रेणी (यू.एस.ए.)
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म्यांमार (बर्मा)
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जार्जिया
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महाद्वीपों की सर्वोच्च ज्वालामुखी चोटियां
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चोटी
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महाद्वीप
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पर्वत श्रेणी
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देश
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दक्षिण अमेरिका
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एंडीज
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चिली/अर्जेंटीना
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अफ्रीका
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किलिमंजारो
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तंजानिया
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यूरोप
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काकेशस
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रूस
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उत्तरी अमेरिका
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ट्रांस मेक्सिकन ज्वालामुखी बेल्ट
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मेक्सिको
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एशिया
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एल्बोर्ज
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ईरान
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आस्ट्रेलिया
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सदर्न उच्च भूमि
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पापुआ न्यूगिनी
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अंटार्कटिका
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एक्जीक्यूटिव कमेटी श्रेणी
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