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अगस्त प्रस्ताव

अगस्त प्रस्ताव अक्टूबर-नवम्बर,1939 में प्रांतीय मंत्रिमंडलों ने त्यागपत्र दे दिया और इसके बाद भी कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और केंद्र में एक राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की मांग को अंग्रेजों के समक्ष रखा, परंतु ब्रिटिश सरकार ने इस मांग की अवहेलना कर दी भारतीयों की मांग की जगह लॉर्ड लिनलिथगो ने 8 अगस्त , 1940 को एक प्रस्ताव रखा, जो  अगस्त प्रस्ताव  के नाम से जाना जाता है इस प्रस्ताव में निम्न प्रावधान थे-

  • भारत के लिये डोमिनियन स्टेट्स मुख्य लक्ष्य
  • भारतीयों को सम्मिलित कर युद्ध सलाहकार परिषद की स्थापना
  • वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार
  • युद्ध के पश्चात् संविधान सभा का गठन किया जायेगा, जिसमें मुख्यतया भारतीय अपने सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक धारणाओं के अनुरूप संविधान के निर्माण की रूपरेखा सुनिश्चित करेंगे संविधान ऐसा होगा कि रक्षा, अल्पसंख्यकों के हित, राज्यों से संघियां तथा अखिल भारतीय सेवायें इत्यादि मुद्दों पर भारतीयों के अधिकार का पूर्ण ध्यान रखा  जायेगा
  • अल्पसंख्यकों को आश्वस्त किया गया कि सरकार ऐसी किसी संस्था को शासन नहीं सौंपगी, जिसके विरुद्ध सशक्त मत हो
  •  उक्त आधारों पर भारतीय, सरकार को सहयोग प्रदान करेंगे

वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो का यह प्रस्ताव भारतीयों में भ्रामक स्थिति पैदा करने वाला था इस प्रस्ताव द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की जा रही थी और उसके द्वारा भारतीयों में साम्प्रदायिकता का जहर घोला जा रहा था इसलिए  कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया मुस्लिम लीग ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया क्योंकि इस प्रस्ताव में पृथक् पाकिस्तान को स्वीकृति नहीं दी गई थी।

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