वेवेल योजना
द्वितीय विश्वयुद्व में ब्रिटेन तथा उसके सहयोगी देशों के विजयी घोषित किए जाने के उपरान्त भारत के तात्कालिक वायसराय लार्ड वेवेल द्वारा 25 जून, 1945 को शिमला में भारतीय नेताओं का एक सम्मेलन आयोजित किया गया । शिमला सम्मेलन में वेवेल द्वारा एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया । इस प्रस्ताव में कहा गया कि जब तक भारतीय स्वयं अपना संविधान नही बना लेते तब तक अंतरिम व्यवस्था के रूप में 'अधिशासी परिषद’ का भारतीयकरण कर दिया जायेगा। किंतु इसमें भारतीय राजनेताओं को, मुसलमानों तथा सवर्ण हिन्दुओं के बीच समानता के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जायेगा तथा उसमें दलित वर्गो एवं सिखों का एक-एक प्रतिनिधि होगा। गवर्नर जनरल तथा सेनाध्यक्ष के अतिरिक्त सभी पद भारतीयों को सौप दिये जायेंगे।
मुस्लिम लीग ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया क्योंकि इसमें विभाजन के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नही किया गया था । कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि इसमें हिन्दुओं और मुसलमानों के प्रतिनिधित्व का अनुपात समान था। अंततः वार्ता विफल रही।
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