कैबिनेट मिशन,1946
युद्वोपरान्त 1945 में ब्रिटेन में आम चुनाव हुए, जिसमें लेबर पार्टी की जीत हुई । नयी सरकार द्वारा भारतीय समस्याओं के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया गया । प्रधानमंत्री एटली के संबन्ध में 14 मार्च, 1946 को लोकसभा में यह घोषणा की कि भारतीयों को स्वतंत्र होने का अधिकार है अतः इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए कैबिनेट मिशन को भारत भेजा गया । मिशन मार्च 1946 से मई,1946 तक भारत में रहा ।
कैबिनेट मिशन के प्रमुख सुझाव निम्नलिखित थे-
- ब्रिटिश भारतीय प्रांतो और देशी रियासतों को मिलाकर भारत संघ का गठन किया जाना चाहिए।
- भारतीय संघ को विदेशी मामले, रक्षा और संचार साधनों की देखभाल करने और इस सन्दर्भ में कर लगाने का अधिकार होना चाहिए।
- प्रस्तावित संघ की कार्यकारिणी और विधानमंडल में ब्रिटिश भारत और देशी रियासतों के प्रतिनिधि लिए जाने चाहिए।
- प्रांतो को केन्द्रीय विषयों को छोड़कर सभी विषयों में पूर्ण स्वायत्तता मिलनी चाहिए।
- अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों के पास हों ।
- कैबिनेट मिशन का मुख्य कार्य संविधान सभा का गठन कर भारतीयों द्वारा संविधान बनाने के कार्य को प्रारम्भ करना था ।
- पाकिस्तान द्वारा एक अलग प्रभुतासम्पन्न राज्य बनाये जाने की मांग को कैबिनेट मिशन ने अस्वीकार कर दिया । साथ ही अंग्रेजों के असंगठित फेडरेशन की योजना को भी इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि उसमें संवैधानिक असुविधाएं तथा विसंगतियां थी।