• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



पेट्रो रसायन उद्योग 

पेट्रो रसायन उद्योग भारत में वस्त्र, लौह-इस्पात और इंजीनियरिंग उद्योगों के पश्चात् रसायन उद्योग चौथा बड़ा समूह है । इससे अन्य उद्योगो, जैसे लौह-इस्पात, वस्त्र, कागज, कृत्रिम रखर प्लास्टिक, पेंट, साबुन, उर्वरक, औषधि, कीटनाशक और रंजक उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति होती है ।

इसके अंतर्गत निम्नलिखित उद्योग सम्मिलित किये जाते हैं-

  • पेट्रो रसायन उद्योग
  • उर्वरक उद्योग
  • प्लास्टिक उद्योग
  • औषधि निर्माण उद्योग
  • सीमेंट उद्योग
  • चमड़ा उद्योग
  •  काँच उद्योग  

 

 

पेट्रो रसायन उद्योग

  • यह ऐसे रसायन तथा यौगिक हैं, जिन्हें मुख्यतः पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त किया जाता है ।
  • इनका उपयोग कृत्रिम रेशा, प्लास्टिक, कृत्रिम रबर, रंग-रोगन कीटनाशक, डिटरजेंट और औषधि निर्माण में किया जाता है ।
  • देश में पेट्रो रसायन उद्योग की शुरुआत निजी क्षेत्र में सन् 1966 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ट्रॉम्बे के संयंत्र की स्थापना से हुई । सार्वजनिक क्षेत्र का प्रथम कारखाना इंडियन पेट्रोकेमिकल लिमिटेड वड़ोदरा में वर्ष 1969 में स्थापित किया गया ।

उर्वरक उद्योग

  • भारत में रासायनिक उर्वरक उद्योग की शुरुआत सन् 1906 में रानीपेट (तमिलनाडु) में सुपर फॉस्फेट संयंत्र की स्थापना से    हुई । इस उद्योग की वास्तविक प्रगति सन् 1951 में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा सिंदरी (झारखंड) के कारखाने की स्थापना से हुई ।
  •  रसायनिक उर्वरक उद्योग में कच्चे माल के तौर पर नेफ्था, कोक-ओवन गैस, विद्युत अपघटनी हाइड्रोजन, फॉस्फेट, गंधक, जिप्सम आदि का इस्तेमाल किया जाता है । नाइट्रोजनी उर्वरक बनाने वाले 70 प्रतिशत से अधिक कारखाने नेफ्था का उपयोग करते हैं ।
  • भारत में सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा उर्वरकों का उत्पादन किया जाता है । भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के निगम एवं उनके संरक्षण में स्थापित प्रमुख उर्वरक कारखाने निम्नलिखित हैं-

       भारतीय उर्वरक निगम (1961)

  • सिंदरी (झारखंड)
  • रामागुंडम (तेलंगाना)
  • गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
  • कोरबा (छत्तीसगढ़)
  • तालचेर (ओडिशा)

हिंदुस्तान उर्वरक निगम (1978)

  • बरौनी (बिहार)
  • दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल)
  • नामरूप (असम)
  • हल्दिया (पश्चिम बंगाल)

  भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी निगम (इफको), 1967

  • कलोल एवं कांडला-गुजरात
  • फूलपुर-उत्तर प्रदेश
  • आँवला-उत्तर प्रदेश
  • पारादीप-ओडिशा

 

  कृषक भारती को-ऑपरेटिव (1980)

  •  हजीरा-गुजरात 
  • वाराणसी-उत्तर प्रदेश
  • लांजा-महाराष्ट्र

 

नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (1974)

  • नांगल एवं भटिंडा-पंजाब
  • गुना-मध्य प्रदेश ।
  • पानीपत-हरियाणा

 

प्लास्टिक उद्योग

  • प्लास्टिक उद्योग को 'सनराइज इंडस्ट्री' भी कहा जाता है ।
  • अपने गैर संक्षारकता और आर्द्रतारोधी गुणों के कारण इसे पैकिंग, रसायनों के संग्रहण, टेक्सटाइल, भवन निर्माण, वाहन निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, खनन, प्रतिरक्षा, अंतरिक्ष, सागरीय इंजीनियरिंग, खेलकूद इत्यादि कार्यों में सम्मिलित किया जाता है ।
  • तापीय गुणों के आधार पर इसे दो वर्गों में बाँटा जाता है- 
    • थमोप्लास्टिक
    • थर्मोसेट

 

औषधि निर्माण उद्योग 

  • वर्तमान में जिस प्रकार से बीमारियों एवं उनकी तीव्रता में वृद्धि होती जा रही है, इसके चलते औषधि निर्माण उद्योग तीव्रता से वृद्धि करने वाला उद्योग बनकर उभरा है । 
  • इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड देश का प्रमुख औषधि निर्माण प्रतिष्ठान है । इसके संयंत्र ऋषिकेश, हैदराबाद, गुरुग्राम, चेन्नई, भुवनेश्वर एवं मुजफ्फरपुर में हैं ।
  • हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, पिंपरी (पुणे) की तीन इकाइयाँ नागपुर, बंगलूरू तथा इंफाल में कार्यरत हैं ।

 

सीमेंट उद्योग 

  • सीमेंट आधारभूत संरचना के निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण घटक है । इसका आविष्कार सन् 1824 में इंग्लैंड के पोर्टलैंड स्थान पर किया गया था ।
  • भारत में पहली बार समुद्री सीपियों का उपयोग कर चेन्नई में 1904 में सीमेंट बनाने का असफल प्रयास किया गया लेकिन सफल संयत्र की शुरुआत 1912-13 में इंडियन सीमेंट कंपनी के पोरबंदर संयंत्र की स्थापना से हुई ।
  • सीमेंट भारहासी उद्योग की श्रेणी में आता है । इसके लिये चूना पत्थर, कोयला, जिप्सम, बॉक्साइट तथा चीका की आवश्यकता पड़ती है ।
  • प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत में इस उद्योग को प्रोत्साहन मिला । ध्यातव्य है कि सीमेंट उद्योग की स्थापना में परिवहन एवं कच्चा माल प्रमुख भूमिका निभाते हैं ।  

 

सीमेंट उत्पादक राज्य                                           स्थान

  • राजस्थान   -                                       लाखेरी, सवाई माधोपुर, उदयपुर, सिरोही  ब्यावर, मोरक, चित्तौड़गढ़,

                                                              नागौर ।

  • मध्य प्रदेश -                                       सतना, कटनी, जबलपुर, नीमच, मैह, कैमोर, रतलाम,

                                                             अकालतारा, बनमोर 

  • छत्तीसगढ़   -                                       जामुल, दुर्ग, भाटापारा, तिल्दा, मांढर
  • गुजरात       -                                       द्वारका, पोरबंदर, रानावाव, बड़ोदरा, भावनगर
  • उत्तर प्रदेश -                                       चुर्क, डाल्ला, चुनार

 

चमड़ा उद्योग 

  • भारत में प्राचीन काल से चमड़ा और चमड़े के सामान बनाने की  परंपरा रही है ।
  • चमड़ा उद्योग संगठित एवं गैर-संगठित दोनों क्षेत्रों में फैला हुआ है । इसमें मुख्यतः कमजोर वर्ग-अल्पसंख्यक एवं महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है । भारत में चमड़ा मुख्यत: मरे हुए एवं वध किये गए पशुओं से प्राप्त किया जाता है । 
  • चमड़े का शोधन मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है-
    • पहले तरीके में अवारम, कोन्नाम, बबूल, वाटिल आदि की छालों द्वारा चर्मशोधन किया जाता है ।
    • दूसरे तरीके में बाइक्रोमेट, क्रोमियम सल्फेट, अमोनियम आदि रसायनों के साथ अंडे की जर्दी, जैतून के तेल एवं मछली के तेल आदि को मिलाकर आर्द्र विधि से शोधन किया जाता है ।
    • मुख्य चर्म शोधनशालाएँ कानपुर, आगरा, कोलकाता, मुंबई, टोंक, कपूरथला, बेलागावी, भोपाल इत्यादि में हैं ।

 

 

काँच उद्योग 

  • काँच बनाने की कला भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलित रही है, परंतु आधुनिक तरीके से काँच बनाने के प्रथम कारखाने की स्थापना सन् 1870 में 'झेलम' में हुई जो असफल रहा, प्रथम सफलता वर्ष 1941 में मिली । द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस उद्योग को अत्यधिक प्रोत्साहन मिला ।
  • काँच उद्योग में कच्चे माल के तौर पर सिलिका रेत, सोडा ऐश, फेल्सपार और चूना पत्थर का उपयोग किया जाता है ।
  • अच्छे किस्म की सिलिका रेत राजमहल पहाड़ियों के मंगलाहार और पाथरघट्टा क्षेत्र, इलाहाबाद के लोहागरा, बरगढ़, शंकरगढ़ (उत्तर प्रदेश), संखेडा (गुजरात) इत्यादि से प्राप्त की जाती है ।

 

काँच उद्योग के प्रमुख केंद्र

उत्तर प्रदेश-फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, बहजोई (मुरादाबाद), हाथरस, हिरंगऊ (आगरा), सासनी (अलीगढ़), बालावली (बिजनौर) नैनी (इलाहाबाद) ।

पश्चिम बंगाल-कोलकाता, हावड़ा, बेलगछिया, बेलूर, रिशरा, दमदम, रानीगंज, आसनसोल

महाराष्ट्र-मुंबई, तालेगाँव (पुणे), सतारा, नागपुर

गुजरात-भरूच, वड़ोदरा, मोरबी, पंचमहल

 

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....