वस्त्र उद्योग
वस्त्र उद्योग भारत का सबसे प्राचीन उद्योग होने के साथ-साथ देश का सबसे संगठित और व्यापक उद्योग भी है देश में रोजगार उपलब्ध कराने में वस्त्र उद्योग, कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है । वस्त्र उद्योग के अंतर्गत सूती, रेशमी, ऊनी एवं जूट आदि उद्योगों को सम्मिलित किया जाता है ।
सूती वस्त्र उद्योग
- भारत में प्रथम आधुनिक सूती कपड़ा मिल सन् 1818 में कोलकाता के पास 'फोर्ट ग्लोस्टर' में लगायी गई थी लेकिन यह सफल नहीं हो सकी । इसके बाद सन् 1854 में एक सफल प्रयास के रूप में 'कावसजी डाबर' द्वारा मुंबई में एकआधुनिक सूती वस्त्र,उद्योग की नींव रखी गई ।
- कच्चे माल की उपलब्धता, बाजार की निकटता, पूंजी, बंदरगाह, सस्ते एवं कुशल श्रमिकों की उपलब्धता आदि सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति को निर्धारित करने वाले प्रमुख कारक हैं ।
- वर्तमान में तमिलनाडु भारत में सर्वाधिक सूती वस्त्र मिलों वाला राज्य है ।
सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र
महाराष्ट्र- मुंबई, शोलापुर, पुणे, नागपुर, जलगाँव, वर्धा, अकोला, कोल्हापुर, सांगली, सतारा आदि ।
गुजरात- अहमदाबाद, बड़ोदरा, सूरत, भरूच, राजकोट, भावनगर, पोरबंदर, कलोल,नादियाड, मोरवी, वीरमगाँव आदि ।
तमिलनाडु- कोयंबटूर, चेन्नई, मदुरै, तिरुनलवेली, तूथूकुडि, सेलम, तंजावुर, रामनाथपुरम, विरुधनगर, उदुमलपेट, पोल्लाची आदि ।
उत्तर प्रदेश- कानपुर, मुरादाबाद, मोदीनगर, हाथरस, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा, रामपुर, इटावा, गाज़ियाबाद, मेरठ, वाराणसी आदि ।
पश्चिम बंगाल- कोलकाता, हावड़ा, सोदेपुर, सेरामपुर, श्यामनगर, मुर्शिदाबाद, घुसुरी, सैकिया, पानीहाटी, मौरीग्राम, फुलेश्वर आदि ।
पंजाब - लुधियाना, अमृतसर, फगवाड़ा आदि ।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत का कॉटनोपोलिस - मुंबई
भारत का मैनचेस्टर - अहमदाबाद
पूर्व का बोस्टन - अहमदाबाद
दक्षिण भारत का मैनचेस्टर - कोयंबटूर
उत्तर भारत का मैनचेस्टर - कानपुर
रेशम वस्त्र उद्योग
- भारत में रेशमी वस्त्रों के उत्पादन की एक लंबी परंपरा रही है । भारत रेशम उत्पादन के क्षेत्र में चीन के बाद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है । रेशम की प्रमुख पाँचो वाणिज्यिक किस्मों का उत्पादन (मलबरी, मूगा, इरी, ट्रॉपिकल टसर एवं ओक)करने वाला भारत एक मात्र देश है । ध्यातव्य है कि मूंगा रेशम के उत्पादन में भारत को एकाधिकार प्राप्त है ।
- आरंभिक समय में भारत में रेशमी वस्त्रों का निर्माण कुटीर उद्योग रूप में होता था, जिसका निर्यात मध्य पूर्व एवं यूरोप के अनेक देशो को होता था । लेकिन आधुनिक भारत की पहली रेशम मिल की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सन् 1832 में 'हावड़ा' में की गई थी ।
रेशम वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र
कर्नाटक- मैसूर, चन्नपाटना, बंगलह बेलगाँव, कोलार इत्यादि ।
आंध्र प्रदेश-धर्मावरम, नारायणपेट रायादुर्गम, नीरूगट्टुपन्ली आदि ।
पश्चिम बंगाल- विष्णपर बम्बा रखनाधर मुरिटाबाट इत्यादि
तमिलनाडु- सेलम, तंजावुर, कांचीपुरम, कुंवकोणम्, अर्णी, तिरुचिरापल्ली, कोयंबटूर आदि ।
पंजाब-अमृतसर, गुरुदासपुर, होशियारपुर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला आदि ।
अन्य
जम्मू-कश्मीर (अनंतनाग, श्रीनगर, बारामूला, रियासी)
मध्य प्रदेश (इंदौर, भोपाल, ग्वालियर)
उत्तर प्रदेश (वाराणसी, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, शाहजहाँपुर)
बिहार (भागलपुर, गया, पटना)
ऊनी वस्त्र उद्योग
- भारत में ऊनी वस्त्र उद्योग अपने आरंभिक समय में कुटीर उद्योग के रूप में जाना जाता था । इसके अंतर्गत कंबल, कालीन, शॉले, नमदा, लोई आदि का निर्माण किया जाता था।
- भारत में पहली आधुनिक ऊनी वस्त्र मिल की स्थापना वर्ष 1876 में ‘कानपुर में की गई थी तथा दूसरे वर्ष (पंजाब) में स्थापित की गई थी ।
ऊँनी वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र
पंजाब-धारीवाल, अमृतसर, लुधियाना, चंडीगढ़
महाराष्ट्र- मुंबई, ठाणे, जलगाँव, अंबरनाथ, अमलनेर ।
उत्तर प्रदेश- कानपुर, मोदीनगर, शाहजहाँपुर, मिर्जापुर, भदोही
ऊँनी कालीन, उद्योग के प्रमुख केंद्र
पंजाब- अमृतसर, लुधियाना
उत्तर प्रदेश- गोपीगंज (भदोही), शाहजहाँपुर एवं आगरा ।
जूट उद्योग
- जूट उद्योग एक कच्चा माल आधारित उद्योग है, यही कारण है कि जूट के अधिकांश उद्योग पश्चिम बंगाल के जूट उत्पादक क्षेत्रों के समीप स्थापित किये गए हैं । फलत: पश्चिम बंगाल देश में सर्वाधिक जूट सामानों का उत्पादन करता है ।
- जूट तथा जूट से निर्मित वस्तुओं के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है तथा भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है ।
- भारत का प्रथम जूट कारखाना 'जॉर्ज ऑकलैंड' द्वारा सन् 1855 में 'रिशरा' (कोलकाता के पास) में स्थापित किया गया था ।
- पश्चिम बंगाल के बाद, बिहार देश में दूसरा सर्वाधिक जूट का उत्पादन करने वाला राज्य है ।
प्रमुख जूट उद्योग केंद्र
पश्चिम बंगाल- टीटागढ़, जगतदल, हावड़ा, बजबज, भद्रेश्वर, रिशरा, बाली, घुसुडी, सेरामपुर, शिबपुर, श्यामनगर, कमरहट्टी, उलूबेरिया
आंध्र प्रदेश- इलुरू, गुंटूर, बोबिली, बिहारः कटिहार, समस्तीपुर, दरभंगा
उत्तर प्रदेश- कानपुर, गोरखपुर (सहजनवा)
महत्वपूर्ण तथ्य
- पशमीना ऊँन की प्राप्ति होती है - बकरी से ।
- अंगोरा ऊँन की प्राप्ति होती है - खरगोश से ।
- भारत का प्रथम आधुनिक ऊँन कारखाना स्थापित किया गया था कानपुर में ।
- ऊँन का सर्वाधिक उत्पादक राज्य- कर्नाटक ।
- रेशम का सर्वाधिक उत्पादक राज्य- कर्नाटक
- जूट का सर्वाधिक उत्पादक राज्य- पश्चिम बंगाल ।
- केंद्रीय रेशम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान अवस्थित है- मैसूर व बरहामपुर ।
- संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन-विएना अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन- जेनेवा।
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चीनी उद्योग
- चीनी उद्योग कच्चा माल (गन्ना) आधारित भार ह्रासी उद्योग है, | जिसे सामान्यतः गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के निकट ही स्थापित किया जाता है क्योंकि चीनी उद्योग में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल (गन्ना) भारी होता है, जिसे दूर तक ले जाने से इसकी गुणवत्ता घटने लगती है ।
- चीनी के उत्पादन में भारत, ब्राजील के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है तथा उपभोक्ता के रूप में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है ।
- पहले सफल वैक्यूम पैन प्रक्रिया द्वारा चीनी संयंत्र की स्थापना वर्ष 1904 में बिहार के ‘मारोहरा' (सारण) में हुई थी ।
- भारत में वस्त्र उद्योग के बाद चीनी उद्योग दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है ।
प्रमुख चीनी उत्पादक केंद्र
महाराष्ट्र - अहमदनगर (प्रमुख केंद्र), कोल्हापुर, शोलापुर, पुणे आदि ।
उत्तर प्रदेश- मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, देवरिया, गोरखपुर, बस्ती गोण्डा, फैजाबाद आदि ।
तमिलनाडु- कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली . कुड्डालोर, रामनाथपुरम आदि ।
कर्नाटक- बेलगाँव, बेल्लारी, शिमोगा, चित्रदुर्ग, बीजापुर आदि ।
बिहार- चंपारण, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, भागलपुर आदि ।
- गन्ने का सर्वाधिक उत्पादक राज्य- उत्तर प्रदेश ।
- गन्ने का सर्वाधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादकता वाला राज्य- तमिलनाडु ।
- सर्वाधिक चीनी कारखाने- महाराष्ट्र में ।
- गन्ना उत्पादन के लिये सर्वाधिक आदर्श जलवायु क्षेत्र- दक्षिण भारत ।
- विश्व में चीनी उत्पादक अग्रणी देश (अवरोही क़म)- ब्राज़ील, भारत, चीन, थाईलैंड, पाकिस्तान ।
- भारत में सर्वाधिक चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र ।
इंजीनियरिंग उद्योग
- इंजीनियरिंग उद्योग के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की पूंजीगत, टिकाऊ वस्तुओं, मशीनों तथा यंत्रों का निर्माण किया जाता है ।
- इन उद्योगों में पिन, नट-बोल्ट तथा हल्की मशीनों से लेकर वायुयान, रेल के डिब्बे, कृषि, खनन एवं निर्माण क्षेत्रों के लिये आवश्यक उपकरणों आदि का निर्माण किया जाता है ।
- भारत में इंजीनियरिंग उद्योगों का विकास स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हुआ, इससे पहले देश पूर्णतः आयातों पर निर्भर था ।
- इन उद्योगों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-
- मशीनरी उद्योग
- विद्युत उपकरण उद्योग
- मोटरगाड़ी उद्योग
मशीनरी उद्योग (Machinery Industry)
- वर्ष 1958 में हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड की राँची में स्थापना की गई । इसके अंतर्गत तीन संयंत्र कार्यरत हैं -
- भारी मशीनरी निर्माण संयंत्र,
- भारी मशीनी उपकरण संयंत्र,
- फाउंडरी भट्टी संयंत्र ।
- इन इकाइयों में सूती वस्त्र, जूट, चीनी, सीमेंट, कागज, कोयला, खनन, संरचनात्मक निर्माण आदि उद्योगों के लिये मशीनों का निर्माण किया जाता है ।
भारी मशीनों का निर्माण करने वाली प्रमुख इकाइयां
- हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड-बंगलूरू (1953)
- भारी इंजीनियरिंग निगम लिमिटेड-राँची (1958)
- खनन एवं संबद्ध मशीनरी निगम लिमिटेड-दुर्गापुर (1965)
- भारत हैवी प्लेट्स एंड वैसल्स लिमिटेड-विशाखापत्तनम (1966)
- तुंगभद्रा स्टील प्रोडक्ट्स लिमिटेड-(मैसूर (कर्नाटक) व आंध्रप्रदेश ] (1960)।
- नेशनल इंस्ट्रमेंट्स लिमिटेड-कोलकाता
विद्युत उपकरण उद्योग
- इस उद्योग के अंतर्गत विद्युत उत्पादन, संप्रेषण, वितरण और उपयोग हेतु प्रयुक्त उपकरण, जैसे-जनरेटर, बॉयलर, टरबाइन, स्विच गियर, ट्रांसफॉर्मर एवं अन्य बिजली के उपकरणों का निर्माण किया जाता है ।
- भारत में प्रमुख रूप से अधिकांश उत्पाद भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा निर्मित किये जाते हैं, जिसकी स्थापना वर्ष 1964 में की गई थी ।
- वर्तमान में इसकी सात इकाइयाँ- भोपाल, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), रामचंद्रपुरम (हैदराबाद), जम्मू, बंगलूरू, झाँसी और हरिद्वार में कार्यरत हैं ।
मोटर गाड़ी उद्योग
- इसके अंतर्गत व्यावसायिक वाहनों, यात्री वाहनों, दुपहिया और तिपहिया वाहनों एवं उससे संबंधित अन्य उपकरण, कलपुर्जे आदि का निर्माण किया जाता है ।
- भारत में स्वतंत्रता से पूर्व पुर्जा को आयात कर वाहनों का निर्माण किया जाता था । स्वतंत्रता के बाद स्वदेशी उत्पादन प्रारंभ हुआ एवं वर्ष 1991 में मोटर वाहन उद्योग को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया ।
- भारत में मोटर गाड़ी उद्योग मुख्यत: बड़े शहरों के आस-पास संकेद्रित है, जहाँ आधारभूत संरचना एवं बाजार दोनों सुगमता से प्राप्त हो जाते हैं । इसके प्रमुख केंद्र दिल्ली, मुंबई, पुणे, लखनऊ, कोलकाता मैसूर, जमशेदपुर हैं ।
- विश्व में दुपहिया वाहन बनाने में भारत का दूसरा स्थान है, जबकि सबसे अधिक ट्रैक्टर भारत में ही बनाए जाते हैं ।
रेल उपकरण उद्योग
- इसके अंतर्गत रेल इंजन, डिब्बा और वैगन आदि का निर्माण किया जाता है । भारत में इस क्षेत्र में सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र सम्मिलित रूप से संलग्न हैं ।
- भारत रेल संबंधित उपकरणों को बनाने में लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त कर चुका है । देश की सबसे पहली कंपनी 1921 में झारखंड के सिंहभूम जिले में 'पेनिनसुलर लोकोमोटिव कंपनी' के नाम से स्थापित की गई ।
- भारतीय रेलवे में डिजाइन तथा विकास से संबंधित कार्य रिसर्च डिजाइस एंड स्टैंडर्स ऑर्गेनाइजेशन, लखनऊ में होता है तथा सेल (SAIL) और भारतीय रेलवे के बीच स्टील व लोहे की आपूर्ति तथा अन्य प्रकार की सहायता के लिये समझौता हुआ है ।
- इसके अलावा उत्तर प्रदेश के रायबरेली में आधुनिक कोच फैक्ट्री की स्थापना की गई एवं हरियाणा के सोनीपत में भी रेल कोच फैक्ट्री प्रस्तावित है ।
- बड़ोदरा (गुजरात) स्थित 'भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी' को देश के पहले रेल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है ।
कंपनी
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उत्पाद
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स्थान
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चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स
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इंजन (डीजल एवं विद्युत्)
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बर्धमान (पश्चिम बंगाल)
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टाटा लोकोमोटिव एंड इंजीनियरिंग कंपनी (टेल्को)
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वाष्प इंजन, बायलर
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जमशेदपुर
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डीजल लोकोमोटिव वर्क्स
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डीजल इंजन
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वाराणसी
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डीजल लोको मॉडनाइजेशन वर्क्स
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डीजल इंजन निर्माण एवं सुधार
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पटियाला
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इंटीग्रल कोच फैक्ट्री
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रेल डिब्बे
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पेरांबूर (चेन्नई)
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रेल कोच फैक्ट्री
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रेल कोच (सवारी)
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कपूरथला
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भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड
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रेल डिब्बे
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बंगलुरू
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जलयान निर्माण उद्योग
- भारत में जलयान निर्माण उद्योग क्षेत्र में लगभग 8 सार्वजनिक एवं 19 निजी क्षेत्र की कंपनियों संलग्न है । हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम (पूर्व नाम-सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी-1941, जिसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 1952 में अपने अधिकार में ले लिया गया) की स्थापना 1952 में हुई ।
- कोचीन शिपयार्ड भारत का आधुनिक तथा सबसे बड़ा पोत प्रांगण है, जिसका निर्माण वर्ष 1972 में जापान के सहयोग से हुआ ।
- हुगली डॉक एंड पोर्ट इंजीनियर्स लिमिटेड की दो इकाइयाँ सैकिया और नाज़िरगंज में अवस्थित हैं ।
- मुंबई स्थित मझगाँव डॉक भारतीय नौसेना के लिये जहाज, फ्रिगेट पनडुब्बियाँ आदि का निर्माण करता है । इसकी इकाइयाँ न्हावाशेवा एवं मंगलौर में हैं ।
वायुयान निर्माण उद्योग
- भारत में वायुयान निर्माण उद्योग का स्वामित्व पूर्ण रूप से सरकार के हाथों में है, जिसका संचालन बंगलुरू स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया जाता है ।
- सर्वप्रथम वर्ष 1940 में निजी स्वामित्व के अंतर्गत 'हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड' की स्थापना हुई, जिसका अधिग्रहण सरकार द्वारा किया गया एवं 1964 में उसका नाम परिवर्तित कर 'हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड' (HAL) कर दिया गया ।
- HAL अपने चार यूनिट के साथ उत्पादन का कार्य करता है । इसके 13 डिवीजन हैं जो 6 राज्यों में स्थित हैं । इनमें नासिक, कोरापुट हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ एवं बंगलूरू डिवीजन प्रमुख हैं ।
- HAL द्वारा लड़ाकू विमान, एयरोस्पेस क्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, इंजन, सुखोई मिग एवं जगुआर जैसे उन्नत विमानों का निर्माण किया जाता है ।
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग
- भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की शुरुआत 50 के दशक में रेडियो सेटों के उत्पादन से मानी जाती है । वर्ष 1948 में 'इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज' की स्थापना बंगलूरू में की गई ।
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बंगलूरू की स्थापना वर्ष 1954 में आधारभूत संचार उपकरणों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु की गई थी लेकिन अब यह अन्य उपकरणों, जैसे- रक्षा उपकरण आदि का निर्माण कार्य भी करती है । इसकी नौ इकाइयाँ - बंगलुरू, गाजियाबाद, पुणे, पंचकुला चेन्नई, हैदराबाद, कोटद्वार, मछलीपत्तनम एवं नवी मुंबई में स्थित हैं ।
- वर्ष 1967 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद की स्थापना की गई, जो मॉड्यूलर सिस्टम, वायु यातायात संचालन, टैंक संचार प्रणाली, चिकित्सा, कृषि एवं अन्य औद्योगिक क्षेत्रों हेतु उपकरणों का निर्माण करता है ।
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
- भारत में इस उद्योग का विकास उदारीकरण के बाद से माना जाता है ; तब से लेकर वर्तमान में भारत ने सॉफ्टवेयर विश्व बाजार अपनी साख बना कर रखी है ।
- भारत की आर्थिक वृद्धि दर में इस उद्योग की भागीदारी सर्वाधिक रही है । भारत में 3,000 से अधिक सॉफ्टवेयर कंपनियाँ हैं, जिनमें विप्रो, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी आदि प्रमुख हैं ।
- भारत में माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स का विकास वर्ष 1980 के दशक में प्रारंभ हुआ । वास्तव में सूचना प्रौद्योगिकी एक विचार आधारित उद्योग है ।
- बंगलूरू सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रमुख केंद्र है जिसे ' सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया' कहा जाता है
फुटलूज उद्योग (Footloose Industry)
ऐसे उद्योगों को फूटलूज उद्योग की संज्ञा दी जाती है जो किसी विशेष स्थान से कोई लाभ नहीं लेते अर्थात् ऐसे उद्योग को किसी भी स्थान पर स्थापित किया जा सकता है एवं उन पर संसाधन या परिवहन जैसे कारकों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । सॉफ्टवेयर उद्योगों को फूटलूज उद्योग की श्रेणी में शामिल किया जाता है
भारत की महारत्न और नवरत्न कंपनियाँ
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महारत्न कंपनियाँ (8)
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)
- गेल (इंडिया) लिमिटेड (GAIL)
- नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC)
- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)
- कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL)
- ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ONGC)
- भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL)
नवरत्न कंपनियाँ (16)
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)
- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CONCOR)
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
- महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL)
- नेशनल बिल्डिॉस कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (NBCC)
- एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLC)
- पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (PFC)
- राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL)
- शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SCI)
- इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL)
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL)
- नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO)
- एनएमडीसी लिमिटेड (NMDC)
- ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL)
- पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (POWERGRID)
- रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (REC)
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महारत्न तथा नवरत्न कंपनियों के अतिरिक्त 74 अन्य कंपनियों को 'मिनिरत्न' का दर्जा प्राप्त है ।
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अन्य उद्योग
अन्य उद्योगों के अंतर्गत मुख्यतः वन आधारित (लाख / लाह, कागज, दियासलाई आदि), खाद्य एवं संबद्ध (तंबाकू, एल्कोहल) तथा पर्यटन आदि उद्योगों को शामिल किया जाता है ।
कागज उद्योग
- देश में आधुनिक तरीके से कागज बनाने की प्रथम मिल की स्थापना वर्ष 1812 में पश्चिम बंगाल के 'सेरामपुर' में हुई, जो असफल रही । प्रथम सफल कागज कारखाना वर्ष 1867 में कोलकाता के बालीगंज में लगाया गया ।
- उत्तर प्रदेश में प्रथम कागज कारखाना वर्ष 1879 में लखनऊ में लगाया गया था । इसके अतिरिक्त सहारनपुर, मेरठ, मोदीनगर में भी कागज बनाने के कारखाने हैं ।
- इस उद्योग में सेलुलोज लुगदी को कच्चेमाल के रूप में प्रयोग किया जाता है जो मुख्यतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से प्राप्त की जाती है ।
कागज उद्योग के प्रमुख केंद्र
- पश्चिम बंगाल - टीटागढ़, रानीगंज, त्रिवेणी, कोलकाता, चंद्रहाटी एवं सेवड़ाफुली
- आंध्र प्रदेश - राजमुंद्री, तिरुपति
- तेलंगाना - बोधन, सिरपुर-कागज नगर
- ओडिशा - ब्रजराज नगर, रायगाडा
- मध्य प्रदेश - इंदौर, भोपाल, शहडोल, सीहोर
अख़बारी कागज
- भारत में अखबारी कागज की पहली मिल मध्य प्रदेश के 'नेपानगर' में 1947 में लगाई गई थी।
- इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लि. मैसूर पेपर मिल्स (भद्रावती) और तमिलनाडु न्यूज़प्रिंट एंड पेपर लिमिटेड (वेल्लोर) देश में अखबारी कागज के प्रमुख उत्पादक हैं ।
- भारत, विशेष गुणवत्ता वाले कागज (करेंसी प्रिंटिंग पेपर, आइवरी बोर्ड, वेजिटेबल पार्चमेंट पेपर आदि) का आयात करता है ।
लाख उद्योग
- लाख 'केरिया लाका' (Kerria Lacca) नामक कीड़े से प्राप्त किया जाता है । यह कीड़ा, पीपल, पलाश, बबूल, गूलर, खैर आदि वृक्षों की कोमल टहनियों के रस से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकालता है जिसे 'लाख' कहते हैं ।
- भारत में लाख का लगभग आधा उत्पादन झारखंड में होता है एवं इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय, असम, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र में भी लाख उद्योग स्थित हैं ।
- लाख का उपयोग विद्युत इंसुलेशन, जल निरोधक स्याही, चूड़ियाँ, खिलौने, जूते, चित्रकारी, पेंसिल आदि के निर्माण में किया जाता है ।
दियासलाई उद्योग
- भारत में प्रथम दियासलाई कारखाने की स्थापना वर्ष 1921 में 'अहमदाबाद' (गुजरात) में हुई । यह एक प्रमुख कुटीर उद्योग उत्पाद है ।
- दियासलाई बनाने में लकडी, कागज, पोटेशियम क्लोरेट एवं फॉस्फोरस को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है । अंडमान-निकोबार और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों से सलाई, पोपलर, पपीता, सुंदरी एवं धूप आदि वृक्षों की मुलायम लकड़ियाँ इसके लिये अच्छी मानी जाती हैं ।
- देश में दियासलाई उद्योग का संकेद्रण पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र तमिलनाडु (शिवकाशी), गुजरात, उत्तर प्रदेश (बरेली, मेरठ, इलाहाबाद, वाराणसी), आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ एवं राजस्थान आदि राज्यों में है ।
तंबाकू उद्योग
- भारत में तंबाकू पुर्तगालियों की देन है; वर्ष 1508 के बाद इसकी खेती व उत्पादन कार्य शुरू किया गया ।
- देश में आंध्र प्रदेश तंबाकू के उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है । जबकि गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार एवं महाराष्ट्र अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं ।
- भारत में तम्बाकू का लगभग 48 प्रतिशत भाग चवर्ण तम्बाकू के तौर पर, लगभग 38 प्रतिशत बीड़ी उद्योग में एवं 14 प्रतिशत सिगरेट निर्माण में प्रयोग किया जाता है ।
- बीडी बनाने में तम्बाकू एवं तेंदू कचनाल के पत्तों का प्रयोग किया जाता है । तेदू एवं कचनाल के पत्तों की आपूर्ति छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा तमिलनाडु के जंगलों से होती है ।
- आंध्र प्रदेश के 'राजमुदी' में केंद्रीय तम्बाकू अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई है ।