धात्विक उद्योग
विभिन्न धात्विक खनिजों को आधार बनाकर स्थापित किये गए उद्योगों को धात्विक उद्योग की संज्ञा दी जाती है, जैसे-लौह-इस्पात उद्योग, ताबा उद्योग आदि ।
लौह-इस्पात उद्योग (Iron-Steel Industry)
- इसे आधारभूत उद्योगों की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि यह अन्य उद्योगों के विकास को सुदृढ़ता प्रदान करता है । इस उद्योग की स्थापना परिवहन लागत को ध्यान में रखकर की जाती है क्योंकि यह एक भार ह्रासी उद्योग है ।
- इस उद्योग में प्रमुख कच्चेमाल के रूप में लौह अयस्क, कोकिंग कोयला, चूना पत्थर, मैग्नीज़ आदि का प्रयोग किया जाता है ।
- भारत में लौह-इस्पात उद्योगों की स्थापना को निर्धारित करने वाले कारकों में कच्चा माल बाजार व पत्तन सुविधा, आंतरिक परिवहन सुविधा व सरकार की नीतियाँ प्रमुख हैं ।
लौह इस्पात कारखानों की अवस्थिति
कोयला क्षेत्र के समीप
- बर्नपुर-हीरापुर-कुल्टी
- दुर्गापुर
- बोकारो
लौह अयस्क के समीप
- भिलाई
- भद्रावती
- राउरकेला
- विजय नगर
- सेलम,
कोयला व लौह अयस्क के मध्य अवस्थिति
तटीय क्षेत्रो में अवस्थित
भारत में लौह-इस्पात उद्योग का विकास-क्रम
भारत में लौह-इस्पात उद्योगों के विकास-क्रम की शुरुआत वर्ष 1874 से होती है, जब पश्चिम बंगाल के कुल्टी में' बंगाल आयरन वर्क्स'की स्थापना की गई । आगे चलकर बंगाल सरकार द्वारा अधिग्रहण करने पर इसका नाम'बराकर आयरन वर्क्स'रख दिया गया ।
टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO)
- वर्ष 1907 में जे. एन. टाटा ने इसकी स्थापना वर्तमान झारखंड राज्य के जमशेदपुर (साकची) में की थी । यह कारखाना स्वर्णरेखा व खरकई नदी के संगम पर स्थापित किया गया है ।
- TISCO को लौह अयस्क की प्राप्ति गुरुमहिसानी, बादामपहाड़ (ओडिशा) व नोवामुंडी (सिंहभूम) से तथा कोयला की प्राप्ति झरिया व पश्चिमी बोकारो से होती है ।
- TISCO को जहाँ कोलकाता के रूप में बंदरगाह सुविधा प्राप्त हुई, वहीं बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश से सस्ते श्रमिकों की प्राप्ति होती है ।
इण्डियन आयरन एंड स्टील कंपनी (IISCO)
- इसकी स्थापना वर्ष 1918 में पश्चिम बंगाल के बर्नपुर में दामोदर नदी के किनारे की गई थी ।
- इसको कोयले की प्राप्ति रामगढ़, नूनडीह व झरिया की खदानों से,तथा लौह अयस्क की प्राप्ति गुआ की खान-सिंहभूम (झारखंड) से,होती है । साथ ही इसको जहाँ चूना पत्थर की प्राप्ति पाराघाट से,होती है, वहीं ओडिशा के जामदा-बाँसपानी से मैंगनीज की प्राप्ति होती है ।
- IISCO को पत्तन सुविधा कोलकाता व हल्दिया से, जलविद्युत दामोदर घाटी से, बाजार कोलकाता-हुगली औद्योगिक प्रदेश से तथा परिवहन की सुविधा राष्ट्रीय राजमार्ग-2, दक्षिणी-पूर्वी रेलवे व पूर्वी रेलवे मार्ग से प्राप्त होती है ।
विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील लिमिटेड
- इसकी स्थापना वर्ष 1923 में कर्नाटक के शिमोगा जिले में भड़ा नदी के तट पर की गई थी ।
- VISL को लौह अयस्क की प्राप्ति बाबा बूदान पहाड़ी क्षेत्र (केमानगुडी खान) से तथा जलविद्युत जोग व शरावती परियोजनाओं से प्राप्त होती है । यह कोयला क्षेत्र से दूर स्थापित किया गया है ।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), भिलाई
- सन् 1955 में पूर्व सोवियत संघ और भारत सरकार के बीच भिलाई में स्टील प्लांट की स्थापना के लिये समझौता हुआ और वर्ष 1959 से प्लांट में उत्पादन कार्य प्रारंभ हुआ ।
- इसको कोयला प्राप्ति कोरबा, बोकारो व झरिया से, लौह अयस्क दल्ली राजहरा से, मैंगनीज़ बालाघाट व भंडारा से, बंदरगाह की सुविधा विशाखापत्तनम से तथा परिवहन की सुविधा कोलकाता-मुंबई रेलमार्ग से प्राप्त होती है ।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), राउरकेला
- इसकी स्थापना जर्मनी के सहयोग से वर्ष 1959 में ओडिशा के शंख व कोइल नदियों के संगम पर की गई थी ।
- इसको कोयला झरिया व कोरबा से, लौह अयस्क बरसुआ से, जलविद्युत हीराकुड परियोजना से तथा परिवहन की सुविधा हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग से प्राप्त होती है ।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), दुर्गापुर
- इसकी स्थापना वर्ष 1959 में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में ब्रिटेन के सहयोग से की गई थी ।
- इसे कोयला रानीगंज, झरिया व बराकर की खान से, लौह अयस्क गुआ खान (सिंहभूम, झारखंड) से, जलविद्युत दामोदर नदी घाटी,से प्राप्त होती है ।
बोकारो स्टील प्लांट
- इस कारखाने को तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से वर्ष 1964 में बोकारो में दामोदर नदी के तट पर स्थापित किया गया ।
- इसे कोयला बोकारो व झरिया से, लौह अयस्क किरिबुरू से, जलविद्युत ।
- दामोदर नदी घाटी परियोजना से प्राप्त होती है ।
विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र
- इस संयंत्र के विषय में भारत और सोवियत संघ के बीच वर्ष 1979 में समझौता हुआ । अंतत: भारत सरकार ने वर्ष 1982 में इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी ।
- इसकी स्थापना विशाखापत्तनम बंदरगाह के पास की गई है । यह भारत का पहला समुद्र तटीय इस्पात कारखाना है ।
- इसको लौह अयस्क बैलाडिला की खान से प्राप्त होता है एवं ऊर्जा हेतु कोयला दामोदर घाटी से प्राप्त किया जाता है ।
सेलम इस्पात संयंत्र
- यह तमिलनाडु के सेलम लौह अयस्क उत्पादन क्षेत्र (शेवरॉय पहाड़ी),में स्थापित किया गया है । इसे नेवेली से लिग्नाइट कोयले की प्राप्ति होती है ।
- यह संयंत्र 1982 से कार्यशील है । यहाँ'स्टेनलेस स्टील'का निर्माण किया जाता है ।
विजयनगर स्टील संयंत्र
- यह कर्नाटक के बेल्लारी जिले के होस्पेट क्षेत्र में तुंगभद्रा जलाशय,के समीप स्थापित किया गया है ।
- इसे लौह अयस्क बाबा बूदान पहाड़ी, चिकमंगलूर व होस्पेट क्षेत्र,से, जलविद्युत तुंगभद्रा परियोजना से तथा कोयला तेलंगाना के सिंगरेनी खान से प्राप्त होता है ।
एल्युमीनियम उद्योग
- धात्विक उद्योगों में एल्युमीनियम, लौह-इस्पात उद्योग के पश्चात् दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है । भारत एल्युमीनियम उत्पादन में आत्मनिर्भर राष्ट्र है ।
- एल्युमीनियम उद्योग सामान्यतः विद्युत उत्पादन संयंत्रों के समीप स्थापित किये जाते हैं, क्योंकि इनमें वृहद् स्तर पर ऊर्जा की खपत होती है ।
- भारत में एल्युमीनियम उद्योग की स्थापना का क्रम 1937 में एल्युमीनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, जे. के. नगर (पश्चिम बंगाल) की स्थापना के साथ आरंभ हुआ ।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना के दौरान हीराकुड (ओडिशा) व रेणुकुट (उत्तर प्रदेश) में दो नवीन संयंत्रों की स्थापना की गई तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान मेटटर (तमिलनाडु) एवं चौथी पंचवर्षीय योजना के समय कर्नाटक के बेलगाम में नवीन एल्युमीनियम संयंत्रों की स्थापना की गई ।
भारत में एल्युमीनियम उद्योग का स्थानीयकरण
हिंदुस्तान एल्युमीनियम कंपनी (HINDALCO)
- कारखाना-रेणुकूट-सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)
- बॉक्साइट की प्राप्ति-झारखंड के लोहरदगा, राँची व पलामू जिलों तथा ओडिशा व छत्तीसगढ़ राज्यों से ।
- ऊर्जा की प्राप्ति-रिहंद जलविद्युत परियोजना से ।
- सहयोगी देश-संयुक्त राज्य अमेरिका
भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO)
- कारखाना-कोरबा-छत्तीसगढ़ ,(2) रत्नागिरी-महाराष्ट्र
- बॉक्साइट की प्राप्ति-अमरकंटक पहाड़ी से ।
- ऊर्जा की प्राप्ति-NTPC के स्थानीय संयंत्र से ।
- बॉक्साइट की प्राप्ति-महाराष्ट्र के क्षेत्र से ।
- ऊर्जा की प्राप्ति-कोयना जलविद्युत परियोजना (सतारा, महाराष्ट्र) से ।
नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO)
- कारखाना -(1) दामनजोड़ी-कोरापुट (ओडिशा)
- बॉक्साइट की प्राप्ति-कोरापुट से ।
- (2) अंगुल-ओडिशा के महानदी घाटी से कोयला एवं ब्राह्मणी नदी से जल प्राप्ति।
- सहयोगी देश-फ्रांस
मद्रास एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (MALCO)
- कारखाना-मेटूर (तमिलनाडु)
- जलविद्युत मेट्टूर परियोजना से एवं बॉक्साइट शेवरॉय पहाड़ी से प्राप्त,
- सहयोगी देश-इटली
वेदाता एल्युमीनियम लिमिटेड
- कारखाना-झारसुगुड़ा, लंजीगढ़ (ओडिशा)
- सहयोगी देश-जर्मनी ।
तांबा,उद्योग (Copper Industry)
- तांबा भारत का प्राचीनतम धात्विक उद्योग है ।
- लौह इस्पात व एल्युमीनियम उद्योग के पश्चात् भारत में तांबा उद्योग पण धात्विक उद्योग है । किंतु भारत तांबे की मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु चिली, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील व जांबिया से आयात करता है ।
भारत में प्रमुख तांबा इकाइयाँ
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ,प्रगलन संयंत्रः
- मलाजखंड (मध्य प्रदेश)
- खेतड़ी, चांदमारी (झुंझुनू), दरीबा-(राजस्थान)
- घाटशिला (झारखंड)
- हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड
- प्रगलन संयंत्र-दाहेज (गुजरात)
- स्टेलाइट इंडस्ट्रीज
- प्रगलन संयंत्र-तूथूकुडी (तमिलनाडु)
- यह वेदांता ग्रुप की कंपनी है ।
- झगाड़िया कॉपर लिमिटेड
- प्रगलन संयंत्र -भरूच (गुजरात)
सीसा उद्योग (Lead Industry)
- सीसा का उपयोग प्रमुख रूप से काँच, बैटरी, रबर, प्रिंटिंग, बिजली के केबल आदि बनाने में किया जाता है ।
- भारत में सीसा का उत्पादन कम होने के कारण सीसे का आयात किया जाता है ।
सीसा के प्रमुख प्रगलन केंद्र
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL)
- मुख्यालय-उदयपुर (राजस्थान) ।
अन्य इकाइयाँ-
- तुंडू धनबाद, (झारखंड)
- विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
- चंदेरिया (राजस्थान)
इंडियन लेड लिमिटेड,
- प्रमुख संयंत्र कोलकाता (पश्चिम बंगाल) व थाणे (महाराष्ट्र) में ।
जस्ता उद्योग (Zinc Industry)
- जस्ता एक जंगरोधी धातु है इसलिये इसका उपयोग इस्पात उद्योग में इस्पात को जंगरोधी बनाने हेतु किया जाता है ।
भारत में प्रमुख जस्ता प्रगलन केंद्र
प्रगलन केंद्र कंपनी
- अलुवा (केरल) -बिनानी इंडस्ट्री लिमिटेड
- देवरी (राजस्थान) -हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड
- चंदेरिया (राजस्थान) -जिंक लेड स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स
- विशाखापत्तन (आंध्र प्रदेश) -हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड,