• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



सामान्य परिचय

  • उद्योग से तात्पर्य ऐसी उच्च आर्थिक क्रियाओं से है जिनका संबंध वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन एवं उनके संवर्द्धन से होता    है ।
  • सरल शब्दों में कहें तो, जब एक समान वस्तुओं के उत्पादन में अनेक फर्म लगी होती हैं तो यह सभी फर्म मिलकर एक उद्योग कहलाती है । उदाहरणतः ऑटोमोबाइल उद्योग-मारूति, टाटा, होंडा, हीरो आदि । दूरसंचार उद्योग-बीएसएनएल, रिलायंस, टाटा, एयरटेल आदि ।
  • आधुनिक आर्थिक विकास के लिये उद्योगों का विकास वर्तमान समय,की एक अनिवार्य एवं आवश्यक शर्त मानी जाती है । उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते हैं, जिससे लोगों का रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है ।

भारत में औद्योगिक विकास

भारत में औद्योगिक विकास के कालखंड को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

1. स्वतंत्रता पूर्व भारत में औद्योगिक विकास ।

2 . स्वतंत्रता पश्चात् भारत में औद्योगिक विकास।

 

स्वतंत्रता पूर्व भारत में औद्योगिक विकास

  • प्राचीन काल से ही भारत अपने सूती वस्त्रों, रेशमी वस्त्रों, मलमल तथा अन्य कलात्मक वस्तुओं के लिये विश्व प्रसिद्ध था लेकिन ब्रिटिश शासन की नीतियों एवं इंग्लैंड में हुई औद्योगिक क्रांति ने भारत के परंपरागत हस्तशिल्पों का विनाश कर दिया क्योंकि भारतीय वस्तुएँ ब्रिटेन में मशीन से बनी वस्तुओं की मात्रा, मूल्य एवं गुणवत्ता की बराबरी नहीं कर सकीं ।
  • भारत में औद्योगिक विकास की शुरुआत सन् 1853 में चारकोल,पर आधारित प्रथम लौह प्रगलन संयंत्र से हुई लेकिन यह असफल रहा । इसके बाद सन् 1854 में प्रथम सफल प्रयास के रूप में'कावसजी नानाभाई डाबर'द्वारा मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में सूती मिल की स्थापना की गई । सन् 1855 में कोलकाता के पास'रिशरा'में जूट मिल की स्थापना के साथ ही भारत में आधुनिक उद्योगों का प्रारंभ हुआ ।

 

स्वतंत्रता पश्चात् भारत में औद्योगिक विकास

  • स्वतंत्रता के समय भारत का औद्योगिक विकास मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं तक ही सीमित था एवं ज्यादातर उद्योग घटती मांग,मुद्रास्फीति, पुरानी मशीनों, आधुनिकीकरण की कमी एवं कच्चे माल की कमी की समस्या से ग्रसित थे, फलतः स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् तत्कालीन केंद्रीय उद्योग मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 6 अप्रैल, 1948 को देश की प्रथम औद्योगिक नीति,की घोषणा की गयी,
  • इस नीति के द्वारा देश में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के रूप में देश के उद्योगों का बँटवारा किया गया तथा एक मिश्रित एवं नियंत्रित अर्थव्यवस्था की नींव रखी गई ।
  • 30 अप्रैल, 1956 को देश में दूसरी औद्योगिक नीति'की घोषणा की गई । इसके तहत उद्योगों को निजी, सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्रों में विभाजित किया गया तथा अवशिष्ट उद्योगों को निजी उद्यम के लिये खुला छोड़ दिया गया ।
  • औद्योगिक विकास की धीमी गति, अधिक बेरोजगारी, औद्योगिक शाणता, महँगाई तथा विदेशी मुद्रा विनिमय के संकट से निजात पाने के उद्देश्य से ही भारत सरकार द्वारा 24 जुलाई, 1991 को औद्योगिक क्षेत्र में उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण (Liberalisation . Privatisation and Globalisation - LPG) की नीति की घोषणा की गई जिसके द्वारा उद्योगों की स्थापना में लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाया गया ।

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....