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भारत के औद्योगिक प्रदेश

  • उद्योगों की स्थापना को निर्धारित करने वाले कारक, जैसे-कच्चा माल, ऊर्जा आपूर्ति, परिवहन, श्रम, बाजार, ऐतिहासिक-व्यापारिक एवं विनिर्माण महत्त्व आदि के संबंध में संपूर्ण देश में समरूपता न होने के कारण उद्योगों की प्रकृति के अनुसार देश में उद्योगों की स्थापना में भी भारी असमानता रही है अर्थात् औद्योगिक वितरण बेहद असमान रहा है ।
  • उद्योग-विशेष की प्रमुख मांग के अनुसार देश में विभिन्न औद्योगिक प्रदेशों का विकास हुआ । भिन्न-भिन्न औद्योगिक प्रदेशों के विकास में एक या अधिक कारकों की प्रमुखता रही एवं अन्य कारक गौण रहे हैं । भारत के औद्योगिक प्रदेशों को 8 प्रमुख एवं 13 लघु औद्योगिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है ।

8 प्रमुख औद्योगिक प्रदेश निम्नलिखित हैं-

मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश

  • मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना एवं औपनिवेशिक काल से व्यापारिक महत्त्व के चलते इस प्रदेश का विकास हुआ ।
  • निकटवर्ती क्षेत्रों से कच्चे माल के रूप में कपास की प्राप्ति, औपनिवेशिक काल से व्यापारिक नगरीय स्थिति, वर्ष 1869 में स्वेज़ नहर के विकास के कारण यूरोप से व्यापार की सुगमता, श्रम की उपलब्धता एवं बाद के काल में पश्चिमी घाट में जलविद्युत उत्पादित ऊर्जा आपूर्ति से इस औद्योगिक प्रदेश का तीव्रता से विकास हुआ ।
  • मुंबई हाई में पेट्रोलियम की खोज एवं उत्खनन के कारण औद्योगिकीय विविधता एवं मजबूती आई, जिसके कारण पेट्रो-रसायन उद्योग, प्लास्टिक, उर्वरक आदि अन्य उद्योग भी यहाँ विकसित हुए ।
  • यह औद्योगिक प्रदेश मुख्यत: मुंबई-ठाणे से पुणे तथा नासिक व शोलापुर जिलों तक विस्तृत है जबकि गौणत: रायगढ़, अहमदनगर, सतारा, सांगली, जलगाँव आदि जिलों तक फैला हुआ है ।

 

कोलकाता-हुगली औद्योगिक प्रदेश

  • यह औद्योगिक प्रदेश गंगा नदी की वितरिका हुगली नदी के किनारे पश्चिम बंगाल राज्य में विकसित हुआ है । कोलकाता-हावड़ा का क्षेत्र इस औद्योगिक प्रदेश के केंद्र में है
  • हुगली नदी से सस्ता जल परिवहन, औद्योगिक जल आवश्यकता की पूर्ति, कोलकाता के औपनिवेशिक काल में भारत की राजधानी रहने व धीरे-धीरे दूर तक के अन्य क्षेत्रों से सड़क व रेलवे मार्ग से जुड़ने कच्चे माल के रूप में आस - पास के क्षेत्रों, जैसे-पूर्वी बंगाल से जूट, छोटानागपुर से लौह अयस्क, दामोदर घाटी से कोयला आदि की आपूर्ति, बिहार, उत्तर प्रदेश व अन्य घने बसे क्षेत्रों से सस्ते श्रम की आपूर्ति आदि ने इस प्रदेश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
  • वर्तमान में यहाँ के उद्योगों में जूट के अलावा सूती वस्त्र, कागज, इंजीनियरिंग, विद्युत, रसायन, दवा, उर्वरक, पेट्रो-रसायन आदि प्रमुख हैं ।
  • कोलकाता के एक अंतर्राष्ट्रीय पत्तन होने एवं अन्य आधारभूत  सुविधाओं के चलते इस प्रदेश के उत्पादित माल को वृहद् राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध होता है ।
  • उत्तर में बंसबेरिया से लेकर दक्षिण में बिड़लानगर तक यह प्रदेश 100 किमी. से अधिक विस्तृत है । कोलकाता व हावड़ा के अलावा हल्दिया, सेरामपुर, रिशरा, शिवपुर, नैहाटी, गुरियह, श्यामनगर, टीटागढ़ सौदेपुर, बजबज, त्रिवेणी, हुगली, बेलूर आदि इस प्रदेश के अन्य प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं ।

 

बंगलूरू-चेन्नई औद्योगिक प्रदेश

  • इस औद्योगिक क्षेत्र का विकास कपास उत्पादन क्षेत्र में होने के कारण सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना से शुरू हुआ था । वर्तमान में यह प्रदेश बंगलूरू के देश की सॉफ्टवेयर राजधानी के रूप में विकसित होने से बेहद तीव्र गति से विकसित हुआ है ।
  • इस औद्योगिक प्रदेश में परंपरागत सूती वस्त्र एवं हथकरघा उद्योग के अलावा, रेल के डिब्बे, डीजल इंजन, रेडियो, हल्के व भारी इंजीनियरिंग उपकरण, टायर, शक्कर, सीमेंट, चमड़ा से लेकर वायुयान एवं सॉफ्टवेयर उद्योगों का विकास हुआ है ।

 

गुजरात औद्योगिक प्रदेश

  • इस औद्योगिक प्रदेश का भी शुरुआती विकास 19वीं सदी में यहाँ सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के चलते हुआ ऐसा इसके पृष्ठ प्रदेश  के कपास उत्पादक होने के कारण हुआ ।
  • तेल भंडारों की खोज एवं परिशोधनशालाएँ स्थापित करने से उद्योगों का विविधीकरण हुआ तथा औद्योगिक प्रदेश लगातार विस्तृत भी हुआ है ।
  • विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए कराची पत्तन की कमी को पूरा करने हेतु कांडला पत्तन के विकास ने भी इस औद्योगिक प्रदेश को मजबूती प्रदान की ।
  • कोयली एवं जामनगर में पेट्रोलियम परिशोधनशालाएँ स्थापित होने के कारण पेट्रो रसायन एवं अन्य संबद्ध उद्योगों, जैसे-प्लास्टिक, रंग-रोगन आदि का भी विकास हुआ ।
  •  इस प्रदेश का केंद्र अहमदाबाद से वड़ोदरा के मध्य है जबकि यह भरूच, कोयली, आणद, खेड़ा, सुरेंद्रनगर, जामनगर, वलसाड, सूरत, राजकोट आदि क्षेत्रों तक विस्तृत है ।

 

छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश

  • इस औद्योगिक प्रदेश का विकास इसके पृष्ठ प्रदेश में विस्तृत रूप से उपस्थित कोयला व लौह अयस्क के भंडार के कारण हुआ ।  इन्हीं क्षेत्रों से प्राप्त सस्ता श्रम भी इनमें सहायक है ।
  • दामोदर घाटी से कोयला एवं झारखंड तथा ओडिशा के उत्तरी क्षेत्र से लौह अयस्क एवं अन्य    धात्विक-अधात्विक खनिजों की प्राप्ति के चलते लौह-इस्पात एवं अन्य भारी उद्योगों का यहाँ काफी विकास हुआ है । जमशेदपुर, बर्नपुर, कुल्टी, बोकारो व राउरकेला में बड़े एकीकृत लौह-इस्पात संयंत्र स्थापित हुए हैं ।
  • यह प्रदेश पश्चिम बंगाल के पश्चिमी भाग, ओडिशा के उत्तरी भाग एवं झारखंड राज्य में विस्तृत है । राँची, धनबाद, चाईबासा, सिंदरी, हजारीबाग, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर, आसनसोल, डालमियानगर आदि इसके प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं ।  

 

विशाखापत्तनम-गुंटूर औद्योगिक प्रदेश

  • इस औद्योगिक प्रदेश का विकास इसके पृष्ठ प्रदेश में खनिजों के भंडारों, जैसे-गोदावरी बेसिन में कोयला, कृषि क्षेत्र के कारण कृषिगत आगतों की प्राप्ति एवं विस्तृत तट रेखा पर विशाखापत्तनम एवं मछलीपत्तनम जैसे पत्तनों के साथ ही सस्ते श्रम एवं बाजार की उपस्थिति आदि मिश्रित कारकों की वजह से हुआ है । 
  • कच्चे तेल का आयात कर उसके परिशोधन ने भी पेट्रो-रसायन समेत  संबद्ध उद्योगों की स्थापना में योगदान दिया है ।
  • वर्तमान आंध्र प्रदेश राज्य में विस्तृत इस प्रदेश में विशाखापत्तनम, विजयनगर, राजमुंद्री, विजयवाड़ा, गुंटूर, कुर्नूल, एलुरू आदि महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं ।

 

गुरुग्राम-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश

  • इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक बाजार रहा है, अन्य कारकों में श्रम के अलावा भाखड़ा-नागल से प्राप्त जलविद्युत शक्ति तथा पानीपत, फरीदाबाद से प्राप्त ताप विद्युत शक्ति महत्त्वूपर्ण है ।
  • खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों के भंडार वाले क्षेत्रों से काफी दूर होने के कारण इस प्रदेश में विशाल एवं भारी विनिर्माण के संयंत्रों की स्थापना नगण्य है । यहाँ छोटे-छोटे एवं क्लस्टर रूपी उद्यम स्थापित हुए हैं, जो कि परिवहन प्रेरित भी हैं ।
  • राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से चमड़े की प्राप्ति से आगरा-मथुरा में चमड़ा उद्योग, हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (HVJ) पाइपलाइन से मथुरा रिफाइनरी को कच्चे तेल की आपूर्ति से यहाँ पेट्रो-रसायन एवं उससे संबद्ध उद्योग;  इसके अलावा शक्कर, सीमेंट, सूती, ऊनी वस्त्र, हॉजरी, कृषि उपकरण, वनस्पति घी व खाद्य प्रसंस्करण, ट्रैक्टर, साइकिल, शीशा आदि इस प्रदेश के प्रमुख उद्योग हैं

 

कोल्लम-तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश

  • केरल राज्य में विकसित यह औद्योगिक प्रदेश बागानी कृषि से प्राप्त आगतों, घने जनसंख्या बसाव के कारण बाजार कारकों एवं तटीय अवस्थिति के कारण व्यापारिक सुविधाओं से प्रेरित है ।
  • कोयला क्षेत्रों से दूर होने के कारण ऊर्जा आपूर्ति यहाँ के जलविद्युत संयंत्रों द्वारा होती है ।
  • लौह अयस्क व अन्य प्रमुख खनिज क्षेत्रों से दूर होने के कारण यहाँ  भारी उद्योगों का विकास नहीं हो पाया है ।
  • कोच्चि में पेट्रोलियम रिफाइनरी के कारण यहाँ पेट्रो-रसायन एवं संबद्ध उद्योगों के विकास एवं चक्रीय आर्थिक प्रभावों से उपभोक्ता कारकों का प्रसार हुआ है ।
  • कोल्लम, तिरुवनंतपुरम, अलुवा, एर्नाकुलम, कोच्चि, अलप्पुझा, पुनालूर आदि यहाँ के प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं । 

 

लघु औद्योगिक प्रदेश

  • अंबाला-अमृतसर (पंजाब)
  • सहारनपुर-मुजफ्फरनगर-बिजनौर (उत्तर प्रदेश)
  • इंदौर-देवास-उज्जैन (मध्य प्रदेश)
  • जयपुर-अलवर (राजस्थान)
  • कोल्हापुर-दक्षिणी कन्नड़ (महाराष्ट्र, कर्नाटक)
  • उत्तरी मालाबार-(केरल)
  • मध्य मालाबार-(केरल)
  • आदिलाबाद-निजामाबाद-(तेलंगाना)
  • इलाहाबाद-वाराणसी-मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
  • भोजपुर-मुंगेर (बिहार)
  • दुर्ग-रायपुर (छत्तीसगढ़)
  • बिलासपुर-कोरबा (छत्तीसगढ़)
  • ब्रह्मपुत्र घाटी (असम)

 

औद्योगिक गलियारे (Industrial Corridor)

  • देश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने हेतु एवं इसके अंतर्गत विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिये भारत सरकार द्वारा औद्योगिक गलियारों को विकसित करने की योजना है ।
  • इसके तहत आधारभूत सुविधाओं के विकास में विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिसके लिये माल ढुलाई हेतु 'डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर' (अलग रेलवे लाइन) का विकास किया जाना महत्त्वपूर्ण है।
  • इन गलियारों के साथ ही 'स्मार्ट औद्योगिक नगर' भी विकसित किये जाएंगे ।
  • सके अंतर्गत निम्नलिखित औद्योगिक गलियारों को विकसित किया जाएगा-
    • दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC)
    • अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (AKIC)
    • बंगलूरू-मुंबई आर्थिक गलियारा (BMEC)
    • चेन्नई-बंगलूरू औद्योगिक गलियारा (CBIC)
    • पूर्वी तट आर्थिक गलियारा (ECEC)

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