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संसदीय विशेषाधिकार

संसदीय विशेषाधिकार का तात्पर्य ऐसे अधिकारों तथा उन्मुक्तियों से है, जो संसद या राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदन, उसके सदस्यों तथा समितियों को सामूहिक रूप से तथा व्यक्तिगत रूप से प्राप्त होता है। संसदीय विशेषाधिकार का उद्देश्य संसद या राज्य विधानमंडल की स्वतंत्रता, प्राधिकार तथा गरिमा की रक्षा करना है । संविधान के अनुच्छेद 105 तथा 194 में संसदीय विशेषाधिकार के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है । इन अनुच्छेदों के परिशीलन से प्रतीत होता है कि संसदीय विशेषाधिकार दो प्रकार के होते है-

सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से प्रयोग किये जाने वाले अधिकार

संसद तथा राज्य विधानमंडलों के सदस्यों  को निम्न विशेषाधिकार प्राप्त हैं-

गिरफ्तारी से छूट- संसद या राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को संसद या राज्य विधानमण्डल के अधिवेशन के दौरान तथा अधिवेशन के 40 दिन पहले या बाद की अवधि के दौरान गिरफ्तारी  से छूट प्राप्त है, लेकिन यह छूट केवल सिविल मामलों में प्राप्त है न कि अपराधिक मामलों में। सदस्यों की गिरफ्तारी के पूर्व सम्बन्धित सदन के अध्यक्ष या सभापति को सूचना दी जाती है।

साक्षी के रूप में उपस्थिति से छूट- संसद या राज्य विधानमंडल के अधिवेशन के दौरान सदस्य को सम्बन्धित सदन के अध्यक्ष या सभापति की अनुमति के बिना किसी न्यायालय के समक्ष साक्षी के रूप में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

भाषण की स्वतंत्रता-  संसद या राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को सम्बन्धित सदन तथा समितियों में भाषण करने की पूर्ण स्वतंत्रता है और ऐसे भाषण  के लिए उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती, लेकिन सदस्य सदन में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरूद्ध तब तक कोई टिप्पणी नहीं कर सकता, जब तक उनके विरूद्ध महाभियोग के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श  न हो रहा हो।

 

सदस्यों का सामूहिक अधिकार

संसद या राज्य विधानमंडलों को निम्नलिखित विशेषाधिकार प्राप्त है, जिसका प्रयोग सामूहिक रूप से या सदन द्वारा किया जा सकता है-

  • सदन की कार्यवाहियों को प्रकाशित करने तथा अन्य को प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार,
  • जो व्यक्ति सदन का सदस्य न हो, उसे सदन से निकालने का अधिकार,
  •  सम्बद्ध सदन के अध्यक्ष की आज्ञा के बिना सदन के परिसर में गिरफ्तारी तथा किसी कानूनी आदेशिका की तामिली को रोकने का अधिकार,
  •  सदन की किसी गोपनीय बैठक की कार्यवाहियों तथा निर्णयों को प्रकट करने पर रोक संबंधी अधिकार,
  •  सदन के आंतरिक मामलों को विनियमित करने तथा सदन के भीतर उत्पन्न होने वाले  मामलों को निपटाने का अधिकार,
  •  सदन के सदस्यों तथा बाहरी व्यक्तियों को सदन के विशेषाधिकारों को भंग करने के लिए दण्डित करने का अधिकार, 
  •  साक्षियों को उपस्थिति होने के लिए बाध्य करने तथा पत्र एवं दस्तावेज मांगने का अधिकार,
  •  किसी संसदीय समिति के समक्ष दिये गये साक्ष्य और उसके प्रतिवेदन और कार्यवाहियों को तब तक प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार, जब तक उन्हें सम्बद्ध सदन के पटल पर नहीं रख दिया जाता,
  •  सदन की कार्यवाही को न्यायालय द्वारा जांच किये जाने से रोकने का अधिकार,
  •  किसी सदस्य की गिरफ्तारी, नजरबंदी, दोषसिद्धि, कारावास तथा रिहाई के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करने का अधिकार। 

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