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Study Material



ऊर्जा के गैर - परंपरागत स्रोत

  • नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 26 दिसम्बर, 2008 को समेकित ऊर्जा नीति को मंजूरी दी गयी जिसमें आगामी 25 वर्षों  में ऊर्जा क्षेत्रों में 26, विकास दर का लक्ष्य रखा गया है । इसके अन्तर्गत ऊर्जा सुरक्षा की  दिशा में टिकाऊ विकास हेतु एक रोड मैप तैयार किया गया, जिसमें ऊर्जा बाजार को प्रतिस्पर्धी बनाने, उचित ऊर्जा मूल्य निर्धारण, लक्षित सब्सिडी, सार्वजनिक क्षेत्रों को ऊर्जा कम्पनियों को स्वायत्तता व पूर्ण उत्तरदायित्व प्रदान करना, नवीन संसाधनों की खोज के प्रयास आदि लक्ष्य शामिल किए गए हैं । ब्रिटिश लेखक हरमन स्कीयर ने अपनी पुस्तक में सोलर इकॉनमी में कहा है कि केवल सौर ऊर्जा ही सार्वभौमिक एवं समान मानव अधिकार की गारंटी प्रदान करती है । वस्तुतः सूर्य कभी न खत्म होने वाला ऊर्जा का विशाल स्रोत है ।
  • सौर ऊर्जा का उपयोग खाना बनाने, जल शुद्धीकरण, विद्युत् निर्माण, कमरे को गर्म रखने और फसल सुखाने में किया जा सकता है । यह ऊर्जा उष्णकटिबंधीय देशों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है । सौर ऊर्जा को फोटोवोल्टिक सेलों द्वारा विद्युत में बदला जा सकता  है । भारत वर्ष 2014 से सौर ऊर्जा की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है । मई, 2014 में भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 2650 मेगावॉट थी जो सितम्बर  2019 में बढ़कर 82580 मेंगावॉट हो गयी है । भारत को सूर्य से वर्ष में 300 दिन औसतन 5 किलोवाट प्रति वर्ग सेमी. सौर विकिरण प्राप्त होता है ।
  • अनुकूल भौगोलिक अवस्थिति के कारण राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में इसका विशेष लाभ उठाया जा सकता है । उदाहरण के लिए, जयपुर की सभी स्ट्रीट लाइट सौर ऊर्जा पर ही आधारित हैं
  • आन्ध्र प्रदेश में सालिजीपल्ली भारत का पहला गाँव जिसमें सम्पूर्ण विद्युतीकरण सौर ऊर्जा से किया गया है । भारत में 2 मेगावाट क्षमता वाला पहला सोलर फोटोवोल्टिक संयंत्र पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले में आसनसोल के निकट डिशेरगढ़ में स्थापित किया है । देश का सबसे विशाल ग्रिड युक्त फोटोवोल्टिक ऊर्जा संयंत्र पश्चिम बंगाल में सागर द्वीप पर कायलापाड़ा गांव में स्थापित किया जा रहा  है । जबकि, एशिया का सबसे विशाल सौर ताप विद्युत संयंत्र नागपुर में स्थापित किया जा रहा है । 10 मेगावाट के इस संयंत्र से उत्पादित विद्युत राष्ट्रीय ग्रिड से संबद्ध की जाएगी ।
  • एशिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सौर-तालाब का निर्माण किया गया है । यह सौर तालाब गुजरात में भुज  (कच्छ जिला) में है । लक्षद्वीप के बंग्राम द्वीप समूह में भेल (BHEL) स्थित भारत का सबसे बड़ा सोलर डीजल हाइब्रिड प्लांट स्थापित किया है । नई दिल्ली में सोलर रिक्शाँ (सोलेक्सा) की दिशा में भी सफल प्रयास हुए हैं ।

 

राष्ट्रीय सोलर मिशन

  • देश में बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति तथा जीवाश्म ऊर्जा पर बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए 11 जनवरी, 2010 को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन प्रारम्भ किया गया ।
  • इस मिशन का उद्देश्य भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाना है । यह उन आठ राष्ट्रीय मिशनों में से एक है, जो जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्ययोजना में शामिल हैं । इस मिशन के अन्तर्गत 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है ।
  • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश में सिलिकान वैली के आधार पर अनेक सोलर वैलियों का निर्माण किया जाएगा । ये ऐसे औद्योगिक क्षेत्र होंगे जहाँ पारम्परिक विद्युत के स्थान पर सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जाएगा । इस मिशन में अस्पताल होटल, गेस्ट हाउस आदि में सोलर वाटर हीटर को अनिवार्य करना, सोलर थर्मल पावर प्लाटों का वाणिज्यिक विकास आदि शामिल है । यद्यपि सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का प्रारंभिक निवेश काफी अधिक है, परंतु बाद के वर्षों में इसकी उत्पादन लागत में क्रमश: कमी आने लगती है ।
  • ऊर्जा स्रोत की सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव एवं अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि सौर ऊर्जा भविष्य के आर्थिक विकास की पूँजी है और राष्ट्रीय सोलर मिशन इस पूँजी की प्राप्ति की दिशा में पहला बड़ा कदम है ।

 

देश का पहला सोलर थर्मल पावर स्टेशन

  • देश का पहला सोलर थर्मल पावर स्टेशन राजस्थान में स्थापित किया जा रहा है ।
  • जैसलमेर के नोखा  में स्थापित होने वाले प्लांट की क्षमता  50 मेगावॉट होगी और इसमें पावर हीटिग टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा । इस टेक्नोलॉजी  के प्रयोग से इस सोलर पावर प्लांट की बिजली उत्पादन  क्षमता  डेढ़ गुना हो जाएगी ।
  • इस तकनीक से बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन वर्तमान समय में केवल अमेरिका में हो  रहा है । भारत विश्व का दूसरा ऐसा देश होगा जो इस तकनीक  से विद्युत का वाणिज्यिक उत्पादन करेगा ।

 

भारत का प्रथम कैनाल सोलर पॉवर प्रोजेक्ट

  • 24 अप्रैल, 2012 को प्रथम कैनाल सोलर पॉवर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया ।
  • यह प्रोजेक्ट गुजरात के मेहसाणा जिले के चंद्रासण गाँव के पास नर्मदा नहर के ऊपर बनाया गया है ।
  •  गुजरात राज्य विद्युत कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा निर्मित कैनाल  पर बने  प्रोजेक्ट से   बिजली का उत्पादन होता है  भारत के प्रथम कैनाल सोलर पॉवर प्रोजेक्ट से प्रतिवर्ष  16 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करने का लक्ष्य है ।

 

सबसे बड़ा सोलर थर्मल प्लांट

  • देश का सबसे बड़ा सोलर थर्मल प्लांट लुधियाना जिले के  गाँव कनेच में 29 जुलाई, 2012 को स्थापित किया गया है ।
  • यह संयंत्र उत्पादन के साथ-साथ उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल को वैज्ञानिक विधि से स्वच्छ करेगा । यह प्लांट कंगारू इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा स्थापित किया जा रहा है । जो एक लाख लीटर पानी प्रतिदिन साफ करेगा ।

 

देश का प्रथम सौर जल संयंत्र

  • नागालैण्ड के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग ने 13 जून, 2014 को कोहिमा के तसीसीमा गाँव में सौर ऊर्जा द्वारा संचालित जलशोधन परियोजना का उद्घाटन किया गया । इसके साथ ही, नागालैण्ड में इस प्रकार की नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग से जल में विद्यमान 99.99% जीवाणु समाप्त हो  जाएँगे । इस प्रकार के संयंत्रों की स्थापना, उनका रख-रखाव एवं शुद्ध पेयजल की उपलब्धता का कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम द्वारा संचालित किया जा रहा है ।

 

कुरनूल अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क

  • आंध्र प्रदेश के कुरनूल में सोलर पार्क की स्थापना की गयी| है । 100 मेगावॉट क्षमता वाला यह संयंत्र किसी एकल स्थान (Single Location) पर स्थापित विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र है ।
  • इस संयंत्र की स्थापना आंध्र प्रदेश सोलर पॉवर कॉरपोरेशन द्वारा की गयी है, जिसमें सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया भी 50% की भागीदार है ।

 

भारत का तैरता हुआ सबसे बड़ा सोलर प्लांट

  • 4 दिसंबर, 2017 को केरल के वायनाड जिले के बाणासुर सागर बाँध में स्थित भारत के सबसे बड़े तैरते हुए सौर संयंत्र (Largest Floating Solar Plant ) का शुभारम्भ किया गया ।
  • भारत के सबसे बड़े तैरते हुए तथा 500 किलोवाट की क्षमता वाले इस संयंत्र में 1,938 सौर पैनल हैं, जिसमें प्रत्येक सौर पैनल की क्षमता 260 वॉट है ।

 

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एवं दिल्ली सौर एजेंडा

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सौर ऊर्जा से सम्पन्न देशों का अन्तर देशों सरकारी संगठन है । इसकी स्थापना की पहल  भारत  द्वारा की गयी थी ।
  • इस गठबंधन के सम्भावित 121 सदस्य देश पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं । 11 मार्च, 2018 को भारत और फ्रांस के सहयोग से नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर सम्मेलन का पहला शिखर सम्मेलन सम्पन्न  हुआ । इस सम्मेलन में दिल्ली सौर एजेंडा प्रस्तुत किया गया, जिसमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सस्ती, टिकाऊ एवं विश्वसनीय आधुनिक ऊर्जा सेवाओं तक सबकी पहुँच सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया   है ।

 

पवन ऊर्जा (Wind Energy)

  • हवा में गतिज ऊर्जा होती है । इस ऊर्जा का उपयोग सिंचाई करने तथा बिजली बनाने में किया जा सकता है ।
  • भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त प्रदेश तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और केरल   है ।
  • एशिया का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा केन्द्र गुजरात के कच्छ जिला में मांडवी में स्थापित किया गया है ।
  • एशिया का सबसे बड़ा पवन फार्म (Wind Farm) तमिलनाडु के मुप्पनडल में स्थापित किया गया है । महाराष्ट्र के सतारा में भी एक पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है ।
  • देश में वर्ष 2009 के अंत तक मेगावॉट पवन विद्युत उत्पादन की क्षमता अर्जित की  गयी  है । भारत में कुल संस्थापित नवीकरणीय या अक्षय ऊर्जा का 70% भाग पवन ऊर्जा से ही प्राप्त होता   है । पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, स्पेन व चीन के बाद विश्व में भारत का पाँचवाँ स्थान है ।  

राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति, 2015

9 सितम्बर, 2015 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय अपतटीय  पवन ऊर्जा नीति, 2015 को स्वीकृति प्रदान की गयी । इस नीति के अंतर्गत केन्द्रीय नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के भीतर अपतटीय क्षेत्रों के प्रयोग हेतु नोडल मंत्रालय के रूप में अधिकृत किया गया है । साथ ही, इस नीति के अंतर्गत पवन ऊर्जा संस्थान, चेन्नई को पवन ब्लॉकों को आवंटन के अतिरिक्त सम्बंधित मंत्रालयों एवं एजेंसियों के साथ समन्वय एवं संबद्ध कार्यों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में अधिकृत किया गया है ।

 

भू-तापीय ऊर्जा (Geo-Thermal )  

  • भू-तापीय ऊर्जा से तात्पर्य भूपटल की ऊष्मा से है, जो ज्वालामुखी, गीजर, उष्ण स्रोतों आदि के रूप में मिलते हैं । भारत में 80° -100°C तापमान वाले 340 गर्म स्रोतों को खोजा जा चुका है । हिमाचल प्रदेश की पार्वती घाटी में बसे मणिकर्ण के गर्म पानी के स्रोत से अत्यधिक मात्रा में बिजली उत्पादित की जा सकती है । यहाँ एक भू-तापीय संयंत्र लगाया गया है लद्दाख की पूगा घाटी में ग्रीन हाउस के लिए भू-तापीय ऊर्जा केन्द्र की स्थापना की जाएगी ।
  • छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में तातापानी में भी  भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है । भारत का प्रथम भूतापीय विद्युत संयंत्र वर्ष 2012 में आंध्र प्रदेश के खम्मम में स्थापित किया गया था, जिसकी क्षमता 25 मेगावॉट है । हिमाचल प्रदेश के सतलज-स्पीति, व्यास व पार्वती घाटी,  उत्तराखंड में बद्रीनाथ-तपोवन तथा झारखंड में सूरजकुंड में भी भू-तापीय ऊर्जा उत्पादन की अच्छी संभावनाएँ हैं ।
  • गर्म पानी के स्रोतो में थर्मल डिस्चार्ज से बिजली उत्पादित की जा सकती है । इसके लिए आवश्यक तकनीक आसानी से उपलब्ध है । हाइडल पावर (जल विद्युत) की तुलना में इस तकनीक से उत्पन्न होने वाली बिजली अधिक सस्ती होगी ।
  • भारत का पहला जियोथर्मल पॉवर प्रोजेक्ट, लद्दाख में स्थापित किया जा रहा है । इस परियोजना की क्षमता 3 मेगावाट होगी । जो ईथेनॉल आधारित ईंधन के द्वारा संचालित होगी ।

 

समुद्री-ताप से ऊर्जा उत्पादन (Ocean Thermal Energy Conversion : OTEC)

  • OTEC में समुद्र की ऊपरी सतह से 1,000 मी. की गहराई तक सौर ऊर्जा अवशोषित की जाती है । भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में, जहाँ समुद्री तापमान 25°C तक रहता है, OTEC से  ऊर्जा उत्पादन की व्यापक संभावना है । लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह OTEC ऊर्जा के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र हैं ।
  • भारत में इस तरह का एक प्रयास संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से तमिलनाडु के कुलशेखरपत्तनम् में हो रहा है ।

 

ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)

  • समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा की सहायता से भी विद्युत उत्पादन किया जा सकता है । भारत में खम्भात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और सुन्दरवन में ज्वारीय ऊर्जा के उत्पादन की अच्छी संभावनाएँ   है ।
  • कच्छ की खाड़ी में (कांडला) में एक ज्वारीय ऊर्जा संयंत्र लगाने का प्रस्ताव है, जो एशिया में  इस प्रकार का पहला संयंत्र होगा । सुंदरवन के दुर्गादुआनी क्रीक में भी इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं ।

 

समुद्री तरंग ऊर्जा (Ocean Waves Energy)

  • अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के व्यापारिक पवन वाले क्षेत्र समुद्री तरंग से ऊर्जा के उत्पादन के लिए आदर्श स्थल हैं । भारत का प्रथम समुद्री तरंग विद्युत संयंत्र विझिंगम (केरल) में लगाया गया है ।
  • निकोबार द्वीपसमूह में मूस प्वाइंट में भी समुद्री तरंग ऊर्जा की अच्छी संभावना है ।

 

हाइड्रोजन ऊर्जा (Hydrogen Energy)

  • यह ऑटोमोबाइल में प्रयुक्त होने वाली जीवाश्म ऊर्जा का एक स्वच्छ, सस्ता व प्रदूषण रहित विकल्प हो सकती है । हाइड्रोजन ऊर्जा के आधार पर कृषि पंपसेट के विकास के भी दिशा में प्रयास हो रहे हैं । 
  • हाइड्रोजन ऊर्जा केन्द्र, बनारस (BHU) इस ऊर्जा के विकास की दिशा में विभिन्न शोध कार्य कर रहा   है ।

 

बायोमास (Bioman)

  • भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास ईंधन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है ।
  • बायोमास के दो प्रमुख स्रोत हैं -  (i) कृषि के अपशिष्ट व वनोत्पाद (ii) नगरपालिका का कूड़ा-कचरा
  • बायोमास विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत ईधन, चारा और विद्युत उत्पादन के लिए उच्च कैलोरी क्षमता वाले व तेजी से बढ़ने वाले पौधों के रोपण पर बल दिया जाता है । बायोमास से ईथेनॉल और मीथेनॉल जैसे तरल ईंधन भी बनाए जाते हैं जिससे वाहन चलाए जा सकते हैं ।

भारत में बायोमास उत्पादन के लिए निम्नलिखित केन्द्र स्थापित किए गए हैं-

  1. पंजाब के झालखारी में चावल के भूसे से चलने वाला ताप विद्युत संयंत्र ।
  2. दिल्ली के तिमारपुर में कूड़े-कचरे से विद्युत उत्पादन करने हेतु पायलट संयंत्र ।
  3. मुम्बई में कूड़े-कचरे से विद्युत उत्पादन करनेवाला संयंत्र ।
  4. पोर्ट ब्लेयर में गैसीफायर प्रणाली वाला संयंत्र

 

बायोगैस (Blogas)

  • यह भी ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जो प्रचुरता से उपलब्ध प्राकृतिक कार्बनिक अपशिष्टों से बनाया जाता है ।
  • बायोगैस एक प्रकार का गैसीय मिश्रण है, जिसमें सामान्यत: 60% मीथेन, 40% कार्बन डाइऑक्साइड तथा कुछ मात्रा में नाइट्रोजन और हाइड्रोजन सल्फाइड पायी होती हैं ।
  • जानवरों व मानव के क्षेत्र मलमूत्र तथा कृषि अपशिष्ट व औद्योगिक कचरे के अवायवीय किण्वन (Anaerobic Fermentation) द्वारा बायोगैस का निर्माण किया जाता है । नवंबर, 2009 में राष्ट्रीय बायोगैस खाद प्रबंधन कार्यक्रम की घोषणा की गयी है ।

बायोडीजल (Bio Diesel)

  • पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन (PCRA) भारत में जैव ईंधन (बायोडीजल) के उत्पादन के लिए प्रयासरत है ।
  • जट्रोफा (रतनजोत), करकास व पोन्गोमिया के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है । इनसे बायोडीजल बनाया जा सकता है ।
  • देश का पहला बायोडीजल संयंत्र आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में लगाया गया है । यह नेचुरल बायो-एनर्जी संयंत्र है, जहाँ प्रतिवर्ष 20 मिलियन गैलन बायोडीजल का उत्पादन किया जाएगा । संयुक्त राज्य अमेरिका व यूरोप को निर्यात किया जाना है ।

ईथेनॉल (Ethanol)

  • देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ईथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है । जीवाश्म ईंधनों पर हमारी निर्भरता धीरे-धीरे घटाने और वृहद् रूप में नवीकरणीय वैकल्पिक ईंधन का उपयोग बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है । ईथेनॉल गन्ना, राब, मक्का, कन्द जैसे विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जाने वाला एक जैविक ईधन है । ईथेनॉल पर्यावरण के अनुकूल है   क्योंकि, यह पेट्रोल की दहनशीलता को बढ़ाता है, परिणामस्वरूप, यह हाइड्रोकार्बन का कम उत्सर्जन करता है । नवीनीकरणीय ईधन के साथ-साथ कृषि अवशिष्ट होने के कारण यह किसानों की आय भी बढ़ाएगा ।
  • जैव ईंधन वर्तमान समय की अनिवार्यता है । अमेरिका, ब्राजील, कनाडा तथा यूरोपीय संघ ने अपनी ऊर्जा नीति में जैव ईंधन को शामिल किया है । भारत सरकार ने भी वर्ष 2002 में जैव ईंधन के प्रयोग के लिए एक रोडमैप तैयार किया था जिसमें ईथेनॉल को पेट्रोल में मिलाना अनिवार्य कर दिया था, परंतु यह योजना ठीक से लागू नहीं हो सकी । जेट्रोफा जैसे जैव ईंधनों के बाद इथेनॉल का निर्माण संभव हो पा रहा है । करंज, नीम, आम की गुठली, महुआ, अलसी का तेल आदि भी जैव ईंधन के रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं । गन्ना भी इसका एक उपयुक्त विकल्प है । यूरोप में सूरजमुखी और रेपसीड से, अमेरिका में सोयाबीन से, थाइलैंड में ताड़ और फिलीपींस में नारियल से जैव ईंधन निर्माण की पर्याप्त सम्भावनाएँ विद्यमान हैं । भारत में भी बायोडीजल के अनेक विकल्प हैं । नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 24 दिसम्बर, 2009 को राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के निर्माण व उसे लागू करने की घोषणा की थी, जिसके बाद इस दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं ।
  • परंतु इसका एक दूसरा पक्ष भी है, जहाँ एक ओर इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी, गाँव में खुशहाली आएगी, वहीं दूसरी ओर, इससे कृषि प्रणाली में बदलाव का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है । ऐसी सम्भावना है कि, जैव ईंधन को वैकल्पिक फसल न समझा जाए क्योंकि, इससे अच्छी कमाई होने से किसान अपने खेतों में अन्य फसलों का उत्पादन बन्द कर सकते हैं । ऐसी स्थिति में भारत की खाद्य सुरक्षा में संकट उत्पन्न हो सकता है, खाद्यान्न महँगे हो सकते हैं और गरीबों के लिए भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । ऐसा यूरोपीय देशों में देखा भी गया है । अत : खाद्यान्न को भोजन व ईंधन की फसलों में संतुलन बनाए रखना होगा एवं जैव ईंधन से सम्बंधित फसलों को परती  (खाली पड़ी) जमीन में ही उपजाने के लिए प्रोत्साहन देना होगा ।

नवीकरणीय ऊर्जा संभावना

भारत में लगभग 900 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की सम्भावना है, जिसका व्यावसायिक स्तर पर दोहन किया जा सकता है । इसके अन्तर्गत पवन ऊर्जा (102 गीगावॉट), लघु जल विद्युत (20 गीगावॉट), जैव ऊर्जा (25 गीगावॉट) और सौर ऊर्जा (750 गीगावॉट) शामिल है । देश में नवीकरणीय ऊर्जा के आँकड़ों को नियमित तौर पर अद्यतन किया जाता है । राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (एनआईडब्ल्यूई) ने भारत की पवन एटलस का निर्माण किया है । इस संस्थान को पहले पवन ऊर्जा प्रौद्योगिक केंद्र के नाम से जाना जाता था ।

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