प्रमुख खनिज
लौह अयस्क
- भारत में एशिया का विशालतम लौह-अयस्क संरक्षित है । हमारे यहाँ चार प्रकार के लौह अयस्क पाए जाते हैं मैग्नेटाइट, हेमाटाइट, लिमोनाइट, सिडेराइट । इनमें हेमाटाइट एवं मैग्नेटाइट प्रमुख हैं ।
- लौह अयस्क उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में चौथा है ।
मैग्नेटाइट
- यह सर्वोत्तम प्रकार का लौह-अयस्क है । यह काले रंग का होता है तथा इसमें धातु की मात्रा 72% तक होती है ।
- भारत में यह मुख्यतः दक्षिण-पूर्वी सिंहभूम (झारखण्ड), बेल्लारी-हॉस्पेट (कर्नाटक), बरामजादा (उड़ीसा), बैलाडीला (छत्तीसगढ़) आदि जगहों पर पाया जाता है ।
हेमाटाइट
- यह लाल एवं भूरे रंग का होता है । इसमें धातु का अंश 60 से 70% के बीच होता है ।
- भारत का अधिकतर (लगभग 58%) लौह अयस्क इसी श्रेणी का है । यह मुख्यतः सिंहभूम (झारखण्ड), मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़ (उड़ीसा), कर्नाटक, गोआ आदि जगहों में पाया जाता है ।
लिमोनाइट
- यह प्रायः पीले रंग का होता है । इसमें धातु का अंश 10% से 40% तक होता है । पश्चिम बंगाल के रानीगंज क्षेत्र में इस प्रकार के लौह अयस्क मिलते हैं ।
सिडेराइट
- इसमें अशुद्धियाँ अधिक पायी जाती हैं । धातु का अंश 48% तक होता है । इसका रंग भूरा होता है । इसमें लोहा एवं कार्बन का मिश्रण होता है ।
- लिमोनाइट तथा सिडेराइट निम्न कोटि का लौह-अयस्क है ।
भारत में लौह अयस्क के क्षेत्र
छत्तीसगढ़
प्रमुख खनन केन्द्र
डल्ली-राजहरा (दुर्ग जिला)
बैलाडीला (दांतेवाड़ा जिला) -बैलाडीला से लौह अयस्क जापान को निर्यात किया जाता है ।
गोवा
- गोवा में साहक्वालिम, संग्यूम, क्यूपेम, सतारी, पौंडा, बिचोलिम प्रमुख लौह अयस्क खनन केन्द्र हैं ।
कर्नाटक
प्रमुख खनन केन्द्र - 1 . बाबाबूदन की पहाड़ी एवं कुद्रेमुख क्षेत्र (चिकमंगलुर) ।
2 . बेल्लारी, हॉस्पेट एवं संदूर (बेल्लारी जिला) ।
3 . शिमोगा एवं चित्रदुर्ग जिला ।
झारखण्ड
प्रमुख केन्द्र-नोआमुंडी, गुआ, जामदा, किरीबुरु (पश्चिमी सिंहभूम जिला)
उड़ीसा
प्रमुख खनन केन्द्र - 1 . गुरुमहिषानी, सुलईपत, बदाम पहाड़ी (मयूरभंज जिला)
2 . क्योंझर
3 . बोनाई (सुंदरगढ़)
महाराष्ट्र
प्रमुख खनन केन्द्र-चन्द्रपुर, रत्नागिरि एवं भंडारा जिला ।
आन्ध्र प्रदेश
प्रमुख खनन केन्द्र-करीमनगर, वारंगल, कुर्नूल, कुडप्पा, अनंतपुर ।
तमिलनाडु
प्रमुख खनन केन्द्र-1. तीर्थमल्लई पहाड़ी (सेलम जिला) ।
2 . यादपल्ली, किल्लीमल्लई (नीलगिरि) ।
लौह अयस्क के संचित भंडार का क्रम (राज्यवार)
- कर्नाटक (सबसे बड़ा)
- उड़ीसा
- झारखंड
- छत्तीसगढ़
लौह अयस्क का उत्पादन क्रम (राज्यवार)
i . उड़ीसा (सबसे बड़ा)
ii. गोवा
iii. कर्नाटक
IV . छत्तीसगढ़
भारत का 95% हेमेटाइट संसाधन मुख्यतः उड़ीसा, झारखंड, कर्नाटक एवं गोवा में वितरित है । मैग्नेटाइट संसाधन 10,619 मिलियन टन है, जिनमें से 59 मिलियन टन संरक्षित भाग है जो मुख्यतः गोवा, राजस्थान एवं झारखंड में स्थित है, शेष 10,560 मिलियन टन (99%) मैग्नेटाइट शेष संसाधन वर्ग में है जो मुख्यतः कर्नाटक (74%) एवं आंध्र प्रदेश (14%) में है ।
मैंगनीज
- भारत में इसका प्रयोग मुख्य रूप से अपघर्षण एवं जंगरोधी इस्पात बनाने, लोहे और मैंगनीज के मिश्रधातु बनाने, शुष्क बैटरी, रंग एवं काँच उद्योग में किया जाता है ।
- भारत का 90% मैंगनीज धारवाड़ शैल-समूह के गोंड़ाइट तथा कोडुराइट श्रृंखला में पाया जाता है । महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश दोनों मिलकर देश के लगभग आधे मैंगनीज का उत्पादन करते हैं । मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर देश की सबसे महत्वपूर्ण मैंगनीज पेटी पायी जाती है । इसका विस्तार मध्य प्रदेश के बालाघाट-छिंदवाड़ा से लेकर महाराष्ट्र के नागपुर एवं भंडारा जिले तक है ।
प्रमुख क्षेत्र :
- उड़ीसा- क्योंझर, सुंदरगढ़, बोनाई, कालाहांड़ी, कोरापुट ।
- मध्य प्रदेश – बालाघाट, छिंदवाड़ा ।
- महाराष्ट्र- नागपुर, भंडारा एवं रत्नागिरि जिला ।
- कर्नाटक- बेल्लारी, शिमोगा, उत्तरी कन्नड़ ।
- आन्ध्र प्रदेश – विजयनगर, आदिलाबाद ।
- . झारखण्ड – पश्चिमी सिंहभूम ।
- राजस्थान-बॉसवाड़ा, उदयपुर ।
- गुजरात-बड़ोदरा एवं पंचमहल क्षेत्र ।
मैंगनीज के संचित भंडार का क्रम (राज्यवार)
- उड़ीसा
- कर्नाटक
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
मैंगनीज का उत्पादन क्रम (राज्यवार)
- मध्य प्रदेश (25.04%)
- उड़ीसा (24.75%)
- महाराष्ट्र (24.26%)
- कर्नाटक (12.83%)
बॉक्साइट
- बॉक्साइट अयस्क का प्रयोग एल्युमीनियम बनाने, चमड़ा रंगने, पेट्रोल एवं नमक साफ करने में किया जाता है । भारत में यह क्रिटेशस युगीन संरचना में पाया जाता है । इसकी उत्पत्ति का संबंध क्रिटेशस युगीन चट्टानों के लैटेराइजेशन से है ।
प्रमुख क्षेत्र
उड़ीसा
- कालाहांडी, रायगढ़, कंधामल तथा कोरापुट जिला ।
- उड़ीसा के बोलांगीर एवं सम्बलपुर में उच्च कोटि के बॉक्साइट के दो विशाल संचित भंडार मिले हैं ।
- उड़ीसा के पंचपत्तमल्ली (कोरापुट जिला) एवं गंधमर्दन (बोलांगीर एवं बारगढ़ जिला का सीमांत क्षेत्र) क्षेत्र बॉक्साइट उत्पादन हेतु प्रसिद्ध हैं ।
आन्ध्र प्रदेश
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र ।
मध्य प्रदेश
- कटनी-जबलपुर-बरगावान पहाड़ी क्षेत्र ।
- अमरकंटक-शहडोल क्षेत्र तथा मांडला जिला ।
झारखण्ड
- पलामू एवं लोहरदग्गा जिला ।
- इस क्षेत्र में बगड़, पहाड़, पकरी, सेरेंदागा, खमार, बनजारी प्रमुख खनन केन्द्र हैं ।
छत्तीसगढ़
- बस्तर, बिलासपुर, सरगुजा जिला ।
गुजरात
- जामनगर, कच्छ एवं जूनागढ़ ।
तमिलनाडु
- सेलम (शिवराय पहाड़ी) एवं नीलगिरि ।
बॉक्साइट का संचित भंडार क्रम (राज्यवार)
- उड़ीसा (देश का आधा से अधिक भंडार संचित)
- आन्ध्र प्रदेश (देश का 1/5 भाग संचित)
- गुजरात
- छत्तीसगढ़
बॉक्साइट का उत्पादन क्रम (राज्यवार)
- उड़ीसा
- गुजरात
- महाराष्ट्र
- छत्तीसगढ़
ताँबा
- ताँबा का प्रयोग बिजली के तार, मशीन, रेडियो, टेलीफोन, मिश्र धातु, आदि बनाने में किया जाता है ।
- भारत में ताँबा प्राचीन रवेदार कुडप्पा एवं अरावली संरचना में पाए जाते हैं ।
ताँबा उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र
झारखण्ड
- मोसाबनी, राखा, सोनामाखी, घाटशिला, पथरगोड्डा, सुरदा (पूर्वी सिंहभूम जिला) ।
राजस्थान
- खेतड़ी का मंडन-कुंदन क्षेत्र (झुंझनूं जिला), खो-दरीबा क्षेत्र (अलवर जिला)
आन्ध्र प्रदेश
- अग्निगुंडाला क्षेत्र (गुंटुर जिला)
मध्य प्रदेश
- मलजखंड क्षेत्र (बालाघाट जिला)
सिक्किम
घाटशिला, खेतड़ी, मलजखंड में खनन के अलावा ताम्रशोधन केन्द्र भी हैं ।
ताँबा संचित भंडार क्रम (राज्यवार)
- राजस्थान (लगभग आधा)
- मध्य प्रदेश (लगभग 1/3)
- झारखण्ड (लगभग 1/6)
- कर्नाटक
ताँबा उत्पादन क्रम (राज्यवार)
- मध्य प्रदेश (60%)
- राजस्थान (28%)
- झारखण्ड (12%)
- भारत में ताँबे की कमी है ।
- U. S. A.,कनाडा, जाम्बिया आदि देशों से इसका आयात किया जाता है ।
अभ्रक
- भारत में विश्व के लगभग 60% अभ्रक का उत्पादन होता है । अभ्रक आग्नेय एवं कायान्तरित चट्टानों में शीट के रूप में पाया जाता है ।
- अभ्रक के तीन प्रकार हैं-
- रूबी अभ्रक, सफेद अभ्रक
- मस्कोवाइट अभ्रक, हल्का गुलाबी
- बायोटाइट अभ्रक, काला या गहरे रंग का अभ्रक ।
अभ्रक के क्षेत्र
झारखण्ड
बिहार
- नवादा-गया क्षेत्र में जो कोडरमा से सटा है ।
आन्ध्र प्रदेश
राजस्थान
- जयपुर,उदयपुर एवं भीलवाड़ा जिला ।
अभ्रक संचित भंडार क्रम (राज्यवार)
- राजस्थान (देश का लगभग आधा)
- आन्ध्र प्रदेश (लगभग 28%)
- महाराष्ट्र (17%)
अभ्रक उत्पादन क्रम (राज्यवार)
- आंध्र प्रदेश (देश का लगभग 99%)
- राजस्थान
- झारखण्ड
सोना
- भारत का अधिकतर सोना धारवाड़ संरचना के शिष्ट शैलों की क्वार्ट्ज शिराओं में मिलता है । इसे 'धातु रेखा भंडार' कहा जाता है । देश का कुछ सोना नदियों के बालू में पाया जाता है । इन्हें प्लेसर भंडार कहते हैं ।
सोना उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र
कर्नाटक
- चैम्पियन एवं ओरोगन रीफ (कोलार जिला)
- ओकले रीफ (हट्टी क्षेत्र, रायचुर जिला)
- देश का लगभग 99% सोना कर्नाटक के खानों से प्राप्त होता है ।
आंध्र प्रदेश
- रामगिरि स्वर्ण क्षेत्र (अनंतपुर जिला)
- स्वर्ण रेखा (झारखंड), सोन, सिंधु (लद्दाख के पास) आदि नदियों के बालू (प्लेसर भंडार) से भी सोना प्राप्त किया जाता है ।
चाँदी
- चाँदी सामान्यतः जस्ता, शीशा एवं ताँबा आदि अयस्कों के साथ मिश्रित रूप में पायी जाती है । राजस्थान का जावर क्षेत्र, कर्नाटक का कोलार एवं चित्रदुर्ग क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश का कुडप्पा, गुंटूर एवं कुर्नूल क्षेत्र चाँदी के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध हैं
- वर्तमान में देश के 99% चाँदी का उत्पादन राजस्थान से हो रहा है ।
हीरा
हीरा के प्रमुख उत्पादन क्षेत्र
1 . मध्य प्रदेश-पन्ना जिला
2 . आन्ध्र प्रदेश
- (क) मुनीमाडुगु-बंगन पल्ले मिश्र पिंडाश्म (कुर्नूल जिला) ।
- (ख) वज़ करूर वक्री पाइप (अनन्तपुर जिला) ।
- (ग) कृष्णा नदी घाटी का रेतीला क्षेत्र ।
सीसा
- सीसा का मुख्य अयस्क 'गैलीना' है । यह चूना-पत्थर एवं बलुआ-पत्थर के परतदार चट्टानों में पाया जाता है ।
- सीसा उत्पादन हेतु राजस्थान का जावर क्षेत्र (उदयपुर जिला) प्रसिद्ध है ।
- देश में सीसे का सम्पूर्ण उत्पादन राजस्थान से होता है ।
जस्ता
- इसका उपयोग गेलवेलाइजेशन में, टायर एवं शुष्क बैटरी उद्योग में किया जाता है । राजस्थान का उदयपुर (मोछिया-मगरा क्षेत्र), राजसमन्द एवं चित्तौड़ प्रमुख जस्ता उत्पादक क्षेत्र हैं ।
- देश में जस्ते का लगभग संपूर्ण उत्पादन राजस्थान में ही होता है ।
क्रोमाइट
- भारत का लगभग 96%, कोमाइट गंडार उड़ीसा के कटक जिले में है । इस जिले का सुकिदा क्षेत्र उच्चकोटि के क्रोमाइट हेतु प्रसिद्ध है । क्योझर एवं कल धेनकलाल में भी सीमित मात्रा में क्रोमाइट मिलता है ।
- -कोमाइट के उपादन में उड़ीसा की भागीदारी लगभग 99% है । शेष उत्पादन कर्नाटक के हसन जिले से होता है ।
एस्बेस्टस
- ऐस्बेस्टस के उत्पादन हेतु राजस्थान का अजमेर, भीलवाड़ा, अलवर एवं उदयपुर क्षेत्र; आंध्र प्रदेश का कुडप्पा, अनंतपुर एवं महबूबनगर, झारखण्ड का सिंहभूम क्षेत्र प्रमुख है ।
चूना पत्थर
- चूना-पत्थर प्रायः कुडप्पा एवं विध्यन शैल-समूहों में मिलते हैं । इसका उपयोग मुख्यतः सीमेंट उद्योग में होता है । मध्य प्रदेश का सतना, जबलपुर, कटनी क्षेत्र छत्तीसगढ़ का रायपुर, महासमंद, दुर्ग एवं विलासपुर क्षेत्र; आन्ध्र प्रदेश का कुडप्पा, आदिलाबाद, करीमनगर, गुंटूर क्षेत्र; राजस्थान का चितोड़गढ़, अजमेर, सिरोही एवं उदयपुर क्षेत्र, गुजरात का जूनागढ़ एवं जामनगर क्षेत्र चूना-पत्थर उत्पादन हेतु प्रमुख हैं ।
- 2009-10 के खान मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चूना-पत्थर के उत्पादन में आंध्र प्रदेश (22%) का प्रथम स्थान है । इसके बाद क्रमशः राजस्थान (20%), मध्य प्रदेश (12%), गुजरात (9%) का स्थान है ।
डोलोमाइट
- यह चूनापत्थर एवं मैग्नीशियम का मिश्रण होता है ।
प्रमुख क्षेत्र
आंध्र प्रदेश – कुडप्पा, कुर्नूल, अनन्तपुर ।
उड़ीसा-सुंदरगढ़, सम्बलपुर, कोरापुट, बीरमित्रपुर ।
मध्य प्रदेश-झाबुआ, बालाघाट, जबलपुर ।
छत्तीसगढ – विलासपुर, दुर्ग ।
- डोलोमाइट के उत्पादन में छत्तीसगढ़ (30%) का प्रथम स्थान है । इसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश (26%) एवं उड़ीसा (19%) का स्थान है ।
जिप्सम
- इसका उपयोग मुख्यतः सीमेंट, प्लास्टर-ऑफ-पेरिस एवं उर्वरक के निर्माण में होता है ।
- जिप्सम के उत्पादन में राजस्थान (देश का 99% उत्पादन) का प्रथम स्थान तथा जम्मू-कश्मीर का द्वितीय स्थान है; गुजरात, तमिलनाडु अन्य उत्पादक राज्य हैं ।
प्रमुख उत्पादन केंद्र
राजस्थान-नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, गंगानगर जिला ।
जम्मू-कश्मीर-उड़ी, बारामूला, डोडा जिला ।
तमिलनाडु-त्रिरुचिरापल्ली, कोयम्बटूर जिला ।
संगमरमर
- यह एक कायान्तरित चट्टान है ।
- इसका उपयोग मुख्यतः भवन निर्माण में होता है ।
- इसके उत्पादन हेतु राजस्थान के नागौर जिले का मकराना क्षेत्र प्रसिद्ध है ।
- राजसमंद, जैसलमेर, अजमेर अन्य प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं । मध्य प्रदेश दूसरा प्रमुख उत्पादक राज्य है । यहाँ जबलपुर, बैतूल प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं । आन्ध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में भी संगमरमर का भंडार है ।
ग्रेनाइट
- ग्रेनाइट मुख्यतः तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और राजस्थान में मिलता है ।
स्लेटपत्थर
- यह मुख्यतः मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा में पाया जाता है ।
सैण्ड स्टोन (बलुआ पत्थर)
- यह राजस्थान में पाया जाता है ।
टंगस्टन
- टंगस्टन के उत्पादन हेतु राजस्थान का डेगाना खनन क्षेत्र (नागौर जिला) प्रसिद्ध है ।
टिन
- टिन के उत्पादन में छत्तीसगढ़ अग्रणी है ।
बैराइट्स
- आन्ध्र प्रदेश का मानागमपेट (कुड़प्पा जिला) विश्व का सबसे बड़ा बैराइट्स खनिज भंडार है ।
- आंध्र प्रदेश अकेले देश के 94% बेराइट्स का उत्पादन करता है ।
पाइराइट
- बिहार का रोहतास जिला इसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है । बिहार के अलावा पाइराइट झारखंड, राजस्थान, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश में मिलता है ।
रॉक साल्ट (सेंधा नमक)
- हिमाचल प्रदेश के मंडी (द्वांग और गूमा खनन क्षेत्र) में इसका उत्पादन होता है ।
फॉस्फेट खनिज
- इसका प्रयोग उर्वरक के रूप में होता है ।
- उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है ।
- इसके बाद क्रमशः उत्तराखंड, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश का स्थान है ।
- राजस्थान का उदयपुर, उत्तराखंड का देहरादून, मध्य प्रदेश का झबुआ और छतरपुर तथा उत्तर प्रदेश का ललितपुर जिला फॉस्फेट खनिज के लिए प्रसिद्ध है ।
ऐपाटाइट
- ऐपाटाइट के उत्पादन हेतु पश्चिम बंगाल का पुरूलिया जिला एवं आन्ध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम जिला प्रमुख है । एपेटाइट का 61% संचित भंडार पश्चिम बंगाल में है ।
कायनाइट
- यह एक गलनरोधी खनिज तत्व है । इसका उपयोग शीशा, सीमेंट एवं चीनी मिट्टी उद्योग में होता है । इसका सर्वाधिक उत्पादन झारखंड (83%) में होता है, अन्य उत्पादक राज्य में महाराष्ट्र (16%) एवं कर्नाटक प्रमुख हैं ।
काओलिन (चीनी मिट्टी)
- यह श्वेत रंग का खनिज है । इसका उपयोग चीनी मिट्टी (Porcelain) तथा बोन चाइना के निर्माण में किया जाता है ।
- 2009-10 के दौरान देश के 50% काओलिन का उत्पादन गुजरात से किया गया । केरल से 28% तथा राजस्थान से 13% काओलिन का उत्पादन हुआ ।
फायरक्ले (अग्नि-सह मिट्टी)
- इसका उपयोग मुख्यतः उच्च ताप सहने वाले ईंटों को बनाने में किया जाता है ।
- यह गोंडवाना संरचना में पाया जाता है ।
- झरिया (झारखंड), रानीगंज (पश्चिम बंगाल) के कोयला भंडारों, छत्तीसगढ़ के कोरबा इलाके तथा तमिलनाडु के न्येवेली लिग्नाइट क्षेत्र में यह पाया जाता है ।
फेल्सपार
फेल्सपार के प्रमुख भंडार गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हैं ।
कोरंडम
- इसका अधिकतर उत्पादन महाराष्ट्र में होता है ।
ग्रेफाइट
- उड़ीसा इसका मुख्य उत्पादक राज्य है ।
निकेल
- देश का करीब 92% (174.48 मिलियन टन) निकेल का भंडार उड़ीसा में और शेष 8% नागालैंड एवं कर्नाटक में है ।
एल्युमीनियम के प्रमुख अयस्क
1. बॉक्साइट
2. कोरंडम
3. फेल्सपार
4. क्रायोलाइट
5. ऐल्युनाइट
6. काओलीन