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गुजरात

अलाउद्दीन खिलजी ने 1297 ई. में रायकरण को पराजित कर गुजरात को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था। 1391 ई. में अंतिम सूबेदार जफर खां जो व्यावहारिक रूप से स्वतंत्र रहता आया था, सन 1401 ई. में औपचारिक रूप से दिल्ली सत्लनत की अधीनता त्याग दी और मुजफ्फर शाह की उपाधि धारण करके सुल्तान के रूप में गुजरात के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।

अहमदशाह प्रथम (1411-1441 ई.)

  • इसे ही गुजरात वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • उसने मालवा के शासक हुशंग शाह को पराजित किया। 1413 ई. में साबरमती नदी के किनारे अहमदाबाद नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाई। इस नगर की स्थापना असावल के प्राचीन नगर के स्थान पर की गई थी।
  • वह धार्मिक रूप से असहिष्णु था। मुसलमान इतिहासकारों ने सूफी संतों के प्रति निष्ठा और देवी-देवताओं की मूर्तियों का भंजन करने के प्रति उसके अतिशय उत्साह की प्रशंसा की है।
  • उसने सिद्धपुर के मंदिरों का विनाश किया। हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया। जो गुजरात में पहले कभी नहीं लगा था।
  • अहमदशाह ने इस्लामी और गुजरात के जैन स्थापत्य कला का समन्वय करके अनेक भव्य मस्जिदों, खानकाहों, मदरसों आदि का निर्माण करवाया। अहमदाबाद में उसके द्वारा बनवाया गया जामा मस्जिद प्रसिद्ध है।
  • अपने शासकीय कर्मचारियों को निष्ठावान बनाये रखने और सुल्तान के विरूद्ध एक जुट होने से रोकने के लिए अहमदशाह ने प्रशासन के आधे पदों पर स्वतंत्र मुसलमानों और शेष आधे पदों पर दासों की नियुक्ति किया।
  • कहा जाता है कि अहमदशाह एक प्रसिद्ध कवि भी था। मिस्र के प्रसिद्ध विद्वान बद्र-उद-दीन दामामीनी जिसने अहमद शाह के शासन काल में गुजरात की यात्रा की थी ने सुल्तान की प्रशंसा में लिखा है कि ‘‘वह सुल्तानों में विद्वान और विद्वानों का सुल्तान था।’’

गयासुद्दीन मुहम्मद शाह

  • मुहम्मद शाह ने अपने पिता की सैनिक प्रतिभा और सैनिक निपुणता नहीं थी। वह अत्यंत विलासी और कामुक होने के साथ-साथ उदार था।
  • लोग साधारणतः उसे जरबख्श अर्थात ‘स्वर्णदान करने वाला’ कहते थे। अपने मृदुल स्वभाव के कारण उसने करीम या दयालु की उपाधि अर्जित की

महमूद बेगड़ा (1459-1511 ई.)

  • महमूद बेगड़ा निस्संदेह अपने वंश का सबसे महानतम शासक था। 
  • उसने गिरिनार एवं चम्पानेर पहाड़ियों को जीता तथा गिरिनार पहाड़ियों की तलहटी में मुस्तफाबाद नामक नगर की स्थापना की। इन्हीं दोनों पहाड़ियों को जीतने के कारण उसे बेगड़ा की उपाधि मिली।
  • महमूद बेगड़ा ने मिस्र के सुल्तान कनसवा-अल-गौरी के साथ मिलकर भारतीय सागरों में पुर्तगालियों की बढ़ती शक्ति को दबाया।
  • उस काल के यात्री बारबोसा तथा बार्थेमा ने उसके बारे में अनेक रोचक बातें लिखी हैं। बार्थेमा ने महमूद का एक बहुत अनोखा रूप प्रस्तुत करते हुए लिखा है कि उसकी मूंछ इतनी लम्बी थी कि वह उन्हें अपने सर के पीछे बांधता था
  • पुर्तगाली यात्री बारबोसा ने उसके संबंध में लिखा है कि बचपन से ही उसे किसी जहर का नियमित रूप से सेवन कराया गया  था। अतः उसके हाथ पर यदि कोई मक्खी बैठ जाती थी तो, वह फूलकर तुरंत मर जाती थी। यह पेटू के नाम से प्रसिद्ध था
  • उसने चम्पानेर के निकट एक विशाल बाग-ए-फिरदौस (स्वर्गिक उपवन) की स्थापना की।
  • संस्कृत का विद्वान कवि उदयराज उसका दरबारी कवि था। उसने सुल्तान की प्रशंसा में महमूद चरित नामक काव्य की रचना की
  • अपने शासन के बाद के वर्षों में महमूद बेगड़ा ने द्वारका को फतह किया। इसका प्रमुख कारण समुद्री डाकू थे जो उस बंदरगाह से मक्का जाने वाले हज यात्रियों को लूट लेते थे। लेकिन इस अभियान में वहां के कई प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों को भी गिरा दिया गया।
  • 1508 में चैल के युद्ध में जूनागढ़ के गवर्नर और मिस्र के मामलुक सुल्तान द्वारा प्रेषित नौ सैनिक बेड़े ने पुर्तगालियों को पराजित किया।
  • बेगड़ा ने फारस, तुर्की, मिस्र आदि देशों के साथ घनिष्ठ कूटनीतिक संबंध स्थापित किये।

बहादुरशाह (1526-1537 ई.)   

  • यह गुजरात का अंतिम महान शासक था। उसके काल में गुजरात की शक्ति अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गई थी।
  • 1531 ई. में पुर्तगाली गवर्नर नुनो-द-कुन्हा ने गुजरात के शासनाधीन द्वीप पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण का बदला लेने के लिए बहादुरशाह ने तुर्की नौ सेना की सहायता से पुर्तगाली नौ सेना को दीव में पूरी तरह पराजित किया और पुर्तगालियों को युद्ध की क्षति से पूर्ति करने के लिए बाध्य किया।
  • हुमायूँ द्वारा गुजरात पर आक्रमण करने का मुख्य कारण यह था कि बहादुर शाह ने मुगलों के राजनीतिक शराणार्थियों को अपने दरबार में शरण प्रदान की थी।
  • 1535 ई. में मुगल बादशाह हुमायूं ने बहादुरशाह  को पराजित किया। 1537 ई. में पुर्तगालियों ने धोखे से बहादुरशाह की हत्या कर दी |

 

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