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हिन्दी

  • हिन्दी की उत्पत्ति - इसके  उत्पत्ति का समय 7वीं शताब्दी से 10वीं शताब्दी के मध्य ।
  • हिन्दी साहित्य के विकास का एक युग 1206-1318ई. था, जिसमें नरपति नल्हण तथा अमीर खुसरो प्रमुख कवि हुए।
  • भक्तिकाल (1300-1650ई.) में हिन्दी साहित्य के विकास की चरमावस्था दिखाई देती है। इस काल की सगुण और निर्गुण विचारधारा का अत्यधिक प्रभाव हिन्दी साहित्य पर पड़ा। निर्गुण कवि श्रेणी में कबीर (उलटबांसी परंपरा), नानक, रैदास, दादू ओर सुन्दरदास प्रमुख कवि हुए। सगुण संत कवि वर्ग में कृष्ण और राम की भक्ति परंपरा से संबद्ध कवि थे-तुलसीदास (रामचरितमानस), सूरदास (सूरसागर), विद्यापति इत्यादि। रहस्यवादी कवियों में मलिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत, नूर मुहम्मद ने इंद्रावती तथा उठमन ने चित्रावली की रचना की। अकबर के मनसबदार रहीम खानेखाना के दोहे हिन्दी साहित्य में आज  भी प्रतिष्ठित हैं।
  • सूफियों ने हिन्दी साहित्य के विकास को प्रोत्साहित किया था-मुल्ला दाउद का चंदायन, कुतुबन का मृगावती इत्यादि

बांग्ला साहित्य

  • बांग्ला साहित्य के विकास का आरंभिक दौर 10वीं और 12वीं शताब्दियों के मध्य चला। इस अंतराल में मुख्यतः लोकगीतों की रचना होती थी और इस पर सहज सम्प्रदाय का प्रभाव माना जाता है। चरयापद एक ऐसा ही लोकगीत था।
  • तुर्कों की बंगाल विजय के उपरांत, बांग्ला साहित्य के विकास का दूसरा नवीन लम्बा दौर 1250ई. से 1700ई. तक चला।
  • इस चरण में वस्तुतः तीन साहित्यिक विधाएं थीं-

वैष्णव भक्तिकाव्य

  • चण्डीदास बंगाल के (1500ई.) प्रथम प्रमुख वैष्णव भक्त कवि थे। चैतन्य महाप्रभु पर इनका प्रभाव था।

शास्त्रीय संस्कृत ग्रंथों का बांग्ला में अनुवाद 

  • बंगाल के शासक सुल्तान हुसैनशाह तथा नुसरत शाह ने बांग्ला साहित्य को संरक्षण दिया था। उनके शासनकाल में महाभारत को कवीन्द्र और श्रीकर नन्दी नामक कवियों ने बांग्ला में रूपांतरित किया। कृतिवास ओझा ने रामायण का तथा कासीराम ने महाभारत का अनुवाद किया था।

मंगल काव्य 

  • देवताओं के संघर्ष को केंद्र बनाकर मानवतावादी तत्व उजागर करने संबंधी साहित्य सर्जना भी हुई। माणिक दत्त और मुकुंदराम मंगल-काव्य के दो प्रमुख कवि थे।

गुजराती

  • मध्यकाल में गुजराती साहित्य के विकास के दो दौर देखे जा सकते हैं-1300-1450ई. तथा 1450ई. से आगे।
  • प्रारंभिक अवस्था में दो साहित्यिक शैलियां थीं-
  1.  प्रबंध या वर्णनात्मक काव्य: जिसके प्रमुख कवि श्रीधर व भीम हुए |
  2. मुक्तक या लघु कविता: जिसके प्रसिद्ध कवि राजशेखर, जगशेखर इत्यादि हुए। मुक्तक से कई अपश्रेणियां विकसित हुईं-फागु, वारामासी व छाप इत्यादि।
  • गुजराती साहित्य के विकास के दूसरे चरण में वैष्णव-आंदोलन का प्रभाव था। नरसिंह मेहता, भलन, आखो इत्यादि इस दौर के प्रमुख कवि हुए।

तेलुगू साहित्य

  • तेलुगू साहित्य का विकास 13वीं शताब्दी से आरंभ हुआ था। मध्ययुगीन तेलुगू साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता थी कि इस पर संस्कृत का प्रभाव बढ़ गया था। बड़े स्तर पर विभिन्न संस्कृत ग्रंथों का तेलुगू में अनुवाद किया गया।
  • 13वीं शताब्दी में तिकन्ना एक प्रमुख कवि हुए। 14वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के कवि ऐराप्रगदा ने साहित्य की चम्पूशैली (गद्य-पद्य मिश्रित शैली) की परपंरा को पोषित किया। इसी शैली में उन्होंने तेलुगू रामायण की रचना की। महाभारत के कुछ भाग और हरिवंश का भी उन्होंने तेलुगू अनुवाद किया।
  • श्रीनाथ ने नैषधचरितम् का तेलुगू अनुवाद किया। पोटाना ने भागवत पुराण का तेलुगू अनुवाद किया।
  • विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेवराय के समय तेलुगू साहित्य ने विशेष प्रगति की। स्वयं कृष्णदेवराय ने आमुक्तमाल्यदम् की रचना की। उसके दरबारी कवि आंध्रपितामह अलसानी पेद्दन ने मनुचरितम् की रचना की।
  • एक कवयित्री मोल्ला ने रामायण लिखी।

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