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कुषाण वंश

प्रथम शताब्दी ई. में कुषाणों ने एक ऐसे विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की, जिसमें उत्तरी भारत के अधिकांश भाग के अतिरिक्त मध्य एशिया के कुछ प्रदेश भी सम्मिलित थे। भारतीय संस्कृति के इतिहास में कुषाण काल का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कुषाणों के संरक्षण में भारत ने धर्म, कला, साहित्य, दर्शन आदि के क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति की। कुषाण शासकों के प्रयासों से ही भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के प्रसार के लिए मध्य तथा पूर्वी एशिया के द्वार खुले। कुषाणों ने उन परिस्थितियों में लगातार दो सदियों तक उत्तर भारत में शासन किया, जिन परिस्थितियों में शुंग, कण्व और सातवाहन स्थिर शासन के संचालन में असफल रहे थे।

कुजुल कडफिसस

  • भारत में कुषाणवंश का पहला विख्यात शासक कुजुल कडफिसस था।
  • शासनकाल के आरंभ में उसने काबुल घाटी के यूनानियों को पराजित किया तथा उसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। उसके बाद पार्थियनों (पह्लव) को पराजित कर उसने गांधार तथा दक्षिणी अफगानिस्तान पर भी अधिकार कर लिया।
  • इसने अपने सिक्कों को रोमन सम्राट ऑगस्टस के सिक्कों के अनुरूप जारी किया।
  • कुजुल कडफिसस 45 ई. से लेकर 78 ई. तक शासन किया। उसके राज्य में काबुल, गांधार, बैक्ट्रिया, बलूचिस्तान आदि प्रदेश सम्मिलित थे।
  • वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था ।

विम कडफिसस

  • कुजुल कडफिसस की 78 ई. में मृत्यु हो गई ओर इसके बाद उसका पुत्र विम कडफिसस शासक बना।
  • विम कडफिसस ने पंजाब, सिंध, कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भाग को कुषाण राज्य के अन्तर्गत ला दिया। कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि उसने कुषाण साम्राज्य को पूर्व में बनारस तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तारित कर दिया।
  • विम कडफिसस ने ‘देवपुत्र’ तथा ‘सम्राटों का सम्राट’ की उपाधि ली। उसके सिक्कों से यह ज्ञात होता है कि वह शैव मत का अनुयायी था और उसने 78 ई. से 110 ई. तक शासन किया।

कनिष्क

  • कनिष्क कुषाण-राजवंश का सबसे महान राजा था। कनिष्क के जीवन से संबद्ध कोई भी पुष्ट सामग्री नहीं प्राप्त हो पाई है। विभिन्न इतिहासकारों के विचार इस विषय पर भिन्न-भिन्न हैं।
  • कुषाण-लेखों से ज्ञात होता है कि कनिष्क काल के 98वें वर्ष में वासुदेव मथुरा पर शासन कर रहा था। परन्तु गुप्त अभिलेखों से निष्कर्ष निकलता है कि मथुरा इस समय गुप्तों के अधिकार में था।
  • विभिन्न मतांतरो के बावजूद 78ई. को ही कनिष्क के राज्यारोहण का समय मानना तर्क-संगत प्रतीत होता है। कनिष्क एक महान विजेता था। उसने कडफिसेस साम्राज्य को बहुत विस्तार प्रदान किया।
  • कनिष्क कुषाण वंश का महानतम शासक था। उसने 78 ई. में अपना राज्यारोहण किया तथा इसके उपलक्ष्य में शक संवत् चलाया। इसे वर्तमान में भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। यह चैत्र (22 मार्च अथवा 21 मार्च) से प्रारंभ होता है।
  • रोमन सम्राट की भांति कनिष्क ने ‘कैसर’ या ‘सीजर’ की उपाधि धारण की तथा शकों की भांति क्षत्रप शासन व्यवस्था लागू की
  • कनिष्क की प्रथम राजधानी ‘पेशावर’ (पुरूषपुर) एवं दूसरी राजधानी ‘मथुरा’ थी। कनिष्क ने कश्मीर जीतकर वहां ‘कनिष्कपुर’ नामक नगर बसाया।
  • कनिष्क ने बौद्ध धर्म का मुक्त हृदय से संपोषण एवं संरक्षण किया। उसके समय में कश्मीर के कुंडलवन में वसुमित्र की अध्यक्षता में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ। मौर्य वंशीय सम्राट अशोक के बाद कनिष्क ही बौद्ध धर्म का प्रबल समर्थक था।
  • कनिष्क ने अनेक बौद्ध विहारों, चैत्यों एवं स्तूपों का निर्माण करवाया; पुरूषपुर (पेशावर) स्तूप उसके समय का प्रसिद्ध स्तूप है।
  • इसके दरबार में पार्श्व, अश्वघोष, वसुमित्र तथा नागार्जुन जैसे विद्वान और चरक जैसे चिकित्सक विद्यमान थे।
  • कनिष्क कला एवं संस्कृति का महान संरक्षक था। उसके समय में मूर्तिकला की गांधार एवं मथुरा शैली का जन्म हुआ।
  • कनिष्क ने चीन से रोम को जाने वाली सिल्क मार्ग पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।
  • कनिष्क ने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर वहां के प्रसिद्ध विद्वान अश्वघोष, बुद्ध का भिक्षापात्र और एक अनोखा कुक्कुट प्राप्त किया था।
  • महास्थान (बोगरा) में पाई गई सोने की मुद्रा पर कनिष्क की एक खड़ी मूर्ति अंकित है।
  • मथुरा में कनिष्क की एक प्रतिमा मिली है, जिसमें उन्हें घुटने तक चोगा एवं पैरों में भारी जूते पहने हुए दिखाया गया है।
  • कनिष्क का चीन के शासक ‘पान चाओ’ से युद्ध हुआ था, जिसमें पहले कनिष्क की पराजय हुई तथा बाद में विजय।
  • कनिष्क को ‘द्वितीय अशोक’ कहा जाता है।
  • कनिष्क द्वारा जारी किये गये एक तांबे के सिक्के पर उसे बलिवेदी पर बलि देते दिखाया गया है।

कनिष्क के दरबार में संरक्षण प्राप्त विद्वान

अश्वघोष

  • वह चतुर्थ बौद्ध संगीति का उपाध्यक्ष तथा उच्चकोटि का साहित्यकार था।
  • ‘बुद्धचरित’ तथा सूत्रालंकार उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं।

नागार्जुन

  • वह दार्शनिक व वैज्ञानिक था। उसकी तुलना मार्टिन लूथर से की जाती है।
  • उन्होंने अपने ग्रंथ ‘माध्यमिक सूत्र’ में सापेक्षता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

वसुमित्र

  • चतुर्थ बौद्ध संगीति के अध्यक्ष थे।
  • उन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘महाविभाष्य शास्त्र’ की रचना की, जो बौद्ध जातकों पर टीका है।
  • इसे बौद्ध धर्म का ‘विश्वकोश’ कहा जाता है।

चरक

आयुर्वेद के आचार्य, कनिष्क के राजवैद्य।

 

हुविष्क

  • हुविष्क कनिष्क का उत्तराधिकारी था। उसने कश्मीर में हुविष्कपुर/हुष्कपुर नामक नगर की स्थापना करवाई, जिसका उल्लेख कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में किया गया है।
  • उसके सिक्कों पर शिव, स्कंद एवं विष्णु आदि देवताओं की आकृतियां उत्कीर्ण मिलती हैं।
  • वह संभवतः रूद्रदामन द्वारा पराजित हुआ और मालवा शकों के हाथ में चला गया।
  • कनिष्क कुल का अंतिम महान सम्राट वासुदेव था।

 

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