• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



चेदि वंश

  • प्रथम शताब्दी ई.पू. में कलिंग भारत के एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उदित हुआ और यहां चेदि वंश ने अपनी सत्ता स्थापित की। संभवतः महामेघवाहन चेदि राजवंश का संस्थापक था। 
  • उल्लेख्यनीय है कि चेदियों का अस्तित्व महाजनपदकाल में भी था और उस समय चेदि महाजनपद की राजधानी सोत्थवती थी। सोत्थवती को महाभारत में शुक्तिमती कहा गया है।
  • इन्हीं चेदियों ने संभवतः कलिंग में मौर्यात्तर काल में स्वतंत्र राजवंश की स्थापना की। चेदि राजवंश की स्थापना किसने की यह तो विद्वानों के बीच विवाद का विषय हे, परंतु खारवेल इस वंश का महानतम और एकमात्र उल्लेखनीय शासक था, इसमें कोई दो मत नहीं है।
  • खारवेल के विषय में जो विवरण प्राप्त होता है उसका आधार हाथीगुम्फा अभिलेख है। खारवेल एक महान विजेता था, लेकिन उसकी विजयों का कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ा। फलतः वह साम्राज्य-विस्तार में सफल नहीं हो सका।
  • खारवेल शातकर्णि का समकालीन था, इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हाथीगुम्फा अभिलेख का निर्माण कर ई.पू. प्रथम शताब्दी में ही उत्कीर्ण कराया गया होगा।
  • कतिपय मतभेदों के अतिरिक्त हाथीगुम्फा अभिलेख के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि कलिंग का राजा खारवेल एक महान विजेता तथा अपने समय का एक प्रभावशाली सम्राट था।
  • अभिलेख में कहीं भी खारवेल की पराजय का उल्लेख नहीं है। खारवेल ने शासक बनते ही काफी निर्माण कार्य करवाए थे और उसके बाद दिग्विजय की योजना बनाई थी। अभिलेख से यह भी ज्ञात होता है कि खारवेल ने शातकर्णि को भी पराजित किया था
  • उसने जनता के हित में भी कई कार्य किए। वह स्वयं एक दानी व्यक्ति तथा जैन धर्म का पोषक था। सारांश यह कि यदि हाथीगुम्फा अभिलेख को प्रामाणिक मान लिया जाय तो खारवेल चदि वंश का महत्वपूर्ण शासक था और वह प्रजा का पोषक भी था। उसके बाद सिकी महत्वपूर्ण चेदि शासक का उल्लेख प्राप्त नहीं होता है।

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....