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शक तथा पह्लव

       भारत में शकों तथा पह्लवों ने लम्बी अवधि तक शासन किया। उन्होंने समय-समय पर भारतीय राज्यों को परेशान किया तथा भारतीय राजनीति और संस्कृति को एक नई दिशा प्रदान की। इन्होंने भारत में उस समय राज्य स्थापित किया, जब मौर्य साम्राज्य के विघटन के बाद राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई थी।

       शकों तथा पह्लवों का इतिहास जानने के लिए हमें मुख्य रूप से चीनी साहित्य पर निर्भर रहना पड़ता है। ‘सिएन-हान-शू’ (पान-कू) और ‘हाऊ-हान-शू’ (फान-ए) नामक चीनी ग्रंथों के अध्ययन से यू-ची, हूण तथा पार्थियन जाति के साथ शकों के संघर्ष तथा उनके राज्य-विस्तार की जानकारी मिलती है। भारत में शासन करने वाले शकों तथा पह्लवों की जानकारी के लिए अनेक प्रकार के अभिलेख तथा सिक्के प्राप्त हैं। जिन अभिलेखों से इनके संबंध में हमें महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं, उनमें प्रमुख हैं-

    • राजवुल का मथुरा सिंह-शीर्ष स्तंभलेख।
    • शोडास का मथुरा दानपत्र लेख।
    • नहपान के नासिक के गुहालेख।
    • नहपान का जूनागढ़ अभिलेख।
    • उषावदात्त का नासिक गुहालेख।
    • रूद्रदामन् का अन्धौ अभिलेख।
    • रूद्रदामन का गिरनार अभिलेख।
    • गोंदोफर्नीज का तख्ते-बाही अभिलेख।

        इन अभिलेखों के अतिरिक्त पश्चिमी भारत में शकों के अनेक सिक्के भी प्राप्त हुए हैं। रामायण तथा महाभारत में यवन तथा पह्लवों के साथ शकों का भी उल्लेख हुआ हैं। कात्यान स्मृति, मनुस्मृति, महाभाष्य (पतंजलि), पुराण, गार्गी संहिता, देवीचंद्रगुप्तम् (विशाखदत्त), हर्षचरित (बाणभट्ट), काव्य मीमांसा (राजशेखर), कालकाचार्य कथानक आदि में भी शकों का उल्लेख मिलता है। भारतीय साहित्य में शकों के राज्य को ‘शकद्वीप’ अथवा ‘शकस्थान’ की संज्ञा दी गयी है

शक

  • शक मूलतः सीरिया के उत्तर में निवास करने वाले थे। शक बोलन दर्रे से भारत में आए।
  • भारतीय स्रोतो में शकों को ‘सीथियन’ कहा गया है।
  • शक पांच शाखाओं में विभक्त थे-
    • अफगानिस्तान में
    • पंजाब में (राजधानी - तक्षशिला)
    • मथुरा में
    • पश्चिमी भारत में
    • ऊपरी दक्कन में
  • पश्चिमी क्षत्रपों में क्षहरात वंश (नासिक) का नहपान तथा कादर्मक वंश (उज्जैन) का रूद्रदामन सबसे प्रसिद्ध शासक थे।

प्रमुख शासक

मोगा/माउस

  • तक्षशिला के शासकों में मोगा/माउस प्रमुख था। उसे प्रथम शक शासक माना जाता है।
  • उसके अनेक सिक्के प्राप्त हुए हैं।

नहपान

  • महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्र के शक शासकों में क्षहरात वंश का नहपान सबसे प्रसिद्ध था।
  • सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी से वह पराजित हुआ था।
  • नहपान के सिक्कों पर उसके लिए ‘राजा’ संबोधन हुआ है। उसके सिक्के अजमेर से नासिक तक मिलते हैं।

रूद्रदामन प्रथम

  • भारत में शकों का सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा रूद्रदामन प्रथम (130-150 ई0) हुआ। उसके राज्याधिकार में सिंध, कोंकण, नर्मदा घाटी, मालवा, काठियावाड़ और गुजरात का एक बड़ा भाग था।
  • रूद्रदामन ने सुदर्शन झील (गुजरात) का जीर्णाद्धार किया। इस झील का निर्माण मौर्य काल में हुआ था। उसके समय सौराष्ट्र प्रांत का शासक सुविशाख था।
  • रूद्रदामन संस्कृत का बड़ा प्रेमी था। उसने ही सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में जूनागढ़ अभिलेख जारी किया।

शक वंश का अंतिम शासक रूद्रसिंह तृतीय था। गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादिय’ ने उसे पराजित कर पश्चिमी क्षत्रपों के राज्य को अपने साम्राज्य मे मिला लिया।

 

पह्लव वंश या पार्थियन साम्राज्य

  • पार्थियन लोगों का मूल निवास स्थान ईरान था।
  • पश्चिमोत्तर भारत में शकों के आधिपत्य के बाद पार्थियन लोगों का आधिपत्य हुआ।
  • भारत में पार्थियन साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक मिथ्रेडेट्स प्रथम (171-130 ई.पू.) था।
  • पह्लव वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक गोण्डोफर्नीज (20-41 ई) था। खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण तख्तेबही अभिलेख में उसे गुदुव्हर’ कहा गया है। फारसी में उसका नाम बिंदफर्ण’ है, जिसका अर्थ है-‘यश विजयी’।
  • इस साम्राज्य का अंत कुषाणों के द्वारा हुआ।

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