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केंद्रीय सतर्कता आयोग

संसद द्वारा बनाई गयी संथानम समिति (1962-64) की सिफ़ारिशों के आधार पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वर्ष 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग  का गठन किया  गया । मूलत: यह आयोग न तो संवैधानिक संस्था थी न ही सांविधिक संस्था, इसे सितम्बर, 2003 में संसद द्वारा पारित अधिनियम के अंतर्गत सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया ।

वर्ष 2004 में केंद्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार के खुलासे तथा उस पर कार्यवाही  करने हेतु एक अभिकरण बनाया गया जिसे Whistle Blower के नाम से जाना जाता है ।

संरचना

केंद्रीय सतर्कता आयोग एक बहु-सदस्यीय निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष  (आयुक्त) व दो या दो से कम सतर्कता आयुक्त होते है ।

नियुक्ति

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है इस समिति में निम्न सदस्य होते है —प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता

कार्यकाल

आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु जो जो भी पहले पूर्ण हो निर्धारित किया गया है तथा सेवानिवृति के बाद वें केंद्र अथवा राज्य सरकार के अधीन नियोजन के पात्र नहीं होंगे ।

निष्कासन की प्रक्रिया

राष्ट्रपति द्वारा आयोग के सदस्यों को निम्न परिस्थिति में किसी भी समय हटाया जा सकता है —

  • वह दिवालिया हो जाए ।
  • वह अपने कार्यकाल के दौरान किसी आर्थिक नियोजन में लगा हो ।
  • मानसिक या शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो ।
  • न्यायालय द्वारा किसी अपराध में दोषी साबित हो ।

        राष्ट्रपति द्वारा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को कदाचार  व अक्षमता के आधार पर भी हटाया जा सकता है , किंतु इस स्थिति में उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच होने पर तथा आरोपों के सही पाएं जाने पर उच्चतम न्यायालय की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा अध्यक्ष व सदस्यों को उनके पद से हटाया जा सकता है ।

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