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संघ लोक सेवा आयोग

 संघ लोक सेवा आयोग एक स्वतंत्र व संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) है । इसका उल्लेख संविधान के भाग – 14 में अनु० – 315 से 323 के मध्य  इसकी स्वतंत्रता, कार्य, व शक्तियों आदि का वर्णन  किया गया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315(1) के अनुसार संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होता है । अनुच्छेद 315 (2) में यह प्रावधान है कि दो या दो से अधिक राज्य  मिलकर एक संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग रख सकते हैं अनुच्छेद 315 (5) का कहना है कि राष्ट्रपति के अनुमोदन से संघ लोक सेवा आयोग भी किसी राज्य के राज्यपाल के अनुरोध पर राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है ।

नियुक्ति 

संविधान के अनुच्छेद 316(1) की अनुसार संघ लोक सेवा आयोग तथा संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है संघ लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष तथा अन्य सदस्य होते हैं । राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है । अनुच्छेद 316 का विधान है कि संघ लोक सेवा आयोग को कम से कम आधे सदस्यों को कम से कम 10 वर्षों की सरकारी सेवा का अनुभव होना चाहिए ।

अवधि 

संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों का कार्यकाल  ग्रहण करने की तारिख से 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक होता है । राज्य लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों का कार्यकाल भी 6 वर्ष के लिए निर्धारित किया गया है परंतु अवकाश की अधिकतम आयु 62 वर्ष है ।

 पदमुक्ति 

 संविधान के अनुच्छेद 317 में आयोग की सदस्य पद मुक्त करने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है आयोग के सदस्यों को कथित दुराचार के लिए राष्ट्रपति के आदेश द्वारा पद मुक्त किया जा सकता है । संविधान में दुराचार की प्रक्रिया को प्रमाणित करने का प्रावधान उपलब्ध है  दुराचार से  संबंधित मामला राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के पास भेजता है । संविधान के अनुच्छेद-145  के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय मामले की जांच कर के राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजता है और उसी रिपोर्ट के आधार पर सदस्यों को पद मुक्त किया जा सकता है यदि राष्ट्रपति चाहे तो जांच प्रक्रिया के दौरान  संबद्ध सदस्य को निलंबित कर सकता है ।

 लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को राष्ट्रपति निम्नलिखित आधारों पर पद मुक्त कर सकता है-

  • यदि वह दिवालिया हो,
  • यदि उसने अपने कार्यकाल के दौरान कोई अन्य संवैधानिक पद ग्रहण कर लिया हो,
  • यदि वह राष्ट्रपति की दृष्टि में मानसिक अथवा शारीरिक दुर्बलता के कारण अपने कर्तव्यों का निर्वाह में असमर्थ हो,
  • अनुच्छेद 317 के प्रावधान के अनुसार यदि उस व्यक्ति ने किसी लाभ प्राप्ति हेतु सरकार के निर्देशन में कोई समझौता कर लिया हो ।

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की पद मुक्ति के संदर्भ में भी उपर्युक्त से प्रावधान भी लागू होता है राज्यपाल अध्यक्ष या सदस्यों को निलंबित कर सकता है ऐसा तभी संभव है जब सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट राष्ट्रपति के पास भेजी जा चुकी हो ।

 इसके अतिरिक्त संघ लोक सेवा आयोग या संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य राष्ट्रपति को तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अथवा सदस्य राज्यपाल को  अपना त्यागपत्र देने पर ही  पद मुक्त हो सकते हैं ।

वेतन एवं सेवा शर्तें 

        आयोग के सदस्यों के वेतन भत्तों और अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्रदान किया गया है । किसी सदस्य के वेतन भत्तों एवं सेवा की अन्य शर्तों को सेवा अवधि के दौरान नहीं बदला जा सकता है । संविधान के अनुच्छेद, 322 के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्यों के वेतन भत्ते तथा पेंशन भारत की संचित निधि या राज्य की संचित निधि के दिए जाते हैं ।   राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है अपनी सेवा अवधि की समाप्ति के बाद भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य आयोग का अध्यक्ष या राज्य आयोग का अध्यक्ष बन सकता है । संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष भारत सरकार के अधीन कोई नियुक्ति नहीं पा सकता है ।

कार्य 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 320 के अनुसार संघ और राज्य लोक सेवा आयोग की निम्नलिखित कार्य है-

  • सरकार और राज्य सरकारों में नियुक्ति के लिए परीक्षा की योजना बनाना
  • राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल द्वारा दिए गए किसी विषय पर परामर्श देना
  • संसद या राज्य विधान मंडल द्वारा दिए गए अतिरिक्त कार्यों को करना जो कि संघ तथा राज्य लोक सेवाओं से संपन्न हो अनुच्छेद 322
  • संविधान के अनुच्छेद 323 के अनुसार राष्ट्रपति या राज्यपाल को प्रतिवर्ष वंशम संध्या राज्य की आयोग द्वारा किए गए कार्यों की रिपोर्ट देना
  • अनुच्छेद 320  दो के अनुसार यदि दो या अधिक राज्य संघ लोक सेवा आयोग को संयुक्त भर्ती के लिए आग्रह करें तो राज्यों को इस प्रकार की योजनाएं बनाने में सहायता करना

  संघ तथा राज्य सरकारों को निम्नलिखित मामलों पर आयोग के साथ परामर्श करना अपेक्षित है-

  • लोक सेवाओं में भक्ति के तरीकों के बारे में सभी मामलों का
  • लोक सेवाओं में नियुक्ति और पदों के लिए अपनाए जाने वाले सिद्धांतों पर और एक सेवा से दूसरे में स्थानांतरण और पदोन्नति के मामले में
  • अनुशासनात्मक मामलों में
  • कानूनी खर्चों में तथा  शासकीय सेवा में रहते हुए घायल हो जाने के कारण पेंशन देने के मामले में।

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