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अक्षांश, देशांतर व अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा 

सामान्य परिचय

  • पृथ्वी के तल पर किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश एवं देशांतर के अध्ययन द्वारा ही किया जाता है।
  • अक्षांश और देशांतर का निर्धारण (मापन) कोणीय रूप में किया जाता है।
  • पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूर्णन करने से दो प्राकृतिक संदर्भ बिन्दु प्राप्त होते हैं, जिन्हें उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव के रूप में जाना जाता है।
  • अक्षांशों को 00 (विषुवत रेखा) से 900 (ध्रुव) के मध्य बांटा गया है जबकि देशांतरों का 00 (प्रधान याम्योत्तर रेखा) से 1800 (अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा) में विभाजन किया गया है।
  • दोनों ध्रुवों को एक काल्पनिक रेखा आपस में जोड़ती है जिसका मध्य बिन्दु पृथ्वी का ‘अक्ष’ कहलाता है। यह अक्षीय रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभक्त करती है।
  • दो अक्षांशों तथा दो देशांतरों के मध्य अवस्थित भाग को ‘ग्रिड’ कहते हैं।
  • अक्षांश और देशांतर रेखाएं एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।

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अक्षांश रेखाएं

  • विषुवत वृत्त के उत्तर की सभी अक्षांश रेखाओं को ‘उत्तरी अक्षांश रेखाएं’ तथा दक्षिण की सभी अक्षांश रेखाओं को ‘दक्षिणी अक्षांश रेखाएं’ कहते हैं इसलिये प्रत्येक अक्षांश के मान के साथ उसकी दिशा यानी उत्तर (N) या दक्षिण (S) लिखी जाती है।
  • उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में ‘चंद्रपुर’ तथा दक्षिण अमेरिका के ब्राजील में ‘बेलो होरिजोंटे’ दोनों ही 200 अक्षांश पर स्थित हैं, लेकिन चंद्रपुर की अवस्थिति 200 उत्तरी अक्षांश अर्थात 200N तथा बेलो होरिजोंटे की अवस्थिति को 200 दक्षिणी अक्षांश

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महत्वपूर्ण अक्षांश रेखाएं

भूमध्य रेखा/विषुवत रेखा

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  • भूमध्य रेखा पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव के मध्य, दोनों ध्रुवों से समान दूरी पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी को दो बराबर भागों (उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी गोलार्ध) में विभाजित करती है। इसे ‘शून्य डिग्री अक्षांश रेखा’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • विषुवत रेखा से दोनों ध्रुवों (उत्तरी एवं दक्षिणी) तक दोनों गोलार्धो में अनेक समानांतर वृत्तों का निर्माण होता है।
  • भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें पूरे वर्ष लगभग लम्बवत पड़ती हैं, जिससे भूमध्य रेखा पर अत्यधिक सूर्यातप की प्राप्ति होती है फलतः तापमान सदैव उच्च बना रहता है। इसी कारण यहां वार्षिक एवं दैनिक तापांतर बहुत कम रहता है।
  • भूमध्य रेखा पर पूरे वर्ष दिन एवं रात की अवधि बराबर होती है तथा शीत ऋतु का प्रायः अभाव पाया जाता है।
  • भूमध्य रेखा पर वर्ष में दो बार (21 मार्च एवं 23 सितंबर) सूर्य लम्बवत चमकता है।
  • भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल का मान न्यूनतम होता है जबकि ध्रुवों की ओर जाने पर यह मान क्रमशः बढ़ता जाता है। ध्रुवों पर यह सर्वाधिक होता है क्योंकि पृथ्वी ध्रुवों पर कुछ चपटी है, जिसके कारण पृथ्वी के केन्द्र से ध्रुवों की दूरी, भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम है।
  • भूमध्य रेखा एशिया महाद्वीप के द्वीपीय देशों, अफ्रीका महाद्वीप तथा दक्षिण अमेरिका महाद्वीप से गुजरती है।
  • अफ्रीका महाद्वीप में ‘कान्गो नदी’ (जायरे नदी) भूमध्य रेखा को दो बार काटती है।
  • भूमध्य रेखा केन्या, युगांडा एवं तंजानिया की सीमा पर अवस्थित ‘विक्टोरिया झील’ से होकर भी गुजरती है।

 

कर्क रेखा/कर्क वृत्त

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  • कर्क रेखा उत्तरी गोलार्द्ध में विषुवत रेखा से 23डिग्री 30 मिनट उत्तर की कोणीय दूरी पर स्थित है।
  • कर्क रेखा एशिया, अफ्रीका तथा मध्य अमेरिका से होकर गुजरती है।
  • कर्क रेखा निम्न जलीय क्षेत्रों-हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, ताइवान जलसंधि, लाल सागर तथा मेक्सिको की खाड़ी से भी होकर गुजरती है।
  • कर्क रेखा मिस्र के नासिर झील से होकर गुजरती है तथा भारत में माही नदी इसको दो बार काटती है।

 

मकर रेखा/मकर वृत्त

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  • यह दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। विषुवत रेखा से 23डिग्री 30 मिनट  दक्षिण की कोणीय दूरी मकर रेखा/वृत्त को प्रदर्शित करती है।
  • यह दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया महाद्वीप से होकर गुजरती है।

 

आर्कटिक वृत्त

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  • विषुवत रेखा से 66 डिग्री 30मिनट  उत्तर की कोणीय दूरी आर्कटिक वृत्त के रूप में जानी जाती है।
  • आर्कटिक वृत्त आर्कटिक महासागर, कनाडा, ग्रीनलैंड, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का क्षेत्र), नाॅर्वे, स्वीडन और फिनलैंड से होकर गुजरती है जबकि आइसलैंड इसके दक्षिण में अवस्थित है।
  • यह वृत्त कनाडा के ग्रेट बियर झील से होकर भी जाती है।
  • आर्कटिक वृत्त के क्षेत्रों पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं अतः यह अत्यधिक शीतल जलवायु वाला प्रदेश है।

 

अंटार्कटिक वृत्त

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  • विषुवत रेखा से 66 डिग्री 30मिनट  दक्षिण की कोणीय दूरी अंटार्कटिक वृत्त के रूप में जानी जाती है।
  • अंटार्कटिका का अधिकांश भाग सदैव बर्फ से ढका रहता है इसलिये इसे ‘सफेद महाद्वीप’ भी कहते हैं।

 

अश्व अक्षांश

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  • 300 से 350 उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य स्थित पेटियों को ‘अश्व अक्षांश’ कहा जाता है।
  • इन अक्षांशों में उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी मिलती है अर्थात यहां वायुमण्डल में स्थिरता और पवन संचार अत्यंत मंद होता है।
  • प्राचीन काल में जब घोड़े से लदे हुए जलयान इस पेटी में प्रवेश करते थे, तो शांत एवं अनिश्चित दिशा वाली पवनों के कारण उनके संचालन में कठिनाइयां आती थीं, जिस कारण जलयान को हल्का करने के लिए कुछ घोड़ों (अश्व) को सागर में फेंकना पड़ता था। इसी कारण इस पेटी को ‘अश्व अक्षांश’ कहा जाने लगा।

 

देशांतर रेखाएं

  • प्रधान याम्योत्तर के पश्चिम की सभी देशांतर रेखाओं को पश्चिमी देशांतर रेखाएं तथा पूर्व की सभी देशांतर रेखाओं को पूर्वी देशांतर रेखाएं कहते हैं।

प्रधान याम्योत्तर रेखा निम्न देशों/क्षेत्रों से होकर गुजरती है-

    • यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, फ्रांस (यूरोप)
    • घाना, अल्जीरिया, माली, टोगो, बुर्किना फासो (अफ्रीका)
    • अंटार्कटिका
    • शून्य डिग्री (00) देशांतर रेखा तथा 1800 देशांतर रेखा मिलकर पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती हैं। शून्य डिग्री देशांतर रेखा के पूर्व में पृथ्वी के आधे भाग को ‘पूर्वी गोलार्द्ध’ तथा पश्चिम के आधे भाग को ‘पश्चिमी गोलार्द्ध’ कहते हैं, जिन्हें क्रमशः ‘E’ (East) तथा ‘W’ (West) अक्षरों से व्यक्त किया जाता है।
    • प्रधान याम्योत्तर रेखा के पूर्व एवं पश्चिम में 1800 तक गणना की जा सकती है। 1800 पूर्वी देशांतर तथा 1800 पश्चिमी देशांतर रेखा एक ही रेखा पर स्थित होते हैं।
    • पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर 3600 घूमती है अर्थात वह एक घंटे में 150 तथा 4 मिनट में 10 घूमती है। इस प्रकार जब ग्रीनविच पर 12 बजते हैं तो 150 पूर्व में ‘1 घंटा’ आगे (15 x 4 = 60 मिनट या 1 घंटा) यानी 1 बजेंगे और पश्चिम में एक घंटा पीछे यानी 11 बजेंगे। इसी प्रकार जब ग्रीनविच पर दोपहर के 12 बजेंगे तो उसी समय 1800 देशांतर पर मध्य रात्रि होगी।
    • पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है। फलतः पूर्व की ओर बढ़ने पर प्रत्येक देशांतर पर समय 4 मिनट बढ़ता है तथा पश्चिम में जाने पर प्रत्येक देशांतर पर समय 4 मिनट घटता जाता है। अर्थात वे स्थान जो ग्रीनविच रेखा से पूर्व में हैं, उनका समय ग्रीनविच समय से आगे होता है तथा जो पश्चिम में हैं, उनका पीछे होता है।
  •    अक्षांश रेखाओं से भिन्न सभी देशांतर रेखाओं की लम्बाई समान होती है।

अक्षांश रेखा

देशांतर रेखा

विषुवत वृत्त से ध्रुवों तक स्थित सभी समानांतर वृत्तों को अक्षांश (समानांतर) रेखाएं कहा जाता है। अक्षांशों को अंश में मापा जाता है।

उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली 3600 रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहा जाता है। ये ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखाएं हैं।

 सभी अक्षांश वृत्त विषुवत वृत्त के   समानांतर होते हैं।

 सभी याम्योत्तर ध्रुवों पर मिलते हैं।

ग्लोब पर अक्षांश समानांतर वृत्त के समान प्रतीत होते हैं।

सभी याम्योत्तर वृत्त के समान प्रतीत होते हैं, जो ध्रुवों से गुजरते हैं।

दो अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी लगभग 111 किमी. होती है।

याम्योत्तरों के बीच की दूरी विषुवत वृत्त पर अधिकतम (111-3 किमी.) तथा ध्रुवों पर न्यूनतम (0 किमी.) होती है।

00 अक्षांश को विषुवत वृत्त एवं 900 डिग्री अक्षांश को ध्रुव कहा जाता है।

देशांतर 3600 के होते हैं, जो प्रमुख याम्योत्तर से पूर्व एवं पश्चिम दोनों ओर 1800 में विभाजित होते हैं।

 

 देशांतरों का उपयोग प्रमुख याम्योत्तर के सापेक्ष स्थानीय समय को निर्धारित करने में किया जाता है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा

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  • पृथ्वी पर समय के निर्धारण के लिए एक काल्पनिक रेखा, जो प्रशांत महासागर के मध्य 1800 देशांतर पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गई है, ‘अन्तर्राष्ट्रीय तिथि’ रेखा कहलाती है।
  • इस रेखा का निर्धारण सन 1884 में वाशिंगटन में सम्पन्न हुए सम्मेलन में किया गया।
  • 1800 देशांतर से पूर्व दिशा की ओर जाने पर एक दिन घटाना पड़ता है, जबकि पश्चिम दिशा की ओर जाने पर एक दिन जोड़ना पड़ता है।
  • एक ही स्थान की तिथि में भिन्नता/अन्तर से बचने के लिए इसे जलीय भाग से खींचा गया है तथा एक देश के स्थलों को एक साथ रखने के लिए इसे कई स्थानों से मोड़ा भी गया है, जैसे-साइबेरिया को विभाजित होने से बचाने एवं साइबेरिया को अलास्का से अलग रखने के लिए 750N अक्षांश से इसे पूर्व की तरफ मोड़ दिया गया है तथा बेरिंग सागर में इसे पश्चिम की ओर मोड़ा गया है। इसी प्रकार फिजी एवं न्यूजीलैंड के विभिन्न भागों को एक साथ रखने के लिए इसे पूरब की ओर मोड़ दिया गया है।

 

मानक समय/राष्ट्रीय मानक समय

  • यह किसी देश के मध्य से गुजरने वाली एक काल्पनिक याम्योत्तर रेखा का माध्य है, जिसके द्वारा स्थानीय समयों का निर्धारण होता है, जो पूरे देश में लागू होता है।
  • कुछ देशों का देशांतरीय विस्तार अधिक होने के कारण वहां सुविधा के लिए एक से अधिक मानक समयों को अपनाया गया है। उदाहरण के लिए रूस, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया में एक से अधिक मानक समयों को अपनाया गया है। भारत में भी पूर्वाेत्तर के कई राज्यों द्वारा दो समय मानकों की मांग की जा रही है।

 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

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  • यदि उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव को बिन्दु न मानकर रेखा माना जाए तो पृथ्वी पर कुल 181 अक्षांश रेखाएं होंगी और यदि बिन्दु माना जाए तो पृथ्वी पर कुल 179 अक्षांश रेखाएं है। (181 - 2 = 179)
  • 00C देशांतर के बाईं ओर, ‘पश्चिमी देशांतर’ तथा दाईं ओर ‘पूर्वी देशांतर’ होता है, जबकि 1800 देशांतर के बाईं ओर ‘पूर्वी देशांतर’ तथा दाईं ओर ‘पश्चिमी देशांतर’ होता है।
  • पृथ्वी पर खींचे गए अक्षांश वृत्तों में विषुवत वृत्त सबसे बड़ा होता है, जिसे ‘वृहद वृत्त’ कहते हैं। इसके अलावा सभी देशांतर रेखाओं को भी इसमें शामिल किया जाता है।
  • 0देशांतर रेखा 00 अक्षांश रेखा को गिनी की खाड़ी (अटलांटिक महासागर) में, कर्क रेखा को अल्जीरिया में, मकर रेखा को अटलांटिक महासागर में (नामीबिया के पश्चिम में) तथा आर्कटिक वृत्त को नार्वेजियन सागर में प्रतिच्छेदित करती है।
  • घाना की राजधानी ‘अक्रा’ 00 देशांतर (00 11' 48.84") पर ही स्थित है, साथ ही यह घाना की सबसे बड़ी झील (लेक वोल्टा) से होकर भी गुजरती है।

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