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पृथ्वी का निर्माण करने वाले पदार्थों की प्रकृति

  • पृथ्वी की उत्पत्ति में सम्मिलित पदार्थों के बारे में लोगों की राय में काफी मतभेद रहा है। उदाहरणार्थ, उपरोक्त सिद्धांतों में से अधिकांश सिद्धांतों में यह माना गया है कि प्रारंभ में पृथ्वी गर्म पदार्थ के रूप में उत्पन्न हुई थी जो बाद में ठंडी होती गई।
  • इस प्रकार पृथ्वी का ऊपरी भाग जो शीघ्रता से ठण्डा हुआ, ठोस भूपर्पटी में परिवर्तित हो गया। परन्तु आंतरिक भाग जहां से ऊष्मा हृास की दर धीमी है, आज भी तरल अथवा द्रव के रूप में है।
  • कुछ अन्य सिद्धांतों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति ठोस पदार्थ के रूप में हुई मानी जाती है। इस विचारधारा के अनुसार इसके आंतरिक भाग की ऊष्मा तथा तरल अवस्था का मुख्य कारण भूगर्भ में रेडियोधर्मी पदार्थों  का क्षय होना है। इसके अतिरिक्त ऊपरी परतों के दबाव से अंदर के पदार्थों  के पिघलने के परिणामस्वरूप भी पृथ्वी का आंतरिक भाग द्रव अवस्था में है।
  • ऐसा भी कहा जाता है कि पृथ्वी की उत्पत्ति छोटे-छोटे ठोस कणों से मिलकर एक बृहत रूप धारण करने से हुई है। इन कणों के परस्पर मिलकर बड़ा आकार धारण करने की इस प्रक्रिया में भी अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई जिससे पृथ्वी के आंतरिक भाग में उपस्थित चट्टानें पिघल कर तरल रूप में परिवर्तित  हो गई।
  • परन्तु यह निश्चित रूप से माना जा सकता है कि पृथ्वी की उत्पत्ति चाहे जिस प्रकार के पदाथ्र से हुई हो यह एक समय तरल अवस्था में अवश्य रही है। साथ ही पदार्थ के एकत्रीकरण की प्रक्रिया के साथ-साथ इस पदार्थ का घनत्व के आधार पर विभाजन अथवा विभेदात्मक वितरण भी हुआ है।
  • इस प्रकार पृथ्वी में अनेक परतें पाई जाती हैं जो अपने गुणों के कारण एक-दूसरे से पृथक मानी जाती है। इनके भौतिक तथा रासायनिक गुणों, मोटाई, घनत्व तापमान तथा धात्विक अंशों में भी अंतर पाए जाते हैं। पृथ्वी का धरातलीय भाग हल्के पदार्थों  से बना है।
  • पृथ्वी की वह परत जो कि सिलिका और एल्यूमीनियम जैसे कम घनत्व वाले खनिजों से बनी है सियाल कहलाती है। इससे नीचे की परत जो कि सिलिकेट और मैग्नीशियम के योग से बनी है सीमा कहलाती है। पृथ्वी का केन्द्रीय भाग भारी खनिजों जैसे निकेल तथा लोहे से बना है। इस भाग को निफे नाम दिया गया है। इस प्रकार पृथ्वी का विभिन्न परतों में विभाजन इन्हीं विषमताओं का परिणाम है। अधिकांश अनुमानों के अनुसार पृथ्वी की ठोस ऊपरी परत (भूपर्पटी) की उत्पत्ति 4.6 अरब वर्ष पूर्व मानी जाती है।

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