राष्ट्रीय महिला आयोग
- महिलाओं के अधिकारों एवं हितों की रक्षा की राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना में सभा ने राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अधीन की गई थी । आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता महिलाओं को त्वरित गति से न्याय दिलाना है ।
- प्रथम आयोग 31 जनवरी 1992 को श्रीमती जयंती पटनायक की अध्यक्षता में, द्वितीय आयोग जुलाई 1995 में डॉक्टर मोहिनी गिरी की अध्यक्षता में, तृतीय आयोग जनवरी 1999 में श्रीमती विभा पार्थसारथी की अध्यक्षता में, चौथा आयोग जनवरी 2002 में डॉ.पूर्णिमा आडवाणी की अध्यक्षता में तथा पांचवा आयोग फरवरी 2005 में श्री गिरिजा व्यास की अध्यक्षता में गठित किया गया ।
- राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष का मनोनयन सरकार द्वारा किया जाता है । अध्यक्ष के अतिरिक्त आयोग में पांच अन्य सदस्य होते हैं, जिनका मनोनयन केंद्र सरकार द्वारा योग्य न्यायविदों,ट्रेड यूनियनों, औद्योगिक क्षेत्र, महिलाओं से संबंधित शिक्षण संगठनों, प्रशासन, आर्थिक, विकास, स्वास्थ्य रक्षण अथवा सामाजिक क्षेत्रों से किया जाता है । इनमें से किसी एक सदस्य का अनुसूचित जाति एवं जनजाति से संबंधित होना अनिवार्य है |
राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रमुख रूप से निम्नलिखित कार्यों का निर्वहन किया जाता है-
शिकायतों को देखना तथा निम्नलिखित मामलों में नोटिस जारी करना-
- महिलाओं के कल्याण से संबंधित संविधान के अंतर्गत वर्णित प्रावधानों एवं अन्य कानूनों से संबंधित समस्त मामलों की जांच पड़ताल करना,
- प्रति वर्ष अथवा आयोग जब भी उचित समझे केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजना,
- अपनी रिपोर्ट के माध्यम से महिलाओं की दशा सुधारने के लिए संघ अथवा राज्य सरकारों द्वारा किए गए उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु आवश्यक सिफारिशें करना,
- महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन,
- महिला संरक्षण विकास एवं समानता संबंधी रक्षा उपायों का क्रियान्वयन ना होना तथा
- महिलाओं को सुरक्षा एवं संतुष्टि प्रदान करने वाले नीतिगत निर्णय आदेशों इत्यादि का क्रियान्वयन ना होना |
- महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास हेतु योजना प्रक्रिया में सहभागिता तथा परामर्श प्रदान करना,
- किसी भी राज्य अथवा संघ में महिलाओं के विकास का मूल्यांकन करना,
- महिलाओं की स्थिति पर सरकार के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करना,
- केंद्र सरकार द्वारा सौपे गए किसी मामले को देखना ।