मौर्य साम्राज्य (323 ई.पू.-1845ई.पू.)
मौर्य राजवंश के विषय में हमें जिन स्रोतों से जानकारी मिलती है, उनमें प्रमुख हैं- पुरातात्विक साक्ष्य, साहित्यिक साक्ष्य, विदेशी विवरण |
पुरातात्विक साक्ष्य
- इसमें अशोक के अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जिनसे हमें अशोक के शासन काल की लगभग समस्त जानकारी मिलती है।
- अशोक के अभिलेखों के अतिरिक्त शक महाक्षत्रप रुद्रदामन का जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख भी मौर्य इतिहास के विषय में सामग्री उपलब्ध कराता है । इसके अलावा काली पालिश वाले मृदभाण्ड तथा चांदी व तांबे के पंचमार्क (आहत सिक्के) से भी मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी मिलती है।
साहित्यिक साक्ष्य
- ब्राह्मण साहित्य में पुराण, कौटिल्य कृत अर्थशास्त्र, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, सोमदेव का कथासरित्सागर, क्षेमेन्द्र की वृहत्कथामंजरी तथा पंतजलि के महाभाष्य आदि से जानकारी मिलती है। इनमें ‘अर्थशास्त्र’ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जो मौर्य प्रशासन के अतिरिक्त चन्द्रगुप्त मौर्य के व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डालता है।
- बौद्ध ग्रन्थों में दीपवंश, महावंश टीका, महाबोधि वंश, दिव्यावदान आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं जो मौर्य साम्राज्य के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
- जैन ग्रन्थों में प्रमुख स्रोत ग्रन्थ हैं-भद्रबाहु का कल्पसूत्र एवं हेम चन्द्र का परिशिष्ट पर्व।
विदेशी विवरण
- स्ट्रैबो, कर्टियस, डिओडोरस, प्लिनी, एरियन जस्टिन, प्लूटार्क, नियार्कस, आनेसिक्रिटस व अरिस्टोबुलस आदि यूनानी क्लासिकल लेखकों के विवरण।
- स्ट्रैबो एवं जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को ‘सैण्ड्राकोट्स’, एरियन तथा प्लूटार्क ने एण्ड्रोकोट्स तथा फिलार्कस ने ‘सैण्ड्रोकोट्स’ कहा है।
- सर्वप्रथम विलियम जोन्स ने ही ‘सैण्ड्रोकोट्स’ की पहचान चन्द्रगुप्त मौर्य से की है।
- मेगस्थनीज कृत 'इंडिका' मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी प्रदान करने वाला प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा स्ट्रैबो,जस्टिन,प्लिनी,एरियन आदि का लेखन भी महत्वपूर्ण है।
पुरातात्विक साक्ष्य
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साहित्यिक साक्ष्य
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विदेशी विवरण
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- अशोक के अभिलेख
- रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख
- काली पॉलिश वाले मृद्भांड
- आहत मुद्राएँ
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- अर्थशास्त्र
- पुराण
- मुद्राराक्षस नाटक
- बौद्ध एवं जैन ग्रन्थ
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- मेगास्थनीज
- स्ट्रैबो
- कर्टियस
- प्लिनी आदि
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