मौर्य काल में प्रमुख धर्म थे- वैदिक धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म तथा आजीवक धर्म
मौर्य सम्राटों में-
चंद्रगुप्त मौर्य जैन धर्म का अनुयायी,
बिंदुसार आजीवक तथा
अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था, परन्तु अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णुता थी तथा किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं किया जाता था।
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपने शासनकाल में राजकीय संरक्षण दिया था।
मौर्य काल में भी वैदिक धर्म प्रचलित था, परन्तु कर्मकांड प्रधान वैदिक धर्म, अभिजात ब्राम्हण तथा क्षत्रियों तक ही सीमित थे।
जनसाधारण में नागपूजा का प्रचलन थ। मूर्तिपूजा भी की जाती थी। पतंजलि के अनुसार, मौर्य काल में देवमूर्तियां को बेचा जाता था। देवमूर्तियां को बनाने वाले शिल्पियों को ‘देवताकारू’ कहा जाता था।
अशोक तथा उसके पौत्र दशरथ ने कुछ गुफाएं आजीवकों को दान में दी थीं।
मेगस्थनीज ने धार्मिक व्यवस्था में डायोनिसस एवं हेराक्लीज की चर्चा की है, जिसकी पहचान क्रमशः शिव एवं विष्णु से की गई है।
अशोक के समय में पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अशोक ने 84 हजार स्तूपों का निर्माण करवाया।
चंद्रगुप्त मौर्य ने श्रवणबेलगोला में जाकर जैन प्रथा ‘सल्लेखना’ के अनुसार प्राण त्याग दिये।