संगम युग
ऐसा समय जब सम्पूर्ण भारत में मौर्य अपना विस्तृत साम्राज्य स्थापित करने में सफल हो रहे थे, ठीक उसी समय सुदूर दक्षिण में कृष्णा एवं तुंगभद्रा नदियों के आसपास तीन छोट-छोटे राज्य अस्तित्व में थे। मौर्य सम्राट अशोक के अभिलेखों, अर्थशास्त्र, क्लासिकल लेखकों के विवरण तथा तमिल साहित्य में इन राज्यों का उल्लेख चोल, चेर तथा पाण्ड्य के रूप में मिलता है। इन राज्यों के रोम के साथ प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंध थे।
संगम क्या है?
तमिल भाषा में संघ या परिषद् के लिए ‘संगम’ शब्द प्रयोग हुआ है। संगम तमिल कवियों, विद्वानों, आचार्यो, ज्योतिषियों तथा अन्य बुद्धिजीवियों की एक परिषद् थी, जिसे हम आधुनिक विद्वत् परिषद् की संज्ञा दे सकते हैं। इस परिषद् या संगम का गठन पाण्ड्य राजाओं के संरक्षण में किया गया था। पाण्ड्य राजाओं के संरक्षण में क्रमशः तीन संगमों का गठन किया गया था।
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