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संगमकालीन राज्य

अशोक के अभिलेख, कलिंगराज खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख, कात्यायन की रचना, मेगस्थनीज के उल्लेख आदि के अनुसार दक्षिण भारत में तीन स्वतंत्र राज्य अस्तित्व में थे-चोल, चेर एवं पाण्ड्य।

चोल राज्य

  •  संगमकालीन तीन प्रमुख राज्यों में सर्वप्रथम चोलों का अभ्युदय हुआ।
  • राज्य चिन्ह- बाघ (कूदता हुआ)
  • चोलों का उल्लेख सबसे पहले वैयाकरण कात्यायन  ने किया था।
  • आरंभ में चोल राज्य की राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। बाद में उरैयूर चोलों की राजधानी बन गयी।
  • प्राचीन चोलों का राज्य सुदूर दक्षिण में पेन्नार तथा दक्षिणी बेल्लारू नदियों के मध्यवर्ती भाग में स्थित था।
  • टॉलमी चोलों की दो शाखाओं का उल्लेख करता है-उत्तरी चोल राज्य और दक्षिणी चोल राज्य । उत्तरी चोल राज्य की राजधानी अर्काट थी, जबकि दक्षिणी चोल राज्य की राजधानी उरैयूर थी।
  •  विशेष रूप से दो उल्लेखनीय शासक हुए प्राचीन चोलों के-करिकाल और कोच्येगणान। करिकाल ने दूसरी सदी ईसवी के उत्तरार्द्ध (लगभग 190 ई0) में शासन किया था। करिकाल ने चोल राज्य का विस्तार किया, उसे सुदृढ़ता प्रदान की, अच्छी प्रशासनिक व्यवस्था लागू की और अन्य समकालीन दक्षिणी राज्यों के बीच चोल राज्य की श्रेष्ठता स्थापित की।

पाण्ड्य राज्य

  •  प्राचीन पाण्ड्य राज्य चोल राज्य के दक्षिण में कन्याकुमारी से लेकर कोरकै तक विस्तृत था। इस राज्य में मदुरई, तिरूनेवेल्ली, रामनाथपुरम् तथा तिरूचिरापल्ली के साथ-साथ त्रावणकोर राज्य के कुछ भाग भी सम्मिलित थे।
  • राजचिह्न -मत्स्य (मछली)
  • पाण्ड्यों की आरम्भिक राजधानी तिरूनेवेल्ली जिले में ताम्रपर्णी नदी के तट पर कोरकै थी। बाद में वैगाई नदी के तट पर स्थित मदुरई को पाण्ड्यों ने अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया।
  • बदिमबलनवन्नि  पाण्ड्यों का पहला ज्ञात शासक माना जाता है, किंतु पाण्ड्यों के शासकों में पहला उल्लेखनीय शासक हुआ नेडुंजेलियन। इसने ‘आर्य सेना का विजेता’ की उपाधि ली थी। इसके बाद तलैयालंगानम् शासक हुआ। पत्तुप्पात्तु के अनुसार नल्लिवकोडन संगम काल का अंतिम ज्ञात पाण्ड्य शासक था। ईस्वी वर्ष की तीसरी शताब्दी में आंध्र (सातवाहन) साम्राज्य के प्रसार तथा पल्लवों के उत्कर्ष से पाण्ड्यों की शक्ति क्षीण होने लगी।

चेर राज्य

  •  प्राचीन चेर राज्य में उत्तरी त्रावनकोर, कोचीन तथा दक्षिणी मालाबार के क्षेत्र सम्मिलित थे । बाद में चेरों ने अपने राज्य का विस्तार चोलों की सीमा पर स्थित कोल्लिमल्ले तक कर दिया। प्राचीन चेर राज्य की दो राजधानियां थीं-वंजि तथा तोण्डी।
  • राज्य चिन्ह - धनुष व तीर 
  •  चेरों का ज्ञात आरंभिक शासक उदियंजेरल था। 
  • पटित्तपत्तु के अनुसार उदियंजेरल वंश के तीन पीढ़ियों के कुल पांच शासकों ने 201 वर्ष तक शासन किया। इसके अतिरिक्त इसी वंश की एक अन्य शाखा के शासकों ने आगे 58 वर्षां तक शासन किया। पारी अंतिम ज्ञात चेर शासक था।

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