• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



भारत की प्रमुख खाद्यान फसलें

भारत की भौतिक संरचना,जलवायविक एवं मृदा संबंधी विभिन्नताओं के कारण यहाँ अनेक प्रकार के फसलों की कृषि की जाती    है । खाद्यान्न का अभिप्राय घास कुल (ग्रेमिनी) के उन पौधों से है,जिन्हें खाने के लिए उगाया जाता है । इन्हें तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं-

 

प्रमुख खाद्यान्न: इसके अन्तर्गत गेहूँ,धान एवं जौ को सम्मिलित किया जाता है ।

मोटे अनाज: इसके अन्तर्गत मक्का,ज्वार,बाजरा तथा मंडुआ आते हैं ।

लघु खाद्यान्न: इसके अंतर्गत मंडुवा या रागी,कोदो,साँवा,काकुन,चना तथा कुटकी को शामिल किया जाता है ।

चावल

  • यह ग्रेमिनी कुल की एक उष्णकटिबंधीय फसल है एवं भारत की मानसूनी जलवायु में इसकी अच्छी कृषि की जाती है । चावल हमारे देश की सबसे प्रमुख खाद्यान्न फसल है । गर्म  जलवायु हेतु उपयुक्त होने के कारण इसे खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है । देश में सकल बोई गई भूमि के 23% क्षेत्र में एवं खाद्यान्नों के अंतर्गत आने वाले कुल क्षेत्र में 47% भाग पर चावल की कृषि की जाती है ।
  • विश्व में चावल के अंतर्गत आने वाले सर्वाधिक क्षेत्र (28%) भारत में है जबकि उत्पादन में इसका चीन के बाद दूसरा स्थान है । कृष्णा गोदावरी डेल्टा क्षेत्र को भारत के चावल के कटोरे के नाम से भी जाना जाता  है । चावल के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं-
  • चिकनी उपजाऊ मिट्टी,गर्म जलवायु,75 सेमी. से 200 सेमी. तक वर्षा,प्रारंभ में तापमान 20°C तथा बाद में 27°c ।
  • भारत में चावल की तीन फसलें-अमन (शीतकालीन), ओस (शरदकालीन) तथा बोरो (ग्रीष्मकालीन) उगायी जाती हैं ।
  • देश में सबसे अधिक अमन का उत्पादन होता है जो जून से अगस्त तक बोकर नवम्बर से जनवरी तक काट ली जाती है । यहाँ विभिन्न राज्यों में उगायी जाने वाली चावल की कुछ विशेष  किस्में इस प्रकार हैं- साम्बा, कुरुवई (तमिलनाडु), कामिनी आलाजोरा,गोविदभोग (पश्चिम बंगाल),जरोसाल (गुजरात) बासमती (उत्तर प्रदेश)।
  • पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु में चावल को तीन फसलें उगाई जाती हैं-ओस (सितम्बर-अक्टूबर),अमन (जाड़ा) एवं बोरो (गर्मी) । कृषि निदेशालय द्वारा विकसित धान की प्रथम बौनी प्रजाति जया थी । राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र कटक (ओडिशा) में है ।
  • वर्तमान समय में चावल की अधिक उपज देने वाली कई किस्में विकसित की गई हैं, जैसे-, साकेत, सरजू, महसूरी, गोविन्द, पूसा-2,पूसा-33. गौरीश्वेता, चिंगम, धनु,-204.GR8, साबरमती,रत्ना, कावेरी, पद्मा, अन्नपूर्णा, तेलाहम्सा, हम्सा, बाली, PLA-1, किरन आदि। बाला एवं N-22 कोट रोधी किस्में हैं ।
  • वैज्ञानिकों ने जीन परिवर्तन (आनुशक परिवर्तन) करके विटामिन-A की कमी को दूर करने वाले चावल का विकास किया है,इस चावल का नाम गोल्डन राइस रखा गया है । गोल्डन राइस में पर्याप्त मात्रा में बीटा-कैरोटीन पाया जाता है । देश में चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अभी भी विकसित देशों  की तुलना में बहुत कम (मात्र 1741 किग्रा.) में है,जबकि जापान में 6240 किग्रा. प्रति हेक्टेयर चावल का उत्पादन किया जाता है ।
  • उत्पादन की दृष्टि से पश्चिम बंगाल (15,0), उत्तर प्रदेश (12%), पंजाब (11.00%), का क्रमशः प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय स्थान है ।

 

 गेंहूँ

  • यह ग्रेमिनी कुल का पौधा है। विश्व में गेंहूँ उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान आता है  कुल बोये  गए क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का प्रथम स्थान है ।
  • चावल के बाद यह देश का दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फल है । देश की कुल कृषि योग्य भूमि के लगभग 10% एवं कुल बोए गए क्षेत्र के 13% भाग पर गेहूं की कृषि की जाती है । चावल की अपेक्षा इसका प्रति हेवटेयर उत्पादन (लगभग 2770 कि.ग्रा) अधिक है । इसकी अधिकांश कृषि सिंचाई के सहारे की जाती है। भारत में विश्व के लगभग 12.5 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता  है । हरित क्रान्ति का सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ की कृषि पर ही पड़ा है । हरित क्रांति के पश्चात् गेहूँ में उच्च उत्पादकता एवं उत्पादन प्राप्त किया गया है । गेहूं के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नवत् हैं- उपजाऊ मिट्टी, 50 सेमी.से 75 सेमी. तक वर्षा, आरंभ में तापमान 10c से 15°C  तथा बाद में 20 से 25°C है ।
  • गेहूँ में सामान्यतः प्रोटीन 8-15, कार्बोहाइड्रेट 65-70%, वसा 1,595 तथा खनिज 2.0% पाए जाते हैं । गेहूं में ग्लूटिन नामक प्रोटीन अधिक मात्रा में पायी जाती है । गेहूं के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश (206), मध्य प्रदेश (1996) तथा पंजाब (179%) है । हरियाणा, राजस्थान व बिहार अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य है । उत्पादकता की दृष्टि से प्रथम स्थान पंजाब राज्य का है ।
  •  गेहूं की प्रमुख किस्में -प्रताप, अर्जुन, जनक,  कल्याण,  सोना,  गिरिजा  VL-829, HI 1500, Nw.2036, MP-4010, HS-420 एवं 335 आदि है । ICAR  द्वारा पूसा बेकर  नामक गेंहूँ की नई प्रजाति विकसित की गई है । बिस्कुट के लिए विकसित यह किस्म यूरोपीय देशो द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप है । 

जौ

  • जौ भी देश की एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है । इसकी गणना मोटे अनाजों में की जाती है । यह सामान्यतया शुष्क एवं बलुई मिट्टी में बोया जाता है जिसमें शीत एवं नमी सहन करने की क्षमता अधिक होती है ।
  • जौ के लिए कम उपजाऊ मिट्टी,70 सेमी.से 100 सेमी. तक वर्षा, 15°C से 18°c तक तापमान आदि भौगोलिक दशाएँ होनी चाहिए ।
  • जौ का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है । राजस्थान,मध्य प्रदेश,हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश अन्य उत्पादक राज्य हैं । जौ की प्रमख किस्में-हिमानी,ज्योति,कैलाश,C-164,K-24,RDB-1 आदि हैं ।

ज्वार  

  • ज्वार भी एक मोटा अनाज है, जिसकी कृषि सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों में बिना सिंचाई के की जाती है ।  इसके लिए उपजाऊ जलोढ़ अथवा चिकनी मिट्टी काफी उपयुक्त होती है ।
  • इसकी वृद्धि के लिए तापमान 25°C से 30°c के बीच होना चाहिए । ज्वार की फसल भारत के अधिकांश राज्यों में खरीफ की फसल है ।
  • देश में ज्वार का तीन-चौथाई से अधिक क्षेत्र मात्र तीन राज्यों महाराष्ट्र,कर्नाटक और तमिलनाडु में विस्तृत है । देश का लगभग 80% ज्वार का उत्पादन भी इन्हीं तीनों राज्यों में होता है ।
  • इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है । इसके बाद कर्नाटक एवं तमिलनाडु का स्थान आता है ।
  • ज्वार की प्रमुख किस्में CSV-1,CSV-7,CSH-1,CSH-8 आदि है ।  

बाजरा

  • बाजरा की गणना भी मोटे अनाजों में की जाती है और यह वास्तव में, ज्वार से भी शुष्क दशाओं में पैदा किया जाता है । बाजरा के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नवत हैं -बलुई मिट्टी, 50 सेमी. से 70 सेमी. तक वर्षा, तथा तापमान 25°C से 30°c के बीच होना चाहिए । राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात तथा हरियाणा में बाजरे की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है । बाजरे की प्रमुख किस्में बाबापुरी,मोती,HB-3,HB-4,7-55,c01 आदि हैं ।

 

प्रमुख खाद्यान्न फसलों का जन्मस्थान,मिट्टी तथा  भौगोलिक दशाएँ

क्रम

फसल

जन्म-स्थान

जलवायु

तापमान

वर्षा

मिट्टी

1.

धान

इण्डोचाइना

उष्ण आर्द्र

20-27°C

150 सेमी

चिकनी व जलोढ़

2.

मक्का

मध्य अमेरिका

उपोष्ण कटिबंधीय

21-27°C

60-120 सेमी.

दोमट

3.

ज्वार

भारत

उष्ण कटिबंधीय

27-32°C

30-100 सेमी.

दोमट

4.

बाजरा

अफ्रीका

उष्ण कटिबंधीय

30-35°C

37-75 सेमी.

बलुई दोमट

5.

गेंहूँ

मध्य एशिया

समशीतोष्ण

15-25°C

50-75 सेमी.

दोमट

6.

जौ

चीन

समशीतोष्ण

15-21°C

60 सेमी.

बलुई दोमट

 

मक्का

  • मक्के की उत्पत्ति पाईकॉर्न से हुई है यह एक उभयलिंगी पौधा है । हमारे देश के अपेक्षाकृत शुष्क भागों में मक्के का उपयोग प्रमुख खाद्यान्न के रूप में किया जाता है ।
  • मक्का के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ गर्मी का लंबा मौसम, साफ आकाश तथा अच्छी वर्षा, 25°C से 30°c तापमान, 50 सेमी.से 80 सेमी.तक वर्षा,नाइट्रोजन युक्त गहरी दोमट मिट्टी हैं । अन्य धान्य फसलों की अपेक्षा इसमें स्टार्च की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है । देश में मक्के का सर्वाधिक उत्पादन कर्नाटक में होता है । इसके बाद मध्य प्रदेश व बिहार का स्थान आता है ।
  • मक्के के उत्पादन में भारत का विश्व में 7वाँ स्थान है । मक्के की प्रमुख किस्में-गंगा 1,गंगा 101,विजय, जवाहर, विक्रम, रतन, किसान, सोना एवं रणजीत आदि हैं ।

तिलहन

  • हमारे देश में तिलहनी फसलों की कृषि प्रायः अनुपजाऊ मिट्टी एवं वर्षा की कमी वाले क्षेत्रों में ही की जा रही है । रबी एवं खरीफ दोनों फसल समयों में तिलहनों की कृषि की जाती है ।
  • सरसों रबी की प्रमुख फसल है जबकि मूंगफली की कृषि खरीफ के समय की जाती है तिलहनों के उत्पादन में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य है ।
  • सरसों,मूंगफली,सूर्यमुखी,सोयाबीन व नारियल तेल के उत्पादन में क्रमश:राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु भारत में प्रथम स्थान रखते हैं ।

दालें

  • शाकाहारी भोजन पसंद करने वाली जनसंख्या की प्रोटीन प्राप्ति का सबसे प्रमुख स्रोत दालें हैं । हमारे देश में रबी,खरीफ एवं जायद तीनों फसलों के अंतर्गत दाल की कृषि की जाती है । फलीदार पौधा होने के कारण दालें मिट्टी में नाइट्रोजनी तत्वों की आपूर्ति करती हैं एवं उसकी उर्वरता बढ़ाती हैं । इसी कारण इसे अन्य फसलों के साथ उगाया जाता है ।
  • दालों के उत्पादन व उपभोग दोनों दृष्टियों से भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता है ।

गन्ना

  • गन्ना का जन्म स्थान भारत है । यह ग्रेमिनी कुल का पौधा है ।
  • गन्ना उत्पादन में भारत का ब्राजील के बाद द्वितीय स्थान है, जबकि खपत और कृष्य क्षेत्र की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है ।
  • यहाँ विश्व का लगभग 40% गन्ना उत्पादित किया जाता है ।
  • गन्ने की फसल तैयार होने में लगभग एक वर्ष का समय लगता है ।
  • उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय फसल होने के कारण इसके लिए 20°C से 27°c का औसत वार्षिक तापमान तथा 100 से 200 सेमी.की औसत वार्षिक वर्षा उपयुक्त होती है ।
  • गन्ना की फसल तैयार होते समय वर्षा का अभाव काफी लाभदायक होता है क्योंकि, इससे शर्करा की मात्रा में वृद्धि होती है ।
  • भारत में लगभग 92 प्रतिशत गन्ना क्षेत्र सिंचित है । 2013-14 में गन्ना का सकल क्षेत्र 5 मिलियन हेक्टेयर था । उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,कर्नाटक तथा तमिलनाडु देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य हैं । उत्तर प्रदेश अकेले ही देश के लगभग 45% गन्ने का उत्पादन करता है ।

 

क्षेत्रफल, उत्पादन और उत्पादकता (2016-17)

फसल

क्षेत्रफल (मिलि. हे.)

उत्पादन (मिलि. टन)

उत्पादकता (किग्रा. हे.)

खाद्यान्न

128.0

275.68

2153

चावल

43.2

110.75

2250

गेंहूँ

30.6

98.38

3216

ज्वार

5.1

4.57

889

मक्का

9.9

26.26

2664

बाजरा

7.5

9.80

1311

दलहन

29.5

22.95

779

चना

9.6

9.33

973

अरहर

5.4

4.78

885

तिलहन

26.2

32.10

1225

मूंगफली

5.3

7.56

1424

सरसों

6.0

7.98

1324

कपास

10.8

33.09

519

गन्ना

4.4

306.72

70

 

 

चाय

  • वर्तमान समय में यह भारत की प्रमुख पेय फसल है । इसकी भौगोलिक दशाएँ 150-250 सेमी.वार्षिक वर्षा, 24°C से 30°c का उच्च तापमान, हरी एवं गंधक युक्त मिटटी आदि हैं ।
  • यह एक श्रम प्रधान कृषि है एवं इसमें पत्तियों की चुनाई के लिए सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है जल-प्रिय पौधा होने के बावजूद इसकी जड़ों में पानी नहीं लगना चाहिए । इसी कारण इसकी खेती पहाड़ी ढालों पर की जाती है ।
  • ठण्डी हवा व पाला चाय की कृषि के लिए हानिकारक है
  • देश में चाय उत्पादन में असम का प्रथम स्थान है ।
  • यहाँ ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी व सुरमा नदी की घाटी में चाय की उन्नत कृषि की जाती है ।
  • असम से देश के कुल चाय उत्पादन का 50% भाग प्राप्त होता है ।
  • दक्षिण भारत में तमिलनाडु सर्वाधिक चाय उत्पादन करने वाला राज्य है । केरल, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र के पर्वतीय ढालों पर भी चाय की कृषि की जाती है ।
  • भारत विश्व में काली चाय का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है । भारत चाय के वैश्विक उत्पादन का 27% भाग उत्पादित करता है तथा चाय के विश्व व्यापार में इसका हिस्सा 9% है । विश्व में चाय उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है ।
  • वर्ष 2013 को अन्तर्राष्ट्रीय चाय उत्पादक मंच का गठन किया गया है । इसमें भारत के अतिरिक्त केन्या, श्रीलंका, इडोनेशिया, रवाण्डा, मलावी, ईरान तथा चीन शामिल हैं । इसका मुख्यालय कोलम्बो में है ।

कहवा

  • विश्व के कुल कहवा उत्पादन का मात्र 49% उत्पादन भारत में किया जाता है किन्तु,इसका स्वाद उत्तम होने के कारण इसकी माँग विदेशों में अधिक रहती है ।
  • कहवा उत्पादन की अनुकूल भौगोलिक दशाएँ 15°C से 18°c औसत वार्षिक तापमान तथा 150 से 250 सेमी, की औसत वार्षिक वर्षा है ।
  • पर्वतीय तथा दोमट अथवा लावा निर्मित मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है । हमारे देश में दो प्रकार के कहवा की कृषि की जाती है-अरेबिका कॉफी व रोबस्टा कॉफी
  • अरेबिका कहवा देश के कहवा के अंतर्गत आने वाले कुल क्षेत्रफल के 60% भाग पर कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु राज्यों में बोया जाता है जबकि शेष भूमि पर रोबस्टा कहवा की कृषि की जाती है । कहवा की खेती दक्षिण भारत के पर्वतीय ढालों तक ही सीमित है । कर्नाटक (68%), केरल (21%) तथा तमिलनाडु सर्वाधिक कहवा उत्पादन करने वाले राज्य हैं ।

कपास

  • यह मालवेसी कुल का पौधा है ।
  • विश्व में मुख्यत:इसकी दो प्रजातियाँ पायी जाती हैं । प्रथम देशी कपास अर्थात् गासिपियम अरबोरियम एवं गाहरबेरियम है । दूसरा अमेरिकन कपास अर्थात् गाहिरसुटम एवं बारबेडेन्स प्रायद्वीपीय पठारी भाग की लावा निर्मित काली मिट्टी के क्षेत्र में कपास का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है ।
  • कपास की कृषि के लिए 20°C से 30°c का उच्च तापमान, 200 दिन की पाला व ओला रहित अवधि, स्वच्छ आकाश, तेज व चमकदार धूप तथा 50 से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है ।
  • भूरी काली दोमट मिट्टी तथा लाल व काली मिट्टी इसके लिए  सर्वाधिक उपयुक्त है ।
  • सस्ता श्रम भी कपास की कृषि हेतु एक प्रमुख आवश्यकता है ।
  • कपास क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है । उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है ।
  • गुजरात (32%), महाराष्ट्र (21%), तेलंगाना (13%) तथा आन्ध्र प्रदेश मिलकर देश 60% से भी अधिक कपास का उत्पादन करते हैं । पंजाब व कर्नाटक आदि कपास के अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं ।
  • महाराष्ट्र में कपास को श्वेत  स्वर्ण (white Gold) के नाम से भी जाना जाता है ।

जूट

  • यह एक रेशेदार फसल है जिससे बोरे, रस्सियाँ, कालीन, कपड़े आदि बनाए जाते हैं । जूट की उत्तम कृषि के लिए 25°C से 35°c का उच्च तापमान,100 से 200 सेमी.या अधिक औसत वार्षिक वर्षा,दोमट एवं नदियों की कछारी मिट्टी तथा सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है ।
  • जूट की फसल तैयार होने में 10 से 11 माह लगते हैं ।
  • भारत में इसकी जूट की औसत उपज 2,000 से 2,100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है ।
  • औसत उपज पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक और बिहार में सबसे कम है । जूट की बुवाई के 90 % क्षेत्र पश्चिम बंगाल,बिहार,असम तथा मेघालय में है ।
  • ओडिशा,उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के तराई वाले भागों में भी इसकी खेती की जाती है । केवल पश्चिम बंगाल देश की कुल जूट उपज का लगभग 80% उत्पादन करता है । बिहार,असम,आंध्र प्रदेश,ओडिशा आदि अन्य प्रमख जुट उत्पादक राज्य है ।

रबड़

  • रबड़ का जन्म स्थान ब्राजील है ।
  • यह उष्ण कटिबंधीय पौधा है ।
  • रबड़ वृक्ष के दूध (लेटैक्स) से रबड़ प्राप्त होता है । 1902 ई.में केरल में पेरियार नदी के किनारे इनके वृक्ष लगाए गए ।
  • इसकी उत्तम कृषि के लिए 25°C से 32°c का उच्च तापमान,अत्यधिक वर्षा,लाल,लैटेराइट,चिकनी एवं दोमट मिट्टी तथा अधिक मानव श्रम की आवश्यकता होती  है ।
  • दक्षिण भारत में इसकी सबसे उपयुक्त दशाएँ मिलती हैं । भारत में विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 1.7% प्राकृतिक रबड़ प्राप्त किया जाता है । रबड़ के प्रति हेक्टेयर उपज की दृष्टि से भारत विश्व के अग्रणी देशों में से एक है ।
  • इसके प्रमुख उत्पादक राज्य केरल,तमिलनाडु तथा कर्नाटक हैं । अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी रबड़ का उत्पादन किया जाता है ।

तम्बाकू

  • यह एक शीतोष्ण कटिबंधीय पौधा है । इसके लिए औसतन 15°C से 38°C तापमान, 50 सेमी.वार्षिक वर्षा तथा बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है  व तम्बाकू की पत्तियों को सुखाने की प्रकिया को रचाई कदने,  जिससे पत्तियों में वांछित रंग,गंध तथा लचक आदि गुणों का विकास होता है ।
  • भारत में तम्बाकू उत्पादन में प्रथम तीन शीर्ष राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक हैं । भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा तम्बाकू निर्यातक तथा चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता राष्ट्र है ।
  • भारत में विश्व के कुल तम्बाकू का 8% तम्बाकू उत्पादन होता है ।

नारियल

  • नारियल एक उष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है । इसे 20°C से 25°C का तापमान, 150 सेमी. से अधिक वर्षा, पाला और सूखा रहित तटीय जलवायु, बलुई दोमट से हल्की रेगड़ मिट्टियों की आवश्यकता होती है ।
  • इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में और पहाड़ी ढालों के सहारे 800-1000 मी. की ऊँचाई तक भी उगाया जा सकता है । इससे प्राप्त गरी से तेल,साबुन बनाने का कच्चा माल तथा वनस्पति घी आदि प्राप्त होता है । भारत, इण्डोनेशिया और फिलीपींस के बाद विश्व में नारियल का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है । देश के तीन दक्षिणी राज्यों-केरल,तमिलनाडु एवं कर्नाटक में नारियल का 83.2 प्रतिशत फसल क्षेत्र पाया जाता है ।

प्रमुख कृषि संस्थान

संस्थान                             अवस्थिति

 

संस्थान                            अवस्थिति

राष्ट्रीय मत्स्य उद्योग          हैदराबाद (ओडिशा)

विकास बोर्ड राष्ट्रीय चावल शोध संस्थान  कटक

 

भारत डेयरी निगम एवं राष्ट्रीय

डेयरी विकास बोर्ड आनन्द (गुजरात)

भारतीय डेयरी अनुसंधान

संस्थान करनाल (हरियाणा)

भारतीय गन्ना प्रजनन संस्थान  कोयम्बटूर

केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान कुर्ग

कॉफी अनुसंधान केंद्र चिकमंगलूर

जूट कृषि अनुसंधान संस्थान       बैरकपुर

केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद

टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर

कृषि विपणन एवं निरीक्षण देशालय फरीदाबाद

राष्ट्रीय पौध संरक्षण एवं प्रशिक्षण स्थान   हैदराबाद

 

चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान जयपुर 

केन्द्रीय चारा बीज उत्पादन फार्म   हैसर घट्टा

विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधानशाला अल्मोड़ा

केंद्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान पोर्ट ब्लेयर

लघु किसान कृषि व्यापार संघ  नई दिल्ली

राष्ट्रीय जैव उर्वरक विकास केन्द्र  गाजियाबाद

डिजीज इन्वेस्टिगेशन लेबोरेटरी  पुणे

पशु स्वास्थ्य एवं पशु चिकित्सा

जैविकी संस्थान कोलकाता

पशु चिकित्सा और जीव विज्ञान संस्थान बंगलुरू

पशु स्वास्थ संस्थान जालंधर

पशु चिकित्सा जैविकी  गुवाहाटी

राष्ट्रीय पटसन एवं संबंधित रेशे अनुसंधान संस्थान कोलकाता

भारतीय प्राकृतिक रेजिन्स एवं गम संस्थान  राँची

 

प्रमुख कृषि बोर्ड

बोर्ड

स्थान मुख्यालय

कॉफी बोर्ड

बंगलुरू (कर्नाटक)

रबर बोर्ड

कोट्टायम (केरल)

चाय बोर्ड 

कोलकाता (प. बंगाल)

तम्बाकू बोर्ड

गुंटूर (आन्ध्र प्रदेश)

मसाला बोर्ड  

कोच्चि (केरल)

राष्ट्रीय मांस व पोल्ट्री बोर्ड

दिल्ली ( दिल्ली )

भारतीय अंगूर प्रसंस्करण बोर्ड

पुणे ( महाराष्ट्र )

राष्ट्रीय मांस एवं कुक्कुट प्रसंस्करण

दिल्ली ( दिल्ली )

प्रमुख कृषि संगठन

कृषि संगठन

मुख्यालय

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान

कानपुर

समेकित कीट प्रबंधन राष्ट्रीय केंद्र

नई दिल्ली

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान

फिलीपींस

अर्द्धशुष्क क्षेत्रों के अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान

हैदराबाद

सूखे क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र

अलेप्पो

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक

मुंबई

अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूँ वृद्धि केंद्र

मैक्सिको

 

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....