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पर्वतों का वर्गीकरण

 पर्वतों को अधोलिखित आधार पर विभाजित किया गया है। यथा-


 स्थल स्थित पर्वत

स्थल स्थित पर्वतों को पुनः दो श्रेणियों में रखा जा सकता है-

स्थिति के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण

 पर्वतों का विस्तार स्थलीय एवं सागरीय भाग दोनों में पाया जाता है। इस आधार पर पर्वतों को दो वर्गों में रखा जा सकता है-

(a) तटीय पर्वत

इस प्रकार के पर्वत महाद्वीपों के किनारे पर महासागरों के समानान्तर पाये जाते हैं। यथा-

  • उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर रॉकीज तथा पूर्वी तट पर अप्लेशियन पर्वत।
  • दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी किनारे पर एण्डीज पर्वत।
  • यूरोप के दक्षिणी किनारे पर अल्पाइन पर्वत समूह तथा अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम किनारे पर एटलस पर्वत आदि।

(b) आन्तरिक पर्वत

इस श्रेणी के पर्वत महाद्वीपीय तटों से दूर स्थल के आन्तरिक भागों में पाये जाते हैं। यथा-यूराल पर्वत, वासजेस तथा ब्लैक फारेस्ट, हिमालय पर्वत, कुनलुन, थ्यानशान, शिंगलिंगशान, अल्टाई आदि।

सागर स्थिति पर्वत

  • अनेक पर्वतों का विस्तार सागर द्रोणियों तथा महाद्वीपीय निमग्नतटों पर पाया जाता है। इनमें से अधिकांश पर्वत जल के नीचे हैं, परन्तु कुछ सागर स्थित पर्वत जल सतह के ऊपर भी विद्यमान हैं। यथा-हवाई द्वीप का मौनाकी पर्वत (सागरतल से 4200 मी. तथा सागर नितल से 9140 मी. ऊँचा) तथा एण्टीलियन पर्वत समूह (सागर तल से 3000 मी., किन्तु सागर नितल से 8400 मी. ऊँचा)।

 निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर

  • पर्वतों के निर्माण तथा विकास में मुख्य रूप से संपीडन की शक्ति, खिंचवा की शक्ति, ज्वालामुखी उद्गार तथा उससे निस्सृत पदार्थों का जमाव, अपरदन के प्रभाव तथा स्थल के उभार आदि का सहयोग रहता है। ज्ञातव्य है कि एक पर्वत के निर्माण में एक से अधिक शक्तियों का सहयोग हो सकता है परन्तु उनमें से कोई एक शक्ति सर्वाधिक प्रबल होती है। इस आधार पर पर्वतों को निम्न रूपों में विभाजित किया गया है। यथा-

1. वलित पर्वत

  • जब चट्टानों में पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों द्वारा मोड़ या वलन पड़ जाते हैं तो उसे 'मोड़दार या वलित पर्वत' कहा जाता है। वलित पर्वत विश्व के सबसे ऊँचे तथा सर्वाधिक विस्तृत पर्वत हैं। जैसे-हिमालय, अल्पाइन पर्वत समूह, रॉकीज, एटलस आदि।

          सभी वलित पर्वत यद्यपि एक समान नहीं होते हैं, परन्त उनमें कई ऐसी उभय विशेषताएं होती हैं कि उन्हें अन्य पर्वतों से अलग किया जा सकता है। यथा-

  • ये भूत के नवीनतम पर्वत हैं।
  • इनका निर्माण अवसादी चट्टानों में दबाव से मोड़ पड़ने के कारण हुआ है। इनका निक्षेप सागरीय या जलीय भागों में हुआ था। यही कारण है कि इन चट्टानों में सागरीय जीवों के अवशेष पाये जाते हैं।
  • वलित पर्वतों का निर्माण न केवल उथले, परन्तु लम्बे तथा संकरे सागर में हुआ है। इस प्रकार के जलीय भाग को ‘भूसन्नति’ कहा जाता है।
  • वलित पर्वत मुख्य रूप से चाप के आकार में पाये जाते हैं, जिनका एक ढाल अवतल तथा दूसरा ढाल उत्तल होता है। जैसे-हिमालय का आकार तलवार के रूप में हैं, जिसका उत्तरी किनारा अवतल तथा दक्षिणी किनारा उत्तल है।
  • अत्यधिक अपरदन के कारण इन पर्वतीय क्षेत्रों में 'उच्चावच्च में विलोम या व्यतिक्रम हो जाता है।

 

2. ब्लाक पर्वत

  • अवरोधी (ब्लाक) पर्वतों का निर्माण तनाव की शक्तियों द्वारा होता है। खिंचवा के कारण धरातलीय भागों में दरारे या भ्रंश पड़ जाती हैं, जिस कारण धरातल का कुछ भाग ऊपर उठ जात है तथा कुछ भाग नीचे धंस जाता है। इस प्रकार दरारों के समीप ऊँचे उठे भाग को ब्लाक पर्वत कहा जाता है।
  • चूंकि अवरोधी पर्वतों का निर्माण दरार या भ्रंश के कारण होता है, अतः इन्हें भ्रंशोत्थ पर्वत भी कहा जाता है। इनका आकार मेज के समान होता है। जैसे-वासजेज़ रेंज (यू.एस.ए.), यूरोप महाद्वीप के राइन नदी भूभ्रंश घाटी के पश्चिम में वासजेस तथा पूर्व में ब्लैक फारेस्ट पर्वत, साल्टरेंज पर्वत (पाकिस्तान) तथा सियरा नेवादा (कैलिफोर्निया) आदि।

 

3. संग्रहीत पर्वत

  • धरातल के ऊपर मिट्टी, मलवा, लावा इत्यादि के निरंतर जमा होते रहने से निर्मित पर्वतों को 'संग्रहीत पर्वत' कहते हैं। वास्तव में ज्वालामुखी के उद्गार से निस्तृत लावा, विखण्डित पदार्थ तथा राखचूर्ण आदि के क्रमबद्ध अथवा असम्बद्ध संग्रह के फलस्वरूप संग्रहीत पर्वतों का निर्माण होता है।
  • इस प्रकार से इन्हें 'ज्वालामुखी पर्वत' भी कहा जाता है। जैसे-शस्ता, हुड तथा रेनियर (यू.एस.ए.), मेयान (फिलीपींस), फ्यूजीयामा (जापान), कोटापैक्सी (इक्वेडोर), पोपोकैटीपेटल (मैक्सिको), विसूवियस (इटली) तथा एकांकागुआ (चिली) किलीमंजारो पर्वत (अफ्रीका) आदि।

 

4. गुम्बदाकार पर्वत

  • जब पृथ्वी के धरातलीय भाग में चाप के आकार में उभार होने से धरातलीय भाग ऊपर उठ जाता है तो उसे 'गुम्बदनुमा' पर्वत कहा जाता है। जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका का ब्लैक हिल्स, बिगहान्र्स, सिनसिनाती उभार तथा हेनरी पर्वत आदि।

 

5. अवशिष्ट पर्वत

  • अपरदन की शक्तियों द्वारा जब प्रारंभिक पर्वत अपरदित होकर अवशिष्ट के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं, तो उन्हें अवरोधक या अविशष्ट पर्वत कहते हैं। जैसे-भारत के विन्ध्याचल, अरावली, सतपुड़ा, महादेव, पश्चिमी घाट पहाड़, पूर्वी घाट पहाड़, पारसनाथ आदि।

 

6. जटिल पर्वत

  • जब किसी पर्वत में कई पर्वतों की विशेषताएं सम्मिलित रूप से पायी जाती है तो उसे ‘जटिल या मिश्रित पर्वत’ कहा जा सकता है। वास्तव में इस प्रकार के पर्वतों का निर्माण पूर्णरूप से आग्नेय चट्टान या रूपान्तरित चट्टान या बड़े पैमाने पर अव्यवस्थित अवसादी शैल से होता है या इनमें में कई के मिश्रण से होता है। जैसे-सियरा नेवादा, (आग्नेय), ह्वाइट पर्वत (रूपान्तरित शैल, यू.एस.ए.) तथा एनाकोण्डा (आग्नेय-रूपान्तरित, यू.एस.ए.) आदि।

MOUNTAIN ON MAP

 

 

निर्माणकारी घटना एवं काल के आधार पर

          प्रमुख पर्वत निर्माण कारी घटनाओं एवं उनकी आयु के आधार पर भू-पटल के पर्वतों को चार श्रेणियों में विभक्त किया गया है।जो निम्नलिखित है -

क्र0 सं0

पर्वत निर्माणकारी घटनायें

काल

उदाहरण

1.

चर्नियन पर्वत

प्री-कैम्ब्रियन या क्रैम्ब्रियन युग से पूर्व (4.0 अरब से 59 करोड़ वर्ष पूर्व)

लारेशियन पर्वत, अलगोमन पर्वत किलार्नियन पर्वत (उत्तरी अमेरिका); फेना-स्कैण्डिया (यूरोप), ऐंज्लेसी (स्काण्टलैण्ड) तथा अरावली पर्वत (भारत)।

2.

कैलिडोनियन पर्वत; नामकरण-स्कॉटलैण्ड के पर्वत कैलिडोनिया के नाम पर)

पेलियोजोइक महाकल्प के सिल्यूरियन, डिवोनियन शकों में (लगभग 50-36 करोड़ वर्ष पूर्व)

स्कैण्डिनेवियन, ब्राजीलाइड्स एवं भारत के विंध्याचल, महादेव, सतपुड़ा (अधिकतर अवशिष्ट पर्वत के रूप में)

3.

हर्सीनियन पर्वत

नामकरण-जर्मनी के हार्स पर्वत के नाम पर

पेलियोजोइक महाकल्प के अन्तिम शक पर्मियन में (28-24 करोड़ वर्ष पूर्व)

ब्रिटेनी पर्वत (फ्रांस), वासजेस, ब्लैक फारेस्ट, आल्पस का आन्तरिक भाग यूरिंजनवाल्ट एवं फ्रेकेनवाल्ट पर्वत, एशिया में अल्टाई, तियेनशान, खिंगन जुगरियन तथा तारिम बेसिन, यूराल, गोबी के पर्वत एवं अप्लेशियन पर्वत (उ0 अमेरिका)

4.

अल्पाइन पर्वत

नामकरण-यूरोप के आल्पस पर्वत के नाम पर

क्रिटेशियस शक (मीसोजोइक) से प्लीस्टोसीन शक तक। मुख्यतः टर्शियरी युग (6.5 करोड़ वर्ष पूर्व से आरंभ और आज भी सक्रिय)

रॉकी, एंडीज (अमेरिका): यूरोप के अल्पाइन पर्वत क्रम में-आल्पस, डिनारिक आल्पस, कारपेथियन, पिरेनिज बाल्कन, काकेशस एपिआइन आदि। एटलस (अफ्रीका), हिमालय व पामीर की गांठ के-जाग्रोस, एलबुर्ज क्युनलुन, काराकोरम आदि। अराकानयोमा (म्यांमार), ग्रेट डिबाइडिंग रेंज (आस्ट्रेलिया) हिमालय की तीनों श्रेणियां आदि।

 

 

विश्व की सर्वाधिक लम्बी पर्वत श्रृंखला क्रमशः एण्डीज (7000 किमी.), रॉकी (4800 किमी.) एवं हिमालय (2400 किमी.) है।

 

  • ड्राकेन्सवर्ग पर्वत दक्षिणी अफ्रीका का सर्वोच्च पर्वत है। इसका विस्तार दो देशों-दक्षिणी अफ्रीका एवं लेसोथो में है।
  • दक्षिण आल्पस पर्वत मालाएं न्यूजीलैण्ड में स्थित हैं।

 

  • एटलस पर्वत अफ्रीका महाद्वीप के मोरक्को देश में है।
  • व्हाइट पर्वत यू.एस.ए. के कैलीफोर्निया में स्थित है।

 

  • माउण्ट टिटलिस पर्वत स्विट्जरलैण्ड में अवस्थित एक ज्वालामुखी पर्वत है।
  • अफ्रीका का सर्वोच्च पर्वत शिखर माउण्ट किलिमंजारो तंजानिया में स्थित है।

 

  • माउण्ट ब्लैंक (4807 मी.) आल्पस पर्वत का सर्वोच्च शिखर है, जो यूरोप में स्थित है।
  • भारत म्यांमार के बीच सीमा निर्धारण बर्मीज आराकान योमा पर्वत चाप द्वारा होता है। इसकी सर्वोच्च चोटी माण्ड विक्टोरिया है। इसकी अन्य प्रमुख पहाड़ियां हैं-नागा, चिन, लुशाई तथा पटकोई।

 

 

 

महत्वपूर्ण पर्वत 

पर्वतों का नाम

वलित पर्वत

सर्वोच्च चोटी

  • हिमालय पर्वत

एशिया

माउण्ट एवरेस्ट

  • आल्पस

मध्य यूरोप

माउण्ट ब्लैंक

  • रॉकी

उत्तरी अमेरिका

माउण्ट एल्वर्ट

  • एण्डीज

दक्षिणी अमेरिका

एकांका गुआ

  • यूराल

एशिया-यूरोप

गोरा नैरोड्नाया

  • अप्लेशियन

उत्तरी अमेरिका

माउण्ट मिचेल

  • तियेनशान

रूस (एशिया)

पीके पोवेडा

  • नॉन-शान

चीन (एशिया)

 

  • सयान

रूस (एशिया)

 

  • स्टेनोबाई

रूस (एशिया)

 

  • एटलस

उ.-प. अफ्रीका

जेवेल टाउब्काल

खण्ड पर्वत

  • वासजेस

फ्रांस (यूरोप)

  • ब्लैक फारेस्ट

जर्मनी (यूरोप)

  • विन्ध्य पर्वत

भारत (एशिया)

  • सतपुड़ा पर्वत

भारत (एशिया)

  • सियेरा नेवादा

यू.एस.ए. (उत्तरी अमेरिका)

  • हार्ज

जर्मनी (यूरोप)

  • साल्ट रेंज

पाकिस्तान (एशिया)

  • रूवेन्जोरी

यूगाण्डा (अफ्रीका)

गुम्बदाकार पर्वत

  • हेनरी पर्वत

यूटाह, यू.एस.ए.

  • ब्लैक हिल्स

दक्षिणी डकोटा, यू.एस.ए.

  • एडिरॉण्डेक पर्वत

न्यूयार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका

ज्वालामुखी पर्वत

  • मौनोलोआ

हाई द्वीप समूह, यू.एस.ए. (क्षारीय लावा से निर्मित)

  • फ्यूजीयामा

जापान (अम्लीय लावा से निर्मित)

  • पोपा पर्वत

म्यांमार (अम्लीय लावा से निर्मित)

  • विसूवियस

इटली

  • रेनियर

संयुक्त राज्य अमेरिका

  • किलीमंजारो

तंजानिया

  • शास्ता

संयुक्त राज्य अमेरिका

 

विभिन्न महाद्वीपों के उच्चतम पर्वत

महाद्वीप

पर्वत

अवस्थिति

1. एशिया

माउण्ट एवरेस्ट (8848 मी.)

नेपाल-तिब्बत

2. दक्षिण अमेरिका

एकांकागुआ पर्वत (6992 मी.)

अर्जेंटीना

3. उत्तर अमेरिका

मैकिन्ले (6194 मी.)

अमेरिका (अलास्का)

4. अफ्रीका

किलिमंजारो (5895 मी.)

तंजानिया

5. यूरोप

एलब्रूश पर्वत (5642 मी.)

रूस

6. अंटार्कटिका

विंसनमोसिफ (5140 मी.)

 

7. आस्ट्रेलिया

कोस्यूस्को (2228 मी.)

न्यू साउथ वेल्स

 

विश्व के सर्वाधिक ऊँचे 10 पर्वत

1. माउण्ट एवरेस्ट

8848 मी.

नेपाल-तिब्बत सीमा पर

2. के-2

8611 मी.

भारत (पाक अधिकृत कश्मीर)

3. कंचनजंगा

8586 मी.

भारत नेपाल सीमा पर

4. ल्होत्से

8516 मी.

नेपाल-तिब्बत सीमा

5. मकालू

8462 मी.

नेपाल-तिब्बत सीमा

6. चो ओयू

8201 मी.

नेपाल-तिब्बत सीमा

7. धौलागिरि

8167 मी.

नेपाल

8. मांसलू

8156 मी.

नेपाल

9. नंगा पर्वत

8126 मी.

भारत (पाक अधिकृत कश्मीर)

10. अन्नपूर्णा-I

8091 मी.

नेपाल

 

स्मरणीय तथ्य 

  • उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउण्ट मैकिन्ले है।

 

  • विश्व की सर्वोच्च चोटी हिमालय पर्वत श्रेणी में स्थित माउण्ट एवरेस्ट (8848 मी.) नेपाल-तिब्बत सीमा पर स्थित है।
  • यूरोप की सबसे ऊँची पर्वत चोटी एलब्रूश (काकेशस पर्वत) है।

 

  • आल्पस पर्वत की सर्वोच्च चोटी है-माउण्ट ब्लैंक
  • आस्ट्रेलिया महाद्वीप का सर्वोच्च पर्वतीय शिखर कोस्यूस्को है।

 

  • ब्लैंक फारेस्ट पर्वत स्थित है-जर्मनी में
  • एंडीज पर्वत की सर्वोच्च चोटी एकांकागुआ है।

 

  • माउण्ट ब्लैंक (4807 मी.) आल्पस पर्वत का सर्वोच्च शिखर है, जो यूरोप में स्थित है।
  • राकी पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी माउण्ट एल्बर्ट है।

 

 

 

विश्व की अन्य प्रमुख पर्वत चोटियां

पर्वतों का नाम

स्थिति

सर्वोच्च चोटी

पर्वतों का नाम

स्थिति

सर्वोच्च चोटी

  • अप्पेन्निनी

इटली

कोर्नो ग्रैंडे

  • सियेरा माद्रे डेल सुर

मैक्सिको

टियोटेपेक

  • टीहामाट ऐश शाम

द.पू. अरेबिया

जेबेल हाधार

  • सियेरा माद्रे ओरिएंटल

मैक्सिको

ओरीजावा

  • सेन्ट्रल बोर्नियों रेंज

मध्य बोनियों

कीनाबालू

  • इथियोपियन उच्चभूमि

इथयोपिया

रास डासन

  • कास्केड रेंज

कनाडा (यू.एस.ए.)

माउण्ट रेनियर

  • स्कैंडिनेवियन रेंज

पश्चिमी नार्वे

गैलढोपिजेन

  • असोम म्यांमार श्रेणी

असोम प. म्यांमार

हकाकाबो राजी

  • जाग्रोस पर्वत श्रेणी

ईरान

जाडकुह

  • अलास्का श्रेणी

अलास्का (यू.एस.ए.)

मैकिन्ले

  • बर्खोयान्स्क पर्वत

पूर्वी रूस

गोरा मास खाया

  • चेर्सकोगो खेबेट

पूर्वी रूस

गोरा पोबेडा

  • अल्टाई श्रेणी

मध्य एशिया

गोरा बलुखा

  • ड्रेकेन्स बर्ग

द.पू. अफ्रीका

दवानाएटलेन्याना

  • एल्यूशियन रेंज

अलास्का तथा उ.प्र. प्रशान्त महासागर

शिशैल्डिन

  • मालागासी श्रेणी

मेडागास्कर द्वीप

मारोमोकोट्रो

  • प. सियेरा माद्रे

मैक्सिको

नेवाडो डी कोलिमा

  • ट्रांस अंटार्कटिका पर्वत

अंटार्कटिका

माउण्डट किर्क पैट्रिक

 

 

भू-सन्नति

  • भूसन्नतियां लम्बे, संकरे तथा उथले जलीय भाग होती हैं, जिनमें तलछटीय निक्षेप के साथ-साथ तली में धंसाव होता है। वर्तमान समय में प्रायः सभी विद्वान यह मानते हैं कि प्राचीन अथवा नूतन सभी प्रकार के वलित पर्वतों का आविर्भाव भूसन्नतियों से हुआ है। जैसे-रॉकी भूसन्नति, यूराल भूसन्नति तथा टेथीस भूसन्नतियां आदि से क्रमशः रॉकी, यूराल तथा हिमालय आदि पर्वतों का निर्माण हुआ। इसीलिए कोबर ने अपने पर्वत निर्माणकारी सिद्धांत में भू-भूसन्नतियों को 'पर्वतों' का पालना कहा है। ज्ञातव्य है कि भूसन्नतियां प्रायः दो दृढ़ भूखण्डों के बीच होती हैं। इन तटीय भागों को अग्रदेश कहते हैं।

 

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