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प्रशासनिक अथवा कार्यपालिक सम्बन्ध

भारत का संविधान अनुच्छेद 256-263 केंद्र-राज्य प्रशासनिक संबंधो को स्पष्ट करता है। संविधान में इस सिद्धांत को मान्यता दी गयी है कि कार्यपालिका विधानपालिका की सहविस्तरी है अर्थात जिस विषय पर संसद कानून बना सकती है, उस विषय पर केंद्रीय  कार्यपालिका का नियंत्रण होगा और जिस पर राज्य का विधानमंडल कानून बना सकता है, उस विषय पर राज्य की कार्यपालिका का नियंत्रण रहता है । इस प्रकार संघ सूची के विषयों पर राज्य सरकार को प्रशासन करने की अधिकारिता है । संविधान की सातवी अनुसूची में शामिल समवर्ती सूची के विषयों  पर कार्यपालिका शक्ति राज्यों के पास है लेकिन इसके कुछ अपवाद भी है, जैसे जब संविधान ऐसे विषयें से सम्बन्धित विधि किसी कार्यपालिका शक्ति को केंद्र सरकार में निहित करता है, जैसे- भूमि अर्जन अधिनियम, 1984 तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम,1947 के अधीन इन अधिनियमों में अन्तर्विष्ट प्रावधानों को कार्यन्वित करने की शक्ति केन्द्र के पास है।

प्रशासन के सम्बन्ध में राज्यों को निर्देश देने की केन्द्र की शक्ति

संविधान में केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह प्रशासन के सम्बन्ध में राज्यों को निर्देश दे सकता है-

सामान्य स्थितिकेंद्र सरकार सामान्य स्थिति में राज्यों को निम्नलिखित निर्देश दे सकती है-

  • राज्य में प्रवर्तित केंद्रीय विधि तथा विद्यमान विधियों के सम्यक् अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए,  
  • यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में राज्य की कार्यपालिका शक्ति हस्तक्षेप नहीं करती,
  • राज्य द्वारा राष्ट्रीय या सैनिक महत्व के संचार साधनों के निर्माण तथा उन्हें बनाये रखे जाने को सुनिश्चित करने के लिए,
  • राज्य की सीमा क्षेत्र के अन्तर्गत रेलों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए,
  • अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए योजना बनाने तथा उसके क्रियान्वयन के लिए,
  • भाषाई अल्पसंख्यक  वर्गो के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए,
  • हिन्दी भाषा का विकास सुनिश्चित करने के लिए,
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य की सरकार संविधान के  अनुसार संचालित की जाय।

आपातकालीन स्थिति में- आपातकालीन स्थिति में केंद्र सरकार राज्य सरकार को निम्नलिखित निर्देश दे सकती है-

  • किसी विषय के सम्बन्ध में राज्य की कार्यपालिका शक्ति का किस प्रकार प्रयोग किया जाय,
  • राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति में राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करने के लिए।

वित्तीय आपातकालीन स्थिति में- वित्तीय आपातकालीन स्थिति में केंद्र सरकार राज्य सरकार को निम्नलिखित निर्देश दे सकती है-

  • ऐसे वित्तीय सिद्वांतो का पालन करने के लिए, जो निर्देशों के अनुसार विनिर्दिष्ट किये जायं,
  • राज्य में सेवारत सभी या किसी वर्ग के व्यक्तियों, जिनके अन्तर्गत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी हैं, के वेतन तथा भत्ते में कमी करने के लिए,
  • धन विधेयक या ऐसे अन्य विधेयकों को राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किये जाने के बाद राष्ट्रपति के बिचार के लिए आरक्षित करने के लिए,

केंद्र के निर्देश को मानने का प्रभाव- यदि राज्य सरकारें केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने में असमर्थता रहती हैं, या पालन करने में उपेक्षा बरतती है, तो उन्हें केन्द्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है और राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है ।

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