• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



केन्द्र-राज्य सम्बन्धों पर गठित आयोग/समितियां

केन्द्र तथा राज्य के मध्य सामान्यतया सामन्जस्य रहा है लेकिन जब केंद्र के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के विरोधी दलों की सरकार राज्यों में गठित हुई है, तब तक केंद्रों तथा राज्यों के बीच तनावों में बृद्धि हुई है और राज्यों द्वारा मांग की गयी है कि केन्द्र तथा राज्य के मध्य सम्बन्ध का पुनरीक्षण करने के लिए आयोग का गठन किया जाय। केन्द्र तथा राज्य के मध्य विवाद को सुलझाने के लिए अबतक मुख्यतः चार आयोग गठित किये गये हैं, जो इस प्रकार है- प्रशासनिक सुधार आयोग, (1970), राजमत्रार आयोग (1970) भगवान सहाय समिति (1971), तथा सरकारिया आयोग (1987) (निर्दिष्ट वर्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का वर्ष है । इसमें से प्रथम तीन आयोग/समिति की रिपोर्ट में की गयी सिफारिशें अमान्य कर दी गयी हैं,  जबकि सरकारिया आयोग की सिफारिशों में से कुछ के स्वीकार करने की घोषणा की गयी है। इन आयोग/समिति की सिफारिशें निम्न प्रकार है-

प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश

 प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें मुख्यत:  राज्यपालों के क्रियाकलापों तथा मुख्यमंत्री और राज्य के राज्यपाल से सम्बन्धित रही है।

राजमत्रार समिति की सिफारिशे

  •  राजमत्रार समिति की सिफारिशें केन्द्र तथा राज्यों  के मध्य प्रशासनिक, विधायी तथा वित्तीय सम्बन्धों से सम्बन्धित हैं, जिनमें राज्यों की स्वायत्तता को प्रमुखता दी गयी है। इसके अतिरिक्त इसकी सिफारिशों में न्यायपालिका, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के बीच सम्बन्धों को भी शामिल किया गया है।  समिति ने राज्यों के भू-प्रदेश, प्रदेशिक जल सीमा अन्तर्गत समुद्र तल, केन्द्रीय कार्यपालिका आदि के सम्बन्धों में भी सिफारिशें की है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित है-

  • अवशिष्ट विषय या तो समाप्त कर दिये जायें अथवा उन्हें राज्यों को सौप दिया जाना चाहिए ।
  • एक अंतरराष्ट्रीय परिषद का गठन किया जाना चाहिए ।
  • अखिल भारतीय सेवाओं को समाप्त कर दिया जाना चाहिए

इस समिति के अध्यक्ष पी.वी. राजमन्नार तथा सदस्यगण ए.एल. मुदालियर तथा पी. चेत्र रेड्डी थे।

 

भगवान सहाय समिति की रिपोर्ट

इस समिति ने केवल राज्यपालों तथा मुख्यमंत्रियों के सम्बंध में सिफारिश की थी।

सरकारिया आयोग की सिफारिश

 केंद्र तथा राज्य सम्बंधों पर विचार करने के लिए 24 मार्च, 1983 को न्यायमूर्ति रणजीत सिंह सरकारिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था । इस समिति ने 1987 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौप दी । 1600 पृष्ठीय रिपोर्ट में आयोग द्वारा की गयी मुख्य सिफारिशें निम्नलिखित है-

  • केन्द्र राज्य से सम्बंधित संवैधानिक प्रावधान में कोई संशोधन न तो उचित है और न ही आवश्यक। देश की एकता तथा अखण्डता के लिए मजबूत केंद्र अनिवार्य है ।
  • राज्यों में राष्ट्रपति शासन को अन्तिम विकल्प के रूप में लागू किया जाना चाहिए। राज्यपाल को पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए और बीच में इनका स्थानान्तरण नहीं करना चाहिए।
  • केंद्र तथा राज्यों के बीच निगम कर के उचित बंटवारे के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए।
  • समवर्ती सूची में अंतर्विष्ट विषयों के सम्बन्ध में केंद्र सरकार तथा राज्यों की सरकारों के बीच विचार-विमर्श किया जाना चाहिए ।
  • राज्यों को ऋण देने की पद्धति पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और केन्द्र द्वारा प्रायोजित परियोजनाओं की संख्या कम से कम रखी जानी चाहिए ।
  • राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने में केन्द्र सरकार का पूरा अधिकार होना चाहिए तथा केंद्र राज्य की इच्छा के विस्द्ध भी केन्द्रीय सुरक्षा बलों को तैनात कर सकता है ।
  • अभियांत्रिकी, चिकित्सा तथा शिक्षा के लिए अखिल भारतीय सेवा का गठन किया जाना चाहिए ।
  • योजना आयोग को स्वायत्तशासी संस्था बनाया जाय।
  • राष्ट्रीय विकास परिषद के नाम में परिवर्तन करके इसका नाम राष्ट्रीय एवं आर्थिक विकास परिषद करना चाहिए तथा इसे और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए,  जिससे यह केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच राजनीतिक स्तर की सर्वोच्च संस्था हो सके।
  • किसी राज्य के मुख्यमंत्री या पूर्व मंत्री के विरूद्ध पद के दुरूपयोग के आरोप की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति के प्रस्ताव पर संसद के दोनों सदनों में उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत का समर्थन होना चाहिए।
  • देश की एकता तथा अखंडता के लिए त्रिभाषा सूत्र को सभी राज्यों में लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिए।

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....