• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



वित्तीय सम्बन्ध

संविधान के अनुच्छेद 264-291 में केन्द्र तथा राज्यों के मध्य राजस्व के स्रोतों  का स्पष्ट विभाजन किया गया है | संविधान में यह प्रावधान है कि  संसद संघ सूची में वर्णित विषयों पर कर अधिरोपित कर सकती है, जबकि राज्य विधान मंडल राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कर अधिरोपित कर सकता है।

संघ के प्रमुख राजस्व स्रोत 

संघ के प्रमुख राजस्व स्रोत इस प्रकार है- निगम कर, सीमा शुल्क, निर्यात शुल्क, कृषि भूमि को छोड़कर अन्य सम्पत्ति पर सम्पदा शुल्क, विदेशी ऋण, रेल रिजर्व बैंक तथा शेयर बाजार।

राज्य के प्रमुख राजस्व स्रोत- राज्यों के प्रमुख राजस्व स्रोत है- व्यक्तिकर, कृषि भूमि पर कर, सम्पदा शुल्क, भूमि और भवनों पर कर, पशुओं तथा नौकायन पर कर, बिजली उपयोग तथा विक्रय पर कर, वाहनों पर चुंगी आदि।

संघ द्वारा लगाए गये तथा राज्य द्वारा वसूले जाने वाले कर- जो कर संघ द्वारा लगाये जाते हैं लेकिन राज्य द्वारा वसूले जाते है, वे हैं - वसीयतों, विनिमय पत्रों, वचन पत्रों  हुण्डियों चेको आदि पर स्टाम्प शुल्क दवा तथा मादक द्रव्य पर कर तथा औषधि और प्रशाधन सामग्री पर लगाये गये कर ।

संघ द्वारा लगाये तथा वसूले जाने वाले लेकिन राज्यों में वितरित किये जाने वाले कर- संघ निम्नलिखित मदों पर कर लगाकर तथा उन्हें वसूल कर राज्यों के मध्य वितरित कर देगा-

  • कृषि भूमि से भिन्न सम्पत्ति के उत्तराधिकार के सम्बन्ध में शुल्क,
  • रेल, समुद्र,  वायु मार्ग  द्वारा ले जाये जाने वाले माल या यात्रियों पर सीमा कर,
  • रेल भाड़ों तथा माल भाड़ों पर कर,
  • स्टाक एक्सचेन्जों तथा शेयर बाजारों के संव्यवहारों पर स्टाम्प शुल्क से भिन्न कर,
  • कृषि से भिन्न सम्पत्ति के सम्बन्ध में सम्पदा शुल्क,
  • समाचार पत्रों के क्रय या विक्रय और उसमें प्रकाशित विज्ञापनों पर कर,
  • समाचार पत्रों से भिन्न माल के क्रय या विक्रय पर उस दशा में कर, जिसमें ऐसा क्रय या विक्रय  अंतरराष्ट्रीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान होता है,
  • माल के पोषण पर उस दशा में कर, जिसमें ऐसी घोषणा अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य के दौरान होती है।

सहायता अनुदान

  •  संघ द्वारा करों को उद्गृहीत करके राज्यों में वितरित किये जाने के बाद भी यह आवश्यक नहीं है कि राज्यों के संसाधन पर्याप्त हो संसाधन पर्याप्त न होने की स्थिति में संविधान में यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक वर्ष संघ ऐसे राज्यों की सहायता अनुदान देगा, जिनके बारे में संसद यह निर्धारित करे कि उन्हें सहायता की आवश्यकता है। विशेषकर राज्यों को जनजाति के क्षेत्रों के कल्याण के लिए अनुदान दिये जाएंगे, जिसमें इस सम्बन्ध में असम को दी जाने वाली विशेष सहायता भी शामिल है।

संघ तथा राज्य की उधार लेने वाली शक्ति

 संघ को भारत सरकार के राजस्व की प्रतिभूति पर भारत के बाहर उधार लेने की असीमित शक्ति है लेकिन संघ इस शक्ति का प्रयोग संसद द्वारा विहित सीमाओं के अधीन कर सकता है।

राज्य सरकार की उधार लेने की शक्ति सीमित है, जो इस प्रकार है-

  • राज्य भारत से बाहर उधार नहीं ले सकते,
  • राज्य सरकार को अपने राजस्व की प्रतिभूति पर निम्नलिखित शर्तो के अधीन रहते हुए भारत के राज्यक्षेत्र के अन्तर्गत उधार लेने की शक्ति है-
  • उन शर्तों के अधीन, जो राज्य विधानमंडल विहित करता है,
  • यदि संघ ने राज्य के किसी बकाया उधार की प्रत्याभूति दी है, तो संघ सरकार की सम्मति के बिना राज्य ऋण नहीं ले सकता।

 

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....