• Have Any Questions
  • +91 6307281212
  • smartwayeducation.in@gmail.com

Study Material



सल्तनकालीन प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत

साहित्यिक साक्ष्य

फारसी तथा अरबी साहित्य

तुर्क-अफगान शासक मूलतः सैनिक थे और स्वयं शिक्षित नहीं थे। हालांकि उन्होंने इस्लामी विधाओं और कलाओं को प्रोत्साहन दिया। प्रत्येक सुल्तान के दरबार में फारसी लेखकों, विद्वानों तथा कवियों का जमावड़ा लगा रहता था। उनकी रचनाओं से उस काल के इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं-

 

तारीख-ए-हिंद

  • इस पुस्तक की रचना अलबरूनी द्वारा की गई। वह महमूद गजनवी के आक्रमण के समय भारत आया था। वह अरबी और फारसी भाषा का ज्ञाता था।
  • अपनी इस पुस्तक में उसने 11वीं शताब्दी के प्रारंभ में हिंदुओं के साहित्य, विज्ञान तथा धर्म का आंखों देखा सजीव वर्णन किया है। इस पुस्तक के अध्ययन से तात्कालिक सामाजिक दशा का पर्याप्त ज्ञान होता है। यह पुस्तक ‘किताब-उल-हिंद’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

 

तारीख-ए-फिरोजशाही

  • ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ जियाउद्दीन बरनी की कृति है वह तुगलक शासकों का समकालीन था। ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में बलबन के सिंहासनारोहण से लेकर फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल के छठे वर्ष तक का वर्णन है।
  • इस रचना में उस काल के सामाजिक, आर्थिक जीवन तथा अन्य सुधारों का वर्णन किया गया है।
  • बरनी, क्योंकि राजस्व अधिकारी के पद पर कार्यरत था अतः उसने अपनी पुस्तक में राजस्व स्थिति का वर्णन स्पष्ट एवं विस्तारपूर्वक किया है। उसने इस ग्रंथ में तत्कालीन संतों, दार्शनिकों, इतिहासकारों, कवियों, चिकित्सकों आदि के विषय में भी लिखा है। इसके साथ ही अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल की सामाजिक तथा आर्थिक दशा का इस पुस्तक में सजीव वर्णन मिलता है।

 

ताज-उल-मासिर

  • इसकी रचना हसन निजामी द्वारा की गई। इस पुस्तक में 1192 ई0 से 1228 ई0 तक के भारत की घटनाओं का विवरण दिया गया है। इसमें राजनीतिक घटनाओं के साथ-साथ सामाजिक तथा धार्मिक जीवन का उल्लेख भी किया गया है। दिल्ली सल्तनत के प्रारंभिक दिनों का प्रामाणिक इतिहास इस पुस्तक में पर्याप्त रूप से मिलता है।
  • यह अरबी एवं फारसी दोनों भाषाओं में लिखी गई है।

 

फुतूहात-ए-फिरोजशाही

  • इसमें फिरोजशाह तुगलक के शासन प्रबंध के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों का वर्णन किया गया है।
  • इसके विषय में कहा जाता है कि स्वयं फिरोजशाह तुगलक ने इसे लिखा है।

 

तबकात-ए-नासिरी

  • इस पुस्तक का लेखक मिन्हाज-उस-सिराज है, जिसने मुहम्मद गौरी की भारत विजय से लेकर 1259-60 ई0 तक का वर्णन किया है।
  • माना जाता है कि  इस पुस्तक मे निष्पक्ष रूप से घटनाओं का वर्णन नहीं किया गया है, फिर भी अनेक विद्वानों ने इस पुस्तक की प्रशंसा की है। ‘फरिश्ता’ इस पुस्तक को उच्चकोटि की रचना मानता है।

 

तारीख-ए-मसूदी

  • अरबी भाषा के इस किताब का लेखक अबुल फजल मुहम्मद बिन हुसैन अल बैहाकी था।
  • इस किताब में दरबारी षड्यंत्र तथा राजनीतिक चालों का बड़ा ही प्रभावकारी वर्णन किया गया है।
  • ‘तारीख-ए-मसूदी’ सल्तनतकालीन इतिहास के शासक महमूद गजनवी एवं मसूद के शासनकाल का उत्कृष्टतम ऐतिहासिक स्रोत है।

 

किताब-उल-रेहला

  • इसका लेखक अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता था। सन् 1333 ई0 में वह भारत आया और यहां 1342 ई0 तक रहा। उसने मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में न्यायिक पद पर कार्य किया।
  • अरबी भाषा में लिखित इस पुस्तक में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल की राजनीतिक तथा सामाजिक स्थिति का अच्छा चित्रण किया गया है।

 

फतवा-ए-जहांदारी

इस पुस्तक  की रचना जियाउद्दीन बरनी ने की थी, जिसमें शरीयत के अनुसार मुस्लिम शासकों के लिए आदर्श राजनीतिक संहिता का वर्णन किया गया है।

 

किताब-उल-यामिनी

  • इसकी रचना ‘उत्बी’ के द्वारा की गई थी।
  • इस पुस्तक में सुबुक्तगीन और महमूद गजनवी के 1020 ई0 तक के इतिहास की जानकारी मिलती है।

 

खजायल-उल-फुतूह

  • यह पुस्तक अमीर खुसरो के द्वारा लिखी गई।
  • दिल्ली सल्तनत के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है।

 

विदेशी यात्रियों का विवरण

सल्तनल काल में अनेक विदेशी यात्री भारत आए। उन्होंने भारत भ्रमण करके उसका अपने ग्रंथों, विवरण-पत्रों आदि में सजीव चित्रण किया। उनके द्वारा रचित रचनाओं में वर्णित जानकारियां इस काल के इतिहास की जानकारी के महत्वपूर्ण स्रोत है। इनमें से कुछ सल्तनकालीन यात्रियों के विवरण निम्नलिखित है-

 

अलबरूनी

  • अलबरूनी ख्वारिज्म से भारत आया था। वह फारसी तथा अरबी भाषा का अच्छा ज्ञाता था। उसने संस्कृत, हिन्दू धर्म तथा भारतीय दर्शन का अध्ययन किया।
  • उसने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिसमें ‘तारीख-उल-हिंद’ सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसमें प्रारंभिक 11वीं शताब्दी के हिंदुओं के साहित्य, विज्ञान, धर्म तथा सामाजिक परंपराओं की जानकारी प्राप्त होती है।

 

इब्नबतूता

  • इब्नबतूता (मोरक्को, अफ्रीका) 1333 ई0 में भारत आया था आठ वर्ष भारत में रहने के दौरान उसने भारत में अनेक स्थानों की यात्राएं कीं और भारतीयों के खान-पान, रहन-सहन, धर्म-परंपरा आदि के विषय में बारीकी से लिखा।
  • इब्नबतूता, मुहम्मद बिन तुगलक के राजदरबार में काम करता था, जिस कारण उसे दरबारी राजनीति का भी व्यावहारिक ज्ञान था।
  • इब्नबतूता प्रकृति प्रेमी था अतः उसके यात्रा वृत्तांत में पशु-पक्षियों और वनस्पति का बड़ा सुंदर वर्णन मिलता है। अपने ग्रंथ ‘किताब-उल-रेहला’ में उसने भारत के विषय मे विस्तार से लिखा है।

 

मार्कोपोलो

  • मार्कोपोलो 13वीं शताब्दी में भारत आया था; उसने दक्षिण भारत के सामाजिक जीवन का सजीव वर्णन किया है। वह वेनिस का निवासी था, जो पांड्य राजा के दरबार में आया था।
  • मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।

 

अब्दुर्रज्जाक

  • अब्दुर्रज्जाक 1442-43 ई0 में भारत आया था। उसने देवराय द्वितीय के शासनकाल में तैमूर राजवंश के शासक शाहरूख के राजदूत के रूप मे विजयनगर साम्राज्य का दौरा किया था।
  • अपनी यात्रा वृत्तांत में उसने विजयकालीन सामाजिक तथा आर्थिक जीवन का विस्तार से वर्णन किया है।

 

निकोलो डी कोंटी

  • यह इटली का रहने वाला था। सन 1420-21 में वह भारत आया था। उसने देवराय प्रथम के शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य का दौरा किया था।
  • उसने ‘ट्रैवल्स ऑफ निकोलो कोंटी ’ नामक पुस्तक में इस यात्रा का वर्णन किया है।
  • उसके वर्णन से तत्कालीन भारतीय समाज के रीति-रिवाज, रहन-सहन आदि की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।

 

डोमिंगो पायस

  • यह एक पुर्तगाली यात्री था।
  • उसने दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेव राय के शासनकाल में प्राचीन हम्पी के सभी ऐतिहासिक पहलुओं का विस्तृत वर्णन किया।

 

फर्नाओ नुनीज

  • वह एक पुर्तगाली यात्री, इतिहासकार और घोड़ों का व्यापारी था। उसने अच्युतराय के शासनकाल के दौरान भारत का दौरा किया था और विजयनगर में तीन साल बिताए थे।
  • उसने विजयनगर के इतिहास, विशेषकर शहर की नींव, तीन वंशों के शासन के बाद की स्थिति एवं दक्कन के सुल्तानों और उड़ीसा के शासकों के साथ विजयनगर के शासकों की लड़ाई का विस्तृत वर्णन किया।
  • उसने अपनी यात्रा वृत्तांत में विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृृतिक पहलुओं का भी उल्लेख किया।
  • उसने महिलाओं के पहनावे के साथ-साथ राजा की सेवा में महिलाओं की नियुक्ति की भी प्रशंसा की

Videos Related To Subject Topic

Coming Soon....