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माउंटबेटन योजना

देश में सम्प्रदायिक हिंसा और गृह युद्ध की स्थिति की तीब्रता को देखते हुए 3 जून 1947 को भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड लुई माउंटबेटन की अध्यक्षता में भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के प्रश्न पर कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ एक योजना तैयार की गयी, जिसे माउंटबेटन योजना के नाम से जाना जाता है।

इस योजना के अन्तर्गत हस्तांतरित प्रक्रिया को सुगम बनाने तथा दोनो मुख्य सम्प्रदायों का समायोजन करने के लिए देश को दो भागों भारत और पाकिस्तान, में विभाजित करने का परामर्श दिया गया।

योजना की मुख्य बाते इस प्रकार है-बंगाल और पंजाब की प्रांतीय विधान सभाओं को यह कहा जाये कि वे दो भागों में अधिविष्ट हों। एक भाग में मुस्लिम बहुमत वाले जिलों के प्रतिनिधि होंगे और दूसरे भाग में शेष प्रांत के। दोनों भागों के सदस्य पृथक रूप से बैठकर इस बात के लिए मतदान देंगे कि क्या उस प्रांत का विभाजन किया जाए । यदि दोनो में सादे बहुमत से विभाजन के पक्ष में निर्णय होता है तो प्रत्येक विधान सभा का वह भाग उन क्षेत्रों के बारे में जिनका वह प्रतिनिधित्व करता है वह निर्णय करेगा कि क्या वह विद्यमान संविधान सभा में सम्मिलित होगा या पृथक संविधान सभा में

उपर्युक्त योजना के अनुसार दोनों प्रांतो (पश्चिम पंजाब और पूर्वी बंगाल) के मुस्लिम बहुमत वाले क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने विभाजन और नये पाकिस्तान में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया। पश्चिमी-सीमा प्रांत और सिलहट में जनमत पाकिस्तान पाकिस्तान के पक्ष में गया 26 जुलाई 1947 को माउंटबेटन ने  पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा की स्थापना की घोषणा की।

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