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परिवहन

सड़क परिवहन

          छोटी व मध्यम दूरी के आंतरिक परिवहन साधनों के अन्तर्गत सड़कों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है। सड़क मार्गों की लम्बाई के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और चीन का विश्व में क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान है।

विश्व के प्रमुख महामार्ग

1. ट्रांस कनाडियन महामार्ग: विश्व के प्रमुख महामार्गों में इसका सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यह कनाडा के पूर्वी तट पर स्थित न्यूफाउंडलैंड के सेंट जॉन नगर को कोलम्बिया के वैंकूवर नगर से जोड़ता है। यह लगभग 9,600 किमी. लम्बा है तथा प्रशांत व अटलांटिक दोनों महासागरों के तटों को जोड़ता है।

2. अलास्का महामार्ग: यह अलास्का के ऐंकरेज नगर से कनाडा के एडमांटन नगर को जोड़ता है।

3. स्टुअर्ट महामार्ग: यह आस्ट्रेलिया महाद्वीप का सबसे लम्बा महामार्ग है, जो उत्तरी आस्ट्रेलिया में स्थित बिरडुम नगर को एलिस स्प्रिंग व डेनेन्ट क्रीक होते हुए दक्षिणी आस्ट्रेलिया में स्थित उड़नादत्ता नगर को जोड़ता है।

4. चीन राष्ट्रीय महामार्ग: यह टोंगजियांग (हेलांगजियांग) महामार्ग तथा सान्य (हैनान) को जोड़ने वाला 5,700 किमी. लम्बा महामार्ग है।

5. केप-काहिरा महामार्ग: मिस्र की राजधानी काहिरा (कैरो) से दक्षिण अफ्रीका की वैधानिक राजधानी केपटाउन को मिलाने वाला एक अन्तर्महाद्वीपीय मार्ग है।

6. पैन अमेरिकन महामार्ग: यह दक्षिण अमेरिका नगरों, मध्य अमेरिका एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के नगरों को मिलाने वाला महामार्ग है।

जल परिवहन

पत्तन

          समुद्री मार्ग ही देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सबसे सुगम व सस्ता माध्यम होता है। यह पत्तन अथवा बन्दरगाह के द्वारा होता है, जो कि अपने पृष्ठ प्रदेशों से रेलमार्गों, सड़कों व अंतः स्थलीय जलमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ होता है। कुछ विशेष प्रकार के पत्तन निम्न हैं:

1. अन्तपोर्ट पत्तन: इन पत्तनों में जो माल आता है, उसको भेजने वाले दूसरे देश होते हैं तथा उनका गंतव्य भी कोई अन्य देश होता है, अर्थात ऐसे पत्तनों द्वारा एक देश के माल को किसी अन्य देश तक भेजने का कार्य सम्पन्न किया जाता है। इन पत्तनों पर आने वाले माल को बड़े-बड़े गोदामों में संचयन कर रखा जाता है। सिंगापुर, राटरडम, कोपेनहेगेन आदि विश्व के प्रमुख आन्त्रेपो पत्तन हैं।

2. पोर्ट आफ कॉल : लम्बे समुद्री मार्गों के बीच स्थित वैसे स्थान जहां जलयान रूककर ईंधन, पानी व यात्रियों के लिए भोजन आदि ग्रहण करते हैं, पोर्ट आफ कॉल कहलाता है। अदन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, होनोलुलू और सिंगापुर भी ऐसे ही पत्तन हैं।

3. तेल पत्तन: इसे दो प्रकार में बांटा गया है-

 (i) टैंकर पत्तन:  ये ऐसे पत्तन हैं, जहां टैंकरों में तेल भरने एवं उनसे तेल खाली करने की आधुनिक सुविधाएं प्राप्त की जाती हैं। हमारे देश में कोलकाता, कोच्चि, बड़ोदरा आदि ऐसे ही पत्तन हैं। विश्व में मराकैबो (वेनेजुएला), अस्सखीरा (ट्यूनीशिया), त्रिपोली (लीबिया) आदि प्रमुख टैंकर पत्तन हैं।

(ii) परिष्करणशाला पत्तन: इन पत्तनों में खनिज तेल की परिष्करणशालाओं की स्थापना की गई है। इनका प्रमुख उदाहरण फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान पत्तन है।

4. नौसेनिक पत्तन: इनका सामरिक महत्व अधिक होता है। यहां नौसेना के लड़ाकू जहाजों को आने-जाने एवं रख-रखाव की सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। हमारे देश में कोच्चि, कारवार व विशाखापत्तनम ऐसे ही पत्तन हैं।

विभिन्न नदियों पर महत्वपूर्ण पत्तन

  • राइन

राटरडम

  • वेजर

ब्रिमेन, हनोवर

  • एल्ब

हैम्बर्ग, ब्रंस्विक

  • ओडर

स्टेटीन, फ्रैंकफर्ट

  • सीन

मार्सेलीज

  • गेरून

बोर्डो

  • लॉयर

सेंट नजारे और नांटे

  • मिसीसिपी

न्यूआर्लियंस

  • अमेजन

मनाओस, इक्वीटास

  • पराना

सांटाफे

  • सीक्यांग

कैंटन, हांग-कांग

  • मर्रे-डार्लिंग

बोर्की

प्रमुख नहर प्रणाली

1.  पनामा नहर: यह नहर पनामा स्थलखंड को काटकर बनायी गयी है, जो प्रशान्त महासागर और कैरेबियन सागर (अटलांटिक महासागर) को जोड़ती है। प्रशांत तट पर पनामा और कैरेबियन तट पर कोलोन पत्तन अवस्थित है।

2. स्वेज नहर: यह नहर विश्व की सबसे बड़ी जहाजी (कृत्रिम) नहर है, जो भूमध्यसागर को लाल सागर से जोड़ती है। इस नहर को बनाने में फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डीनेंड-द-लेसेप्स की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1869 ई. में तैयार यह नहर मिस्र की नील घाटी के निचले भाग एवं सिनाई प्रायद्वीप को पृथक करती है। इस पर सबसे उत्तरी पत्तन पोर्ट सईद और दक्षिणी पत्तन पोर्ट स्वेज है। मध्य भाग में पोर्ट फौद, पोर्ट तौफिक ओर इस्माइलिया प्रमुख पत्तन है। यह नहर 162 किमी. लम्बी है। 1956 ई. में मिस्र की सरकार ने इस नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। 6 अगस्त, 2015 को स्वेज नहर के विस्तार हेतु निर्मित नई स्वेज नहर का औपचाचरिक उद्घाटन इस्लामिया शहर में किया गया।

3. कील नहर: यह पश्चिमी जर्मनी में उत्तरी सागर को बाल्टिक सागर से जोड़ती है।

4. स्टालिन नहर या श्वेत बाल्टिक नहर: बाल्टिक सागर को आर्कटिक सागर से जोड़ती है।

5. राइन-मेन-डैन्यूब नहर: यह उत्तरी सागर को काला सागर से जोड़ती है।

6. वोल्गा प्रणाली: यह विश्व की एक बड़ी जलप्रवाह प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत 11,200 किमी. नौगम्य जलमार्ग उपलब्ध है। वोल्गा नदी कैस्पियन सागर में गिरती है। जिसे वोल्गा-मास्को नहर द्वारा मास्को क्षेत्र को जोड़ा गया है। वोल्गा-डॉन नहर द्वारा काला सागर तक     नौ-परिवहन संभव है।

7. सू-नहर: यह नहर उत्तरी अमेरिका की सुपीरियर झील को ह्यूरन झील से मिलाती है।

8. इरी नहर: यह संयुक्त राज्य अमेरिका में इरी नहर बुफैलो शहर से होते हुए अल्बानी में हडसन नदी से मिल जाती है।

9. सेंट लॉरेंस जलमार्ग: यह जलमार्ग ग्रेट लेक्स से जुड़ा हुआ है तथा कुल 3,760 किमी. की दूरी तक आंतरिक भागों में समुद्री जहाजों का यातायात संभव बनाता है। इसी मार्ग के कारण ही महान झील के बंदरगाहों को समुद्री बंदरगाहों की भांति विकसित किया गया है।

10. निकारगुआ नहर: निकारगुआ ने 22 दिसंबर, 2014 को अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला अन्तरमहाद्वीपीय निकारगुआ नहर का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया। वर्ष 2019 तक इस परियोजना के पूर्ण होने की संभावना है। यह नहर कैरीबियन सागर के वेनाडो द्वीप पर प्रशांत महासागर स्थित ब्रिटों बंदरगाह के बीच होगा, जिसकी लम्बाई 278 किमी. होगी। इस नहर को निकारगुआ झील को तोड़कर बनाया जाना है, जो कि मध्य अमेरिका की ताजे जल का सबसे बड़ा स्रोत है।

11. वेलेन्ड नहर: यह इरी और ओन्टारियो को जोड़ती है।

वायु परिवहन

          वायु परिवहन सर्वाधिक तीव्र गति वाला परन्तु महंगा परिवहन साधन है। विश्व के वायु मार्ग मुख्यतः निम्न प्रकारों में वर्गीकृत हैं-

1. अन्तर्महाद्वीपीय वैश्विक

वायु मार्ग: ये सबसे लम्बे हवाई यात्राओं के मार्ग हैं। इसके प्रमुख उदाहरण हैं-

  • न्यूयार्क-लंदन-पेरिस-रोम-काहिरा-दिल्ली-मुम्बई-कोलकाता-हांगकांग-टोक्यो वायुमार्ग। यह विश्व का सबसे लम्बा वायुमार्ग है।
  • न्यूयार्क-सानफ्रांसिस्को-होनोलुलू-हॉंक-कांग-एडिलेड-पर्थ मार्ग जो प्रशांत महासागर को पार करता है।

2. महाद्वीपीय वायुमार्ग: एक ही महाद्वीप के विभिन्न देशों के बीच वायु मार्ग; जैसे-

(i) न्यूयार्क-शिकागो-मांट्रियल।

(ii) लंदन-पेरिस-फ्रैंकफर्ट-प्राग-वारसा मार्ग।

3. राष्ट्रीय वायुमार्ग: किसी भी देश के अन्दर लम्बी दूरी की यात्राओं को तय करने के लिए बनाया गया मार्ग है; जैसे-

(i) न्यूयार्क-शिकागो-सैन फ्रांसिस्को मार्ग।

(ii) लेनिनग्राद-मास्को-नोवोसिबिस्र्क-इर्कुत्स्क-ब्लाडीवोस्टक मार्ग।

 

रेलमार्ग

          वह रेलमार्ग जो किसी महाद्वीप के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ता है, अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग कहलाता है। विश्व के प्रमुख रेलमार्ग निम्नलिखित हैं-

 

1. ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग: इसका निर्माण सन् 1891 में आरंभ हुआ तथा सन् 1905 में बनकर तैयार हुआ। यह विश्व का सबसे लम्बा रेलमार्ग है, जिसकी लम्बाई 9,289 किमी. है। यह यूरेशिया महाद्वीप के पश्चिम में स्थित सेंट पीटर्सबर्ग नगर से पूर्व में प्रशांत महासागर के तट पर स्थित ब्लाडीवोस्टक नगर हो जोड़ता है। इसके प्रमुख स्टेशन हैं-मास्को, तुला, चेलियाबिन्स्क, ओमस्क, नोबोसिब्रिन्स्क, इर्कुत्स्क तथा चीता  है। इस रेलमार्ग का निर्माण पूर्व सोवियत संघ के केन्द्रीय औद्योगिक क्षेत्र को यूराल, साइबेरिया एवं सुदूर-पूर्व में स्थित क्षेत्रों से जोड़ने के लिए किया गया था।

 

ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग

 

2. कनाडियन पैसिफिक रेलमार्ग: इस रेलमार्ग की लम्बाई 5,600 किमी. है। यह कनाडा के पूर्व में स्थित न्यूब्रंस्विक के सेंट जोन्स नगर से पश्चिम में वैंकूवर तक पहुंचता है। इसके द्वारा क्यूबेक व माण्ट्रियल के औद्योगिक क्षेत्र, मुलायम लकड़ी वाले वन प्रदेश व प्रेयरी प्रदेश के गेहूँ क्षेत्र आपस में जुड़े हुए हैं। विश्व की सबसे बड़ी गेहूँ की मंडी विनिपेग को भी एक लूपमार्ग के जरिए इससे जोड़ दिया गया है।

3. कनाडियन नेशनल रेलमार्ग: यह नोवास्कोशिया के हैलीफैक्स नगर से ब्रिटिश कोलम्बिया के प्रिंस रूपर्ट नगर को जोड़ता है।

4. आस्ट्रेलियन अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग: यह आस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा रेलमार्ग है, जो पूर्व में स्थित सिडनी नगर को पश्चिम में स्थित पर्थ नगर से संबद्ध करता है। इसके प्रमुख स्टेशन ब्रोकेन हिल, कालगूर्ली एवं कूलगार्डी हैं। उल्लेखनीय है कि कालगूर्ली व कूलगार्डी विश्व की महत्वपूर्ण स्वर्ण खदानें हैं।

5. काहिरा-केपटाउन अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग: यह मिस्र की राजधानी काहिरा से दक्षिण अफ्रीका की वैधानिक राजधानी केपटाउन तक बनना प्रस्तावित है। इसका मार्ग अस्वान, अदिस अबाबा, मोम्बासा होते हुए बनाया जा रहा है।

6. ट्रांस काकेशियन रेलमार्ग: यह रेलमार्ग कैस्पियन तट पर स्थित बाकू (अजरबैजान) से लेकर काला सागर के तट पर स्थित बाटुमी (जार्जिया) को जोड़ता है।

7. ओरिएंट एक्सपे्रस रेलमार्ग: यह यूरोप का सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है, जो फ्रांस के पेरिस से टर्की के इस्तांबुल को जोड़ता है। इसी मार्ग में विश्व की सबसे लम्बी रेल सुरंग गोथार्ड बेस टनल (स्विट्जरलैंड) है।

8. ट्रांस एंडियन रेलमार्ग: यह दक्षिण अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है तथा चिली के वाल्परेजो से अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स तक पहुंचता है।

9. ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग: यह संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयार्क को सिएटल, सेन फ्रांसिस्को व लास एंजिल्स से जोड़ता है।

10. एशिया-यूरोप रेल नेटवर्क: इस रेल नेटवर्क के लिए वर्ष 2006 में एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की बैठक में एक प्रस्ताव तैयार किया गया था। यह रेल नेटवर्क म्यांमार सीमा से भारत में प्रवेश कर बांग्लादेश से गुजरेगा। पुनः जेडे के समीप भारत में प्रवेश करेगा तथा अटारी से भारत की सीमा से बाहर निकल जाएगा। यह रेल लिंक ठीक वैसा ही होगा, जैसा कि यूरोप में पेरिस व इस्ताम्बुल के बीच है। भारत सहित एशिया और यूरोप के 28 देशों के रेलमार्ग प्रणालियों को जोड़ने वाली ट्रांस-एशियन रेलवे संधि 11 जून, 2009 से प्रभावी हो गयी। वर्तमान समय में इस संधि को भारत के अलावा चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, थाईलैण्ड, कम्बोडिया व तजाकिस्तान ने अनुमोदन दिया है। इसका लक्ष्य एशिया व यूरोप के बीच यात्रियों व माल के आवागमन के लिए दक्ष रेल परिवहन सेवा प्रदान करना है। इस संधि में बंदरगाह रहित देशों को प्रमुख बंदरगाहों तक बेहतर पहुंच प्रदान की जाएगी। संधि में वैश्विक महत्व के प्रमुख स्टेशनों की पहचान की गई है, जिनमें से अधिकतर गैर-समुद्री क्षेत्रों में है तथा तटीय क्षेत्रों के बंदरगाहों की तरह भूमिका निभाते हैं। इन्हें ड्राई पोर्ट कहा जाता है। ये इस प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति प्रदान करेंगे।

11. बीजिंग-केण्टन रेलमार्ग: यह चीन के उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला सबसे लम्बा रेलमार्ग (2,350) एवं सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है। यह बीजिंग, झेंगटाऊ, बुहान, झुझऊ, शंघाई तथा केंटन हैं।

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