संसद द्वारा निर्मित नागरिकता अधिनियम 1955
इसके अधीन भारतीय नागरिकता का अर्जन- इस अधिनियम के अधीन भारतीय नागरिकता निम्न प्रकार से अर्जित की जाती है-
1.जन्म द्वारा नागरिकता- 26 जनवरी, 1950 के बाद तथा नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 के पूर्व भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्राप्त होगी लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रवर्तन के बाद भारत के राज्यक्षेत्र में जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति तब भारत का नागरिक होगा, जब उसके माता पिता में से कोई भारत का नागरिक हो।
2.देशीयकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति- कोई विदेशी व्यक्ति जो वयस्क हो चुका हो और प्रथम अनुसूची में वर्णित देशों का नागरिक नही है, भारत सरकार से निर्धारित प्रपत्र पर देशीयकरण के लिए आवेदन पत्र दे सकता है। कुछ निर्धारित शर्तो के आधार पर केन्द्रीय सरकार द्वारा संतुष्ट होने के पश्चात, आवेदन कर्ता को देशीकरण का प्रमाण-प़त्र दिया जा सकता है। इस रीति से नागरिकता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शर्तो को पूरा करना आवश्यक है-
1.वह किसी ऐसे देश का नागरिक न हो जहां भारतीय देशीकरण द्वारा नागरिक बनने से रोक दिये जाते हों।
2.उसने अपने देश की नागरिकता का परित्याग कर दिया हो, और केन्द्रीय सरकार को इस बात की सूचना दे दी हो,
3.वह देशीयकरण के लिए आवेदन करने की तिथि से पहले 12 वर्ष तक या तो भारत में रहा हो या भारत सरकार की सेवा में रहा हो, इस सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार अगर उचित समझे तो उस अवधि को घटा सकती है,
4.उक्त 12 वर्ष से पहले को कुल 7 वर्षो में कम से कम 4 वर्ष तक उसने भारत में निवास किया हो या भारत सरकार की नौकरी में रहा हो,
5.वह अच्छे चरित्र का व्यक्ति हो,
6.वह राज्यनिष्ठा की शपथ ग्रहण करे,
7.उसे भारतीय संविधान द्वारा मान्य भाषा का सम्यक ज्ञान हो,
8.देशीयकरण के प्रमाणपत्र की प्राप्ति के उपरान्त उसका भारत में निवास करने या भारत सरकार की नौकरी करने का इरादा हो।
3.वंश परंपरा द्वारा नागरिकता- भारत के बाहर अन्य देश में 26 जनवरी, 1950 के पश्चात जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा, यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भारत का नागरिक हो। माता की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नगरिकता प्रदान करने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा किया गया है।
4.पंजीकरण द्वारा नागरिकता- जो व्यक्ति भारत का नागरिक नही है, वह पंजीकरण द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को इसके लिए नियुक्त प्राधिकारी के समक्ष विहित प्रारूप में आवेदन करना होता है।
5.अर्जित भू-भाग के विलयन द्वारा नागरिकता- यदि किसी नये भू-भाग को भारत में शामिल किया जाता है, तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। गोवा, दमन एवं दीव, पाण्डिचेरी तथा सिक्कम के राज्य क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को इनके भारत में विलयन पर इसी प्रकार नागरिकता प्राप्त हुई थी।
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