उपराष्ट्रपति
संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार, भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। संविधान में उपराष्ट्रपति पद से सम्बन्धित प्रावधान सं. रा. अमेंरिका के संविधान के ग्रहण किया गया है। इस प्रकार भारत के उपराष्ट्रपति का पद अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद की कुछ परिवर्तन सहित अनुकृति है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सदस्य होता है और अन्य का कोई लाभ का पद धारण नहीं करता।
योग्यता
कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने योग्य होगा, यदि वह-
गौरतलब है कि इसका तात्पर्य यह नहीं है कि संसद या राज्य विधान मंडलों का सदस्य उपराष्ट्रपति नहीं हो सकता बल्कि इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित किया जाता है, और संसद या राज्य विधानमण्डलों में से किसी सदन का सदस्य है, तो उसे इस सदस्यता का त्याग करना पड़ता है।
भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियन्त्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन लाभ का पद न धारण करता हो।
निर्वाचन
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन एक ऐसे निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जाएगा, जो संसद से दोनो सदनों से मिलकर बनेगा, अर्थात उपराष्ट्रपति का निर्वाचन राज्यसभा तथा लोकसभा के सदस्यों द्वारा किया जाएगा। राज्य विधानमंडल के सदस्य इसमें भाग नहीं लेते हैं। यह निर्वाचन आनुपानित प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत तथा गुप्त मतदान द्वारा होगा। उपराष्ट्रपति पद के लिए अभ्यर्थी का नाम 20 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं द्वारा समर्थित होना आवश्यक है। और साथ ही अभ्यर्थियों द्वारा 15,000 ₹ की जमानत राशि जमा करना आवश्यक होता है,।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित विवाद
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित किसी विवाद का निर्णय उच्चतम् न्यायालय द्वारा किया जाएगा (अनुच्छेद 71)। यदि निर्वाचित उपराष्ट्रपति के पद ग्रहण के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को अवैध घोषित किया जाता है, तो पद पर रहते हुए उपराष्ट्रपति द्वारा किये गये कार्य को अवैध नहीं माना जाएगा।
पदावधि
उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से पांच वर्ष तक अपने पद पर बना रहेगा और यदि उसका उत्तराधिकारी इस पांच वर्ष की अवधि के दौरान नहीं चुना जाता है, तो वह तब तक अपने पद पर बना रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी निर्वाचित होकर पद ग्रहण नहीं कर लेता।
लेकिन उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तरीख से पांच वर्ष के अन्दर ही अपने पद से निम्नलिखित ढंग से हट सकता है या हटाया जा सकता हैः-
कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने की स्थिति में उपराष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा केवल उसी प्रक्रिया के तहत हटाया जा सकेगा जिस प्रक्रिया से संविधान में राष्ट्रपति पर महाभियोग स्थापित करने का प्रावधान है ।
पुनर्निवाचन से लिए पात्रता
जो व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद की आवश्यक योग्यता को धारण करता है, वह एक से अधिक कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया जा सकता है। लेकिन डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के दो बार निर्वाचित किये जाने के बाद अब यह सामान्य परम्परा बन गयी है कि किसी व्यक्ति को एक बार ही उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित किया जाय।
शपथ या प्रतिज्ञान
उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने के पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेता है तथा शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करता है (अनुच्छेद-69)।
उपराष्ट्रपति का शपथ-पत्र का प्रारूप निम्नलिखित रूप में निर्धारित होता है-
“मै, अमुक ईश्वर की शपथ लेता हूँ, सत्य निष्ठा से प्रतिज्ञाण करता हूँ कि मै विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा तथा जिस पद को मै ग्रहण करने वाला हूँ उसके कर्तब्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा ।”
उपराष्ट्रपति के पद की रिक्त को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय तथा आकस्मिक रिक्त को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि उपराष्ट्रपति के पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन पदावधि की समाप्ति से पूर्व किया जाएगा तथा उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पद त्याग या पद से हटाये जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन रिक्ति कोने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाएगा और रिक्त को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा (अनुच्छेद 68)। पदावधि के दौरान उपराष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने की स्थिति में रिक्त हुए पद को कार्यवाहक उपराष्ट्रपति के द्वारा भरे जाने संबंधी कोई संवैधानिक व्यवस्था नहीं है। इस प्रकार ऐसी स्थिति में उपराष्ट्रपति का पद केवल निर्वाचन के द्वारा की भरा जाएगा ।
वेतन एवं भत्ते
उपराष्ट्रपति अपने पद का वेतन नहीं ग्रहण करता, बल्कि वह राज्यसभा के सभापति के रूप में अपना वेतन ग्रहण करता है। वर्तमान समय में राज्यसभा के सभापति का वेतन 40,000 रू. है । इस वेतन के अतिरिक्ति उपराष्ट्रपति को विना किराये का सुसज्जित मकान आवास के लिए दिया जाता है। राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति को वेतन भारत की संचित निधि से दिया जाता है। उपराष्ट्रपति के वेतन या भत्ते में उसकी पदावधि के दौरान कमी नहीं की जा सकती। पदावधि के दौरान मृत्यु होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति को पारिवारिक पेंशन, आवास और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त है। उपराष्ट्रपति के निधन अथवा सेवा निवृत्त की स्थिति में पत्नी अथवा पति को पेंशन प्राप्त होगी।
कार्य एवं शक्तियाँ
उपराष्ट्रपति को संविधान द्वारा निम्नलिखित कार्य तथा शक्तियां सौपी गयी हैं-
1.कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य-अनुच्छेद 65 के अनुसार राष्ट्रपति की मृत्यु या उस द्वारा त्याग पत्र दे देने या महाभियोग प्रक्रिया के अनुसार उसके पदमुक्त होने या उसकी अनुपस्थिति के कारण जब राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के कर्तब्यों का निर्वहन करता है तथा राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग करता है जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति कृत्यों का निर्वहन कर रहा होता है, तब वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होता है, जिनका हकदारा राष्ट्रपति होता है । उपराष्ट्रपति जब राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा।
2.राज्यसभा के सभापति के रूप में-अनुच्छेद- 64 में दी गयी व्यवस्था के अनुसार राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति निम्नलिखित कार्यो को करता है-
सूचना देने का कर्तव्य
भारत का राष्ट्रपति जब कभी त्यागपत्र देता है, तो वह अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है। जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का त्यागपत्र प्राप्त करे, तो उसका कर्तव्य बनता है कि वह राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना लोकसभा के अध्यक्ष को दे।
अन्यकार्य
उपराष्ट्रपति को संविधान के द्वारा कोई औपचारिक कार्यपालिकीय शक्ति प्राप्त नहीं है, फिर भी व्यवहार में उसे मंत्रिमंडल के समस्त निर्णयों की सूचना प्रदान की जाती है। उपराष्ट्रपति विभिन्न राजकीय यात्राओं में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। इन सब के अतिरिक्त उपराष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय का पदेन कुलपति होता है।
भारत के अबतक के उपराष्ट्रपतियों की सूची
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उपराष्ट्रपति |
पदग्रहण |
पदमुक्ति |
राष्ट्रपति |
1 |
13 मई 1952 |
14 मई 1957 |
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2 |
13 मई 1962 |
12 मई 1967 |
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3 |
13 मई 1967 |
3 मई 1969 |
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4 |
31 अगस्त 1969 |
30 अगस्त 1974 |
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5 |
31 अगस्त 1974 |
30 अगस्त 1979 |
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6 |
31 अगस्त 1979 |
30 अगस्त 1984 |
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7 |
31 अगस्त 1984 |
27 जुलाई 1987 |
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8 |
3 सितम्बर 1987 |
24 जुलाई 1992 |
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9 |
21 अगस्त 1992 |
24 जुलाई 1997 |
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10 |
21 अगस्त 1997 |
27 जुलाई 2002 |
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11 |
19 अगस्त 2002 |
21 जुलाई 2007 |
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12 |
11 अगस्त 2007 |
19 जुलाई 2017 |
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13 |
8 अगस्त 2017 |
- वर्तमान - |
राम नाथ कोविन्द |
गौरतलब है कि भारत के उपराष्ट्रपतियों में से प्रथम उपराष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन दो कार्यकाल तक उपराष्ट्रपति रहे, तथा दो उपराष्ट्रपति, वी.वी. गिरी व आर. वेंकटरमन कार्यकाल पूरा करने के पहले ही राष्ट्रपति चुन लिए गए। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत भारत के पहले उपराष्ट्रपति हैं, जिनकी मृत्यु पदावधि के दौरान हुई।
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