वित्तीय सम्बन्ध
संविधान के अनुच्छेद 264-291 में केन्द्र तथा राज्यों के मध्य राजस्व के स्रोतों का स्पष्ट विभाजन किया गया है | संविधान में यह प्रावधान है कि संसद संघ सूची में वर्णित विषयों पर कर अधिरोपित कर सकती है, जबकि राज्य विधान मंडल राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कर अधिरोपित कर सकता है।
संघ के प्रमुख राजस्व स्रोत
संघ के प्रमुख राजस्व स्रोत इस प्रकार है- निगम कर, सीमा शुल्क, निर्यात शुल्क, कृषि भूमि को छोड़कर अन्य सम्पत्ति पर सम्पदा शुल्क, विदेशी ऋण, रेल रिजर्व बैंक तथा शेयर बाजार।
राज्य के प्रमुख राजस्व स्रोत- राज्यों के प्रमुख राजस्व स्रोत है- व्यक्तिकर, कृषि भूमि पर कर, सम्पदा शुल्क, भूमि और भवनों पर कर, पशुओं तथा नौकायन पर कर, बिजली उपयोग तथा विक्रय पर कर, वाहनों पर चुंगी आदि।
संघ द्वारा लगाए गये तथा राज्य द्वारा वसूले जाने वाले कर- जो कर संघ द्वारा लगाये जाते हैं लेकिन राज्य द्वारा वसूले जाते है, वे हैं - वसीयतों, विनिमय पत्रों, वचन पत्रों हुण्डियों चेको आदि पर स्टाम्प शुल्क दवा तथा मादक द्रव्य पर कर तथा औषधि और प्रशाधन सामग्री पर लगाये गये कर ।
संघ द्वारा लगाये तथा वसूले जाने वाले लेकिन राज्यों में वितरित किये जाने वाले कर- संघ निम्नलिखित मदों पर कर लगाकर तथा उन्हें वसूल कर राज्यों के मध्य वितरित कर देगा-
सहायता अनुदान
संघ तथा राज्य की उधार लेने वाली शक्ति
संघ को भारत सरकार के राजस्व की प्रतिभूति पर भारत के बाहर उधार लेने की असीमित शक्ति है लेकिन संघ इस शक्ति का प्रयोग संसद द्वारा विहित सीमाओं के अधीन कर सकता है।
राज्य सरकार की उधार लेने की शक्ति सीमित है, जो इस प्रकार है-
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