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बंगाल के नवाब

मुर्शीद कुली खां (1717 . से 1727 ई.)

  • बंगाल प्रांत, मुग़ल कालीन भारत का सबसे समृद्ध प्रांत था। औरंगजेब ने मुर्शीद कुली खाँ को बंगाल का दीवान नियुक्त किया था, लेकिन 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य की कमजोरी का लाभ उठाकर 1717 ई. में इसने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया।
  • 1717 ई. में मुग़ल साम्राट फरूखसियर ने एक फरमान द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल में व्यापार करने की रियायत दे दी।
  • इस फरमान द्वारा बंगाल में 3000 रु. वार्षिक कर अदा करने पर कंपनी को उसके समस्त व्यापार में सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया गया। साथ ही कोलकाता के आसपास के 38 गांवों को खरीदने का अधिकार मिल गया।
  • अंग्रेजों ने इस विशेषाधिकार का दुरुपयोग शुरु किया, तो मुर्शीद कुली खाँ ने इसका विरोध किया। मुर्शीद कुली खाँ ने फरूखसियर द्वारा दिए गए फरमान का बंगाल में स्वतंत्र प्रयोग नियंत्रित करने का प्रयत्न किया।
  • मुर्शीद कुली खाँ ने बंगाल की राजधानी को ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित किया।
  • 1726 ई. में मुर्शीद कुली खाँ की मृत्यु के बाद उसके दामाद शुजाउद्दीन ने 1727 से 1739 तक बंगाल पर शासन किया। 1739 में शुजाउद्दीन की मृत्यु के बाद सरफराज खां ने सत्ता हथिया ली।

अलीवर्दी खां (1740 . से 1756 ई.)

  • अलीवर्दी खां, सरफराज खां को गिरिया के युद्ध में पराजित कर 1740 में बंगाल का नवाब बना।
  • अलीवर्दी खां ने बंगाल में अंग्रेजो और फ्रांसीसियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया।
  • अलीवर्दी खां ने यूरोपियों की तुलना मधुमक्खियों से की थी और कहा था यदि उन्हें छेड़ा न जाए तो वे शहद देंगी, और यदि छेड़ा जाए तो वे काट-काट कर मार डालेंगी
  • अलीवर्दी खां की मृत्यु 1756 ई. में हो गई। इसके बाद उसका उत्तराधिकारी, उसका नाती सिराजुद्दौला शासक बना।

सिराजुद्दौला (1756 . से 1757 ई.)

  • सिराजुद्दौला के शासनकाल में बंगाल अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की आपसी प्रतिद्वंदिता के कारण अशांत था।
  • फरूखसियर द्वारा प्रदान किये विशेष अधिकार फरमान का, कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा दुरूपयोग से सिराजुद्दौला अंग्रेजों से नाराज था।
  • इसके अतिरिक्त अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने बंगाल में स्थान-स्थान पर किलेबंदी शुरू कर दी थी।
  • सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों और फ्रांसीसियों को तत्काल किलेबंदी रोकने का आदेश दिया।
  • फ्रांसीसियों ने तो नवाब का आदेश मानकर किलेबंदी का काम रोक दिया किन्तु अंग्रेजो ने ऐसा नहीं किया। परिणामस्वरूप सिराजुद्दौला ने कासिम बाजार स्थित अंग्रेजो के किले पर आक्रमण कर उन्हें आत्मसमर्पण के लिए बाध्य किया।
  • 20 जून, 1756 को फोर्ट विलियम ने आत्मसमर्पण कर दिया कुछ अंग्रेज शहर छोड़ कर फुल्टा द्वीप भाग गए।
  • ऐसा कहा जाता है कि 146 अंग्रेजों को 18 फुट लंबे तथा 14 फुट 10 इंच चौड़े एक कमरे में बंद कर दिया गया था, जिसमें से सिर्फ 23 अंग्रेज ही जिंदा बच पाए थे। जून, 1756 में घटी यह घटना इतिहास में ब्लैक होल के नाम से विख्यात है।
  • जनवरी 1757 में राबर्ट क्लाइव और एडमिरल वाटसन ने कोलकाता पर पुनः अधिकार कर लिया।
  • फरवरी 1757 में अंग्रेजों और सिराजुद्दौला के बीच कोलकाता में एक संधि हुई, जिसे अलीनगर की संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि द्वारा अंग्रेजों ने बंगाल में किलेबंदी और सिक्के ढालने की अनुमति प्राप्त की। अलीनगर की संधि द्वारा अंग्रेज और आक्रामक हो गए । मार्च 1757 में अंग्रेजो ने फ़्रांसिसी क्षेत्र चंद्रनगर पर कब्जा कर लिया।
  • अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला के विरुद्ध एक षड्यंत्र रचा जिसमें सिराजुद्दौला के सेनापति मीरजाफर को बंगाल का नवाब बनाने का आश्वासन देकर अपनी तरफ शामिल किया ।
  • अंग्रेजों की गतिविधियो से नाराज होकर सिराजुद्दौला युद्ध की तैयारी करने लगा।
  • 23 जून 1757 को अंग्रेजो और सिराजुद्दौला की सेनाओं के बीच प्लासी नामक स्थान पर एक भीषण युद्ध हुआ, जिसमें सिराजुद्दौला की हार हुई।
  • प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की सेना का नेतृत्व मीर जाफर, लतीफ खां, राय दुर्लभ, मीर मदान और मोहन लाल कर रहे थे। इसमें मीरजाफर और राय दुर्लभ अंग्रेजो से मिले हुए थे।
  • प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला को बंदी बनाकर बाद में गोली मार दी गई।

मीर जाफर (1757 . से 1760 ई.)

  • 30 जून 1757 ई. को क्लाइव ने मुर्शिदाबाद में मीर जाफर को बंगाल के नवाब के पद पर बिठाया। इसी समय से बंगाल में कंपनी नृप निर्माता (king maker) की भूमिका की शुरुआत हुई।
  • बंगाल की नवाबी प्राप्त करने के उपलक्ष्य में मीर जाफर ने कंपनी को 24 परगना की जमीनदारी पुरस्कार के रूप में प्रदान किया साथ ही कंपनी को बंगाल, बिहार, और उड़ीसा में मुक्त व्यापार करने का अधिकार प्रदान किया।
  • मीर जाफर ने अंग्रेजों को उनकी सेवा के बदले बहुत सारा पुरस्कार प्रदान किया क्लाइव को उसने 2 लाख 34 हजार पौंड की व्यक्तिगत भेंट, 50 लाख रुपए, सेना तथा नाविकों को पुरस्कार के रूप में  बंगाल की सभी फ्रांसीसी बस्तियों को जाफर ने अंग्रेजों को सौंप दिया ।
  • मीर जाफर के बारे में कहा जाता है कि उसने अंग्रेजों को इतना अधिक धन दिया कि उसे अपने महल के सोने चांदी के बर्तन भी बेचने पड़े ।
  • 24 परगना की जागीर को क्लाइव की जागीर के नाम से जाना जाता था ।
  • अंग्रेजी सरकार के खर्च में दिन-प्रतिदिन हो रही बेतहाशा वृद्धि और उसे वहन न कर पाने के कारण मीरजाफर ने अक्टूबर 1760 में अपने दामाद मीर कासिम के पक्ष में सिंहासन त्याग दिया । कालांतर में मीर जाफर के अंग्रेजों से संबंध खराब हो गए। इसका कारण प्रशासनिक कार्यो में अंग्रेजों का बढ़ता हस्तक्षेप था।

 

मीर कासिम (1760 . से 1763 ई.)

  • मीर कासिम अलीवर्दी के उत्तराधिकारियों में सर्वाधिक योग्य था राज्यारोहण के तत्काल बाद उसे मुगल सम्राट शाह आलम द्वारा बिहार पर आक्रमण का सामना करना पड़ा कंपनी की सेना ने सम्राट को पराजित कर उसकी स्थिति को दयनीय बना दिया ।
  • नवाबी पाने के बाद मीर कासिम ने बेन्सिटार्ट को 5 लाख, हालवेल को 2 लाख 70 हजार और कर्नल केलाड को 4 लाख रूपये उपहार स्वरूप प्रदान किये ।
  • मीर कासिम ने नवाब बनने के बाद अंग्रेजो को मिदनापुर, बर्दवान तथा चटगांव के तीन जिले सौंप दिए। कंपनी तथा उसके अधिकारियों को भरपूर मात्रा में धन देकर मीर कासिम अंग्रेजों के हस्तक्षेप से बचने के लिए शीघ्र ही अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर हस्तांतरित कर लिया ।
  • मीर कासिम ने बिहार के नायब सूबेदार रामनारायण को उसके पद से बर्खास्त कर उसकी हत्या करवा दी क्योंकि वह बिहार के आय और व्यय का ब्यौरा देने के लिए तैयार नहीं था ।
  • सैन्य व्यवस्था में सुधार करने के उद्देश्य से मीर कासिम ने अपने सैनिकों की संख्या में वृद्धि की साथ ही उन्हें यूरोपीय ढंग से प्रशिक्षित किया इसने अपनी सेना को गुरगिन खान नामक आर्मीनियाई के नियंत्रण में रखा
  • 1717 में मुगल बादशाह द्वारा प्रदत्त सभी व्यापारिक फरमान का इस समय बंगाल में दुरुपयोग देखकर नवाब मीर कासिम ने आंतरिक व्यापार पर सभी प्रकार के शुल्कों की वसूली बंद करवा दी ।
  • 1762 में मीर कासिम द्वारा खत्म की गई व्यापारिक चुंगी और कर का लाभ अब भारतीयों को भी मिलने लगा पहले यह लाभ 1717 के प्रमाण द्वारा केवल कंपनी को मिलता था कंपनी ने नवाब के इस निर्णय को अपने विशेषाधिकार की अवहेलना के रूप में लिया परिणामस्वरूप संघर्ष की शुरुआत हुई ।
  • 1763 ई. में मीर कासिम को कंपनी ने बर्खास्त कर मीर जाफर को पुनः बंगाल का नवाब बनाया ।
  • 19 जुलाई 1763 को मीर कासिम व ऐडम्स के नेतृत्व में करवा नामक स्थान पर ‘करवा का युद्ध’ हुआ ।  जिसमें नवाब पराजित हुआ करवा के युद्ध के बाद और बक्सर के युद्ध से पहले मीर कासिम को अंग्रेजों ने तीन बार पराजित किया । परिणाम स्वरूप कासिम ने मुंगेर छोड़कर पटना में शरण ली ।
  • अंग्रेजों द्वारा बार-बार पराजित होने के कारण मीर कासिम ने एक सैनिक गठबंधन बनाने की दिशा में प्रयास किया । बाद में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय, अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मीर कासिम ने मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक सैन्य गठबंधन का निर्माण किया ।
  • बक्सर से पहले मीर कासिम निम्नलिखित युद्ध में पराजित हुआ-
  1. करवा का युद्ध-9 जुलाई,1763
  2. गीरिया का युद्ध-  सितंबर,1763
  3. उधौनला का युद्ध- 1763

मीर जाफर (1763 . से 1765 ई.)

  • मीर कासिम के बाद एक बार पुनः मीरजाफर बंगाल के सिंहासन पर बैठा।
  • मीर जाफर ने अंग्रेजो को सेना के रखरखाव के लिए बर्दवान, मिदनापुर और चटगांव प्रदान किए तथा बंगाल में उन्हें मुक्त व्यापार का अधिकार दिया।
  • 1764 में मीरजाफर ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय को मिलाकर बक्सर नामक स्थान पर अंग्रेजो से युद्ध किया इस युद्ध में अंग्रेजो की विजय हुई।
  • बक्सर के युद्ध में के बाद बंगाल के गवर्नर लार्ड क्लाइव ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ इलाहाबाद की संधि की।
  • इलाहाबाद की संधि द्वारा मुग़ल सम्राट को कड़ा और इलाहाबाद का क्षेत्र मिला।
  • मुग़ल सम्राट ने कंपनी को बंगाल, बिहार की दीवानी का अधिकार दिया। कंपनी ने उसके बदले 26 लाख रूपये मुग़ल सम्राट को देना स्वीकार किया।
  • शुजाउद्दौला द्वारा कंपनी को युद्ध हर्जाने के रुप में 50 लाख रुपए चुकाने के बाद उसके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया गया।
  • 5 फरवरी 1765 को मीर जाफर की मृत्यु के बाद उसके पुत्र नाजीमुद्दौला को बंगाल के नवाब बनाया गया।

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