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भारत की आजादी की लड़ाई में विभिन्न विद्रोहों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है | 18 वीं सदी के प्रारम्भ से ही सामान्य-नागरिक, कृषक तथा जनजातीय लोग ब्रिटिश हुकूमत और भारतीय शोषकों, जैसे-जमींदार, राजा-रजवाड़े, कुलीन वर्ग आदि के खिलाफ अपना असंतोष प्रकट करने लगे थे। ब्रिटिशों की भू-नीतियां एवं राजस्व की दमनात्मक वसूली आदि कृषक आंदोलनों का मुख्य तौर पर कारण  बनीं । तत्कालीन अधिकांश विद्रोहों का पुलिस तथा सेना की मदद से दमन करने में अंग्रेज सफल रहे | भारतीय किसानों ने विभिन्न स्थानों पर शोषण के खिलाफ प्रतिरोध दर्ज कराया । जनजातीय विद्रोह का कारण अंग्रेजों द्वारा उनके परंपरागत अधिकारों का हनन था। आदिवासियों का वन पर परंपरागत अधिकार था परंतु सरकार ने वन नीति के तहत उसे सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया | नमक कर जैसे करों की दमनकारी वसूली, आबकारी कर आदि भी इन विद्रोहों का कारण बनी । ईसाई धर्म प्रचारकों ने भारतीय संस्कृति पर प्रहार किया परिणाम स्वरुप समय-समय पर इसके विरोध में विभिन्न जन विद्रेाह हुए।

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