भारत के गवर्नर जनरल तथा वायसरॉय
भारत का गवर्नर जनरल भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद था। जिसपर सिर्फ अंग्रेजों का अधिकार था। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व कोई भी भारतीय इस पद पर नहीं बैठा। गवर्नर जनरल ऑफ द प्रेसीडेंसी ऑफ फोर्ट विलियम के शीर्षक के साथ इस कार्यालय को 1773 में सृजित किया गया था।
1858 ई. तक गवर्नर जनरल की नियुक्ति ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा की जाती थी, 1857 के विद्रोह के बाद इनकी नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाने लगी।
1947 में जब भारत और पाकिस्तान को आजादी मिली तब वायसराय की पदवी को हटा दिया गया, लेकिन दोनों नई रियासतों में गवर्नर-जनरल के कार्यालय को तब तक जारी रखा गया जब तक उन्होंने क्रमशः 1950 और 1956 में गणतंत्र संविधान को अपनाया।
बंगाल के गवर्नर
लार्ड क्लाइव
कार्य काल – 1757-1760 एंव 1765-1767
- लार्ड क्लाइव ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया।
- लार्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का जन्मदाता माना जाता है।
मुख्य घटना और कार्य
- क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन की व्यवस्था की, जिसके तहत राजस्व वसूलने, सैनिक संरक्षण एंव विदेशी मामले कम्पनी के अधीन थे, जबकि शासन चलाने की जिम्मेदारी नवाबो के हाथ में थी।
- क्लाइव के बाद, द्वैध शासन के दौरान वेरेल्स्ट (1767-1769) और कार्टियर (1769-1772) बंगाल के गवर्नर रहे।
- 1757 का प्लासी का युद्ध भी लार्ड क्लाइव के नेतृत्व में लड़ा गया।
बंगाल के गवर्नर-जनरल
वारेन हेस्टिंग्स
कार्यकाल – 20 अक्टूबर 1773 – 1 फ़रवरी 1785
मुख्य घटना और कार्य
- 1773 ई. में रेग्युलेटिंग एक्ट के द्वारा वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया, जिसने बंगाल में स्थापित द्वैध शासन प्रथा को समाप्त कर दिया एंव प्रत्येक जिले में फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की।
- हेस्टिंग्स के समय में रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत 1774 में कलकत्ता में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी।
- हेस्टिंग्स ने बंगाली ब्राह्मण नन्द कुमार पर झूठा आरोप लगा कर न्यायालय से फाँसी की सजा दिलवाई।
- प्रथम एंव द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही लड़े गए, प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775 – 1782 ई.) जो सलबाई की संधि (1782ई.) से समाप्त हुआ एंव द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1780-1784 ई.) जो मंगलोर की संधि (1784ई.)के द्वारा समाप्त हुआ।
- हेस्टिंग्स के समय में 1784 ई. को एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना हुई।
- हेस्टिंग्स के समय में ही बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू की स्थापना हुई।
- हेस्टिंग्स ने 1781 ई. में कलकत्ता में प्रथम मदरसा की स्थापना की।
- हेस्टिंग्स के समय में 1782 ई. को जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की।
- वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही पिट्स इंडिया एक्ट पारित हुआ, जिसके द्वारा बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना हुई|
- पिट्स एक्ट के विरोध में इस्तीफ़ा देकर जब वारेन हेस्टिग्स फ़रवरी, 1785 ई. में इंग्लैण्ड पहुँचा, तो बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग लगाया गया। ब्रिटिश पार्लियामेंट में यह महाभियोग 1788 ई. से 1795 ई. तक चला, परन्तु अन्त में उसे आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
सर जॉन मैकफरसन
कार्यकाल – 1 फ़रवरी 1785 – 12 सितंबर 1786
- इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।
लार्ड कॉर्नवालिस
कार्यकाल – 12 सितंबर 1786 – 28 अक्टूबर 1793
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड कॉर्नवॉलिस को भारत में सिविल सेवा एंव पुलिस व्यवस्था का जनक माना जाता है।
- इसके समय में जिले के समस्त अधिकार जिला कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
- कार्नवालिस के समय में 1790 से 1792 ई. में तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध हुआ।
- 1793 में कार्नवालिस ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भूमि कर से सम्बंधित स्थाई बंदोबस्त पद्ति लागू की, जिसके तहत जमींदारो को अब भूराजस्व का लगभग 90% कंपनी को तथा लगभग 10% अपने पास रखना था।
- कॉर्नवॉलिस ने जिले में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया।
सर जॉन शोर
कार्यकाल – 28 अक्टूबर 1793 – 18 मार्च 1798
मुख्य घटना और कार्य
- अहस्तक्षेप नीति एंव खारदा का युद्ध सर जॉन शोर के काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
- खारदा का युद्ध 1795 ई. में मराठो एंव निजाम के बीच लड़ा गया।
सर अलर्ड क्लार्क
कार्यकाल – 18 मार्च 1798 – 18 मई 1798
- इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।
लार्ड वेलेजली
कार्यकाल – 18 मई 1798 – 30 जुलाई 1805
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड वेलेज़ली जो अपने आप को बंगाल का शेर कहता था।
- लार्ड वेलेजली ने सहायक संधि की पद्धति की।
- भारत में सहायक संधि का प्रयोग वेलेज़ली से पहले फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने किया था।
- वेलेजली के समय में हैदराबाद, मैसूर, तंजौर, अवध, जोधपुर, जयपुर, बूंदी, भरतपुर और पेशावर ने सहायक संधि पर हस्ताक्षर किये।
- वेलेज़ली ने 1800 ई. में नागरिक सेवा में भर्ती हुए युवकों को प्रशिक्षण देने के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
- वेलेज़ली के काल में ही चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. में हुआ जिसमें टिप्पू सुल्तान मार गया था।
- इसके शासन काल में द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध 1803-1805 ई. में हुआ था।
लार्ड कार्नवालिस
कार्यकाल – 30 जुलाई 1805 – 5 अक्टूबर 1805
मुख्य घटना और कार्य
- 1805 ई. में लार्ड कॉर्नवॉलिस का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ, परन्तु शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गयी।
- गाजीपुर में दफनाया गया वहीं पर इसकी कब्र है |
सर जॉर्ज बारलो
कार्यकाल – 10 अक्टूबर 1805 से 31 जुलाई 1807
मुख्य घटना और कार्य
- 1805 ई. की राजपुरघाट की संधि एंव 1806 ई. का वेल्लोर में सिपाही विद्रोह इसके काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
- राजपुरघाट की संधि 1805 ई. में धेलकार एंव सर जॉन बारलो के मध्य हुई थी।
लार्ड मिंटो
कार्यकाल – 31 जुलाई 1807 – 4 अक्टूबर 1813
मुख्य घटना और कार्य
- अमृतसर की संधि एंव चार्टर एक्ट इसके काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
- अमृतसर की संधि 25 अप्रैल 1809 ई. में रणजीत सिंह एंव लार्ड मिन्टो के मध्य हुई जिसकी मध्यस्थता मेटकॉफ ने की थी।
- 1813 का चार्टर एक्ट मिन्टो के काल में ही पास हुआ था।
मार्क्विस हेस्टिंग्स
कार्यकाल – 4 अक्टूबर 1813 – 9 जनवरी 1823
मुख्य घटना और कार्य
- हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1814-1816 ई. को आंग्ल नेपाल युद्ध हुआ, इसमे नेपाल के अमरसिंह को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
- मार्च 1816 ई. में हेस्टिंग्स एंव गोरखों के बिच सांगोली की संधि के द्वारा आंग्ल-नेपाल युद्ध का अंत हुआ।
- सांगोली की संधि के द्वारा काठमांडू में एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखना स्वीकार किया गया और इस संधि के द्वारा अंग्रेजों को शिमला, मसूरी, रानीखेत, एवं नैनीताल प्राप्त हुए।
- हेस्टिंग्स के ही कार्यकाल में तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1818-1818 ई.) हुआ, और 1818 में हेस्टिंग्स ने पेशवा का पद समाप्त कर दिया।
- 1817-1818 ई. में ही इसने पिंडारियों का दमन किया, जिसके नेता चीतू, वासिल मोहम्मद तथा करीम खां थे।
- हेस्टिंग्स ने 1799 में प्रेस पर लगाये गए प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया।
- इसी के समय में 1822 ई. को टैनेन्सी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम लागू हुआ।
जॉन ऐडम्स
कार्यकाल – 9 जनवरी 1823 – 1 अगस्त 1823
- इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।
लार्ड एमहर्स्ट
कार्यकाल – 1 अगस्त 1823 – 13 मार्च 1828
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड एम्हर्स्ट के काल में 1824-1826 ई. को प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया था।
- 1825 ई. में ब्रिटिश सेना के सैनिक कमाण्डर ने बर्मा सेना को परास्त कर 1826 ई. में ‘याण्डबू की सन्धि’ की।
- 1824 ई. का बैरकपुर का सैन्य विद्रोह भी लॉर्ड एम्हर्स्ट के समय में ही हुआ था।
विलियम बटरवर्थ बेले
कार्यकाल – 13 मार्च 1828 – 4 जुलाई 1828
- इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।
लार्ड विलियम बैंटिक
कार्यकाल – 4 जुलाई 1828 – 1833
- लॉर्ड विलियम बैंटिक 1803 ई. में मद्रास के गवर्नर की हैसियत से भारत आया।
- 1833 ई. के चार्टर-एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर-जनरल बना दिया गया।
- लॉर्ड विलियम बैंटिक 1828-1833 तक बंगाल के गवर्नर एंव 1835 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा, जिसे ‘विलियम कैवेंडिश बैटिंक’ के नाम से भी जाना जाता है।
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड विलियम बैंटिक के शासन काल में कोई युद्ध नहीं हुआ, एंव इसका शासन काल शांति का काल रहा था।
- बैंटिक ने 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया, इसके बाद उसने शिशु-वध पर भी प्रतिबन्ध लगाया।
- बैंटिक के कार्यकाल में देवी-देवताओं को नर बलि देने की प्रथा का भी अंत कर दिया गया।
भारत के गवर्नर जनरल
लार्ड विलियम बैंटिक
कार्यकाल – 1833 – 20 मार्च 1835
- 1833 ई. में लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल बने।
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड विलियम बैंटिक भारत में किये गए सामाजिक सुधारों के लिए विख्यात है।
- बैंटिक ने कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स की इच्छाओं के अनुसार भारतीय रियासतों के प्रति तटस्थता की नीति अपनायी।
- इसने ठगों के आतंक से निपटने के लिए कर्नल स्लीमैन को नियुक्त किया।
- बैंटिक के कार्यकाल में अपनायी गयी मैकाले की शिक्षा पद्धति ने भारत के बौद्धिक जीवन को उल्लेखनीय ढंग से प्रभावित किया, इस प्रकार लार्ड विलियम बैंटिक का भारत के शिक्षा के खेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान।
सर चार्ल्स मेटकॅाफ
कार्यकाल – 20 मार्च 1835 – 4 मार्च 1836
मुख्य घटना और कार्य
- चार्ल्स मेटकॅाफ ने भारत में समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया, इस कारण इसे प्रेस का मुक्तिदाता भी कहा जाता है
लार्ड ऑकलैंड
कार्यकाल – 20 मार्च 1835 – 4 मार्च 1836
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (1838-1842 ई.) हुआ।
- 1839 ई. में ऑकलैंड ने कलकत्ता से दिल्ली तक ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवाई।
- ऑकलैंड के समय में भारतीय विद्यार्थियों को डॉक्टरी की शिक्षा हेतु विदेश जाने की अनुमति मिली।
- आकलैण्ड के कार्यकाल में बम्बई और मद्रास मेडिकल कालेजों की स्थापना की गयी|
लार्ड एलनबरो
कार्यकाल – 28 फ़रवरी 1842 – जून 1844
मुख्य घटना और कार्य
- एलनबरो के समय में प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध समाप्त हुआ।
- 1843 में एलनबरो ने चार्ल्स नेपियर को असैनिक एवं सैनिक शक्तियों के साथ सिन्ध भेजा।
- नेपियर ने अगस्त, 1843 में सिन्ध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश सम्राज्य में मिला लिया गया।
- 1843 के एक्ट – V के द्वारा दास-प्रथा का उन्मूलन भी एलनबरो के समय में हुआ।
लार्ड हार्डिंग
कार्यकाल – 23 जुलाई 1844 – 12 जनवरी 1848
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड हार्डिंग के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-1846 ई.) हुआ। जो लाहौर की सन्धि के द्वारा समाप्त हुआ।
- लार्ड हार्डिंग ने नरबलि-प्रथा पर प्रतिबंध लगाया।
लार्ड डलहौजी
कार्यकाल – 12 जनवरी 1848 – 28 फ़रवरी 1856
- लॉर्ड डलहौज़ी, जिसे ‘अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी’ भी कहा जाता था।
- लार्ड डलहौजी एक कट्टर उपयोगितावादी एवं साम्राज्यवादी था, लेकिन डलहौजी को उसके सुधारों के लिए भी जाना जाता है।
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड डलहोजी के समय में द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई.) तथा 1849 ई. में पंजाब का ब्रिटिश शासन में विलय और सिक्ख राज्य का प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर महारानी विक्टोरिया को भेज दिया गया।
- डलहौजी के कार्यकाल में ही भारत में रेलवे और संचार प्रणाली का विकास हुआ।
- इसके कार्यकाल में भारत में दार्जिलिंग को सम्मिलित कर लिया गया।
- लार्ड डलहौजी के कार्यकाल में वुड का निर्देश पत्र (Wood’s dispatch) आया, जिसे भारत में शिक्षा सुधारों के लिए ‘मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है।
- इसने 1852 ई. में एक इनाम कमीशन की स्थापना की, जिसका उदेशय भूमिकर रहित जागीरों का पता कर उन्हें छिन्ना था।
- इसने 1854 में नया डाकघर अधिनियम (Post Office Act) पारित किया, जिसके द्वारा भारत में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
- 1856 ई. में अवध को कुशासन का आरोप लगाकर अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
- 1856 ई. में तोपखाने के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ स्थान्तरित किया, और सेना का मुख्यालय शिमला में स्थापित किया।
- डलहौजी के समय में भारतीय बंदरगाहों का विकास करके, इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिये खोल दिया गया|
- लार्ड डलहौजी के समय में ही हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम भी पारित हुआ।
- इसने शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया।
- डलहोजी ने नर-बलि प्रथा को रोकने का प्रयास भी किया।
लार्ड कैनिंग
कार्यकाल – 128 फ़रवरी 1856 – 1 नवम्बर 1858
- लार्ड कैनिंग भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था।
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड कैनिंग के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1857 का विद्रोह था। 1857 के विद्रोह के पश्चात् बहादुर शाह को रंगून निर्वासित कर दिया गया।
भारत के वायसराय
लार्ड कैनिंग
कार्यकाल – 1 नवम्बर 1858 – 21 मार्च 1862
- 1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम द्वारा इसे भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया।
मुख्य घटना और कार्य
- कैनिंग के कार्यकाल में IPC, CPC तथा CrPC जैसी दण्डविधियों को पारित किया गया।
- कैनिंग के समय में ही लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज पर 1857 में कलकत्ता, मद्रास, और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।
- 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ।
- कैनिंग के कार्यकाल में ही भारतीय इतिहास का प्रसिद्द नील विद्रोह भी हुआ।
- 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ।
- इसके समय में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 ई. में स्वतन्त्र रूप से लागू हुआ।
लार्ड एल्गिन
कार्यकाल – 21 मार्च 1862 – 20 नवम्बर 1863
मुख्य घटना और कार्य
- इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी- ‘वहाबी आंदोलन’ का सफलतापूर्वक दमन।
- लार्ड एल्गिन की 1863 ई. में धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में मृत्यु हो गई।
सर रॉबर्ट नेपियर
कार्यकाल – 21 नवम्बर 1863 – 2 दिसम्बर 1863
- सर रॉबर्ट नेपियर को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
सर विलियम डेनिसन
कार्यकाल – 2 दिसम्बर 1863 – 12 जनवरी 1864
- सर विलियम डेनिसन को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
सर जॉन लॉरेंस
कार्यकाल – 12 जनवरी 1864 – 12 जनवरी 1869
मुख्य घटना और कार्य
- जॉन लॉरेंस ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप न करने की नीति का पालन किया, इसके कार्यकाल में यूरोप के साथ संचार वयवस्था (1869-1870) कायम की गयी।
- जॉन लॉरेंस के ही कार्यकाल में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गयी।
- इसके कार्यकाल में पंजाब में काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया।
लार्ड मेयो
कार्यकाल – 12 जनवरी 1869 – 8 फ़रवरी 1872
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड मेयो के कार्यकाल में भारतीय सांख्यिकीय बोर्ड का गठन किया गया।
- भारत में अंग्रेजो के समय में प्रथम जनगणना 1872 ई. में लार्ड मेयो के समय में हुई थी।
- मेयो के काल में 1872 ई. में अजमेर, राजस्थान में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।
- 1872 ई. में कृषि विभाग की स्थापना भी मेयो के काल में हुई थी।
- लार्ड मेयो की एक अफगान ने 1872 ई. में चाकू मार कर हत्या कर दी।
सर जॉन स्ट्रेची
कार्यकाल – 9 फ़रवरी 1872 – 23 फ़रवरी 1872
- सर जॉन स्ट्रेची को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
द लॉर्ड नेपियर
कार्यकाल – 24 फ़रवरी 1872 – 3 मई 1872
- द लॉर्ड नेपियर को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
लार्ड नार्थब्रुक
कार्यकाल – 3 मई 1872 – 12 अप्रैल 1876
- इसके समय में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।
मुख्य घटना और कार्य
- भारत में उसकी नीति “करों में कमी, अनावश्यक क़ानूनों को न बनाने तथा कृषि योग्य भूमि पर भार कम करने” की थी।
- लार्ड नार्थब्रुक के समय में पंजाब में कूका आन्दोलन हुआ।
- नार्थब्रुक ने 1875 में बड़ौदा के शासक गायकवाड को पदच्युत कर दिया।
- नार्थब्रुक के कार्यकाल में प्रिंस ऑफ़ वेल्स एडवर्ड तृतीय की भारत यात्रा 1875 में संपन्न हुई।
- इसी के समय में स्वेज नहर खुल जाने से भारत एंव ब्रिटेन के बिच व्यापार में वृद्वि हुई।
लार्ड लिटन
कार्यकाल – 12 अप्रैल 1876 – 8 जून 1880
- इसका पूरा नाम ‘रॉबर्ट बुलवेर लिटन एडवर्ड’ था, एंव इनका एक उपनाम ‘ओवेन मेरेडिथ‘ भी था।
- यह एक प्रसीद उपन्यासकार, निबंध-लेखक एंव साहित्यकार था, साहित्य में ऐसे ‘ओवेन मेरेडिथ’ नाम से जाना गया।
मुख्य घटना और कार्य
- इसमे समय में बम्बई, मद्रास, हैदराबाद, पंजाब एंव मध्य भारत में भयानक अकाल पड़ा।
- इसने रिचर्ड स्टेची की अध्यक्षता में अकाल आयोग की स्थापना की।
- लार्ड लिटन के कार्यकाल में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया और एक राज-अधिनियम पारित करके 1877 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से विभूषित किया गया।
- लिटन ने अलीगढ में एक मुस्लिम एंग्लो प्राच्य महाविधालय की स्थापना की।
- इसके कार्यकाल में 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act) पारित किया गया, जिसके कारण कई स्थानीय भाषाओँ के समाचार पत्र आदि को ‘विद्रोहात्मक सामग्री’ के प्रकाशन का आरोप लगाकर बंद कर दिया गया।
- इसके समय में शस्त्र एक्ट (आर्म्स एक्ट) 1878 पारित हुआ, जिसमे भारतीयों को शस्त्र रखने और बेचने से रोका गया।
- इसने सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु सिमा घटाकर 19 वर्ष कर दी।
लार्ड रिपन
कार्यकाल – 8 जून 1880 – 13 दिसम्बर 1884
मुख्य घटना और कार्य
- रिपन ने समाचारपत्रों की स्वतंत्रता को बहाल करते हुए 1882 ई. में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को रद्द कर दिया, जिस कारण इसे प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
- रिपन ने सिवल सेवा में प्रवेश की अधिकतम आयु को 19 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया।
- रिपन के काल में भारत में 1881 ई. में सर्वप्रथम नियमित जनगणना करवाई गई।
- 1881 ई. में प्रथम कारखाना अधिनियम रिपन के द्वारा लाया गया।
- रिपन के समय में 1882 में शिक्षा के क्षेत्र में सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में हंटर आयोग का गठन हुआ और 1882 में स्थानीय शासन प्रणाली की शुरुआत हुई।
- 1883 में इल्बर्ट बिल विवाद, रिपन के समय में ही पारित हुआ, जिसमे भारतियों को भी यूरोपीय कोर्ट में जज बनने का अधिकार दे दिया गया था।
- फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को भारत का उद्धारक की संज्ञा दी।
लार्ड डफरिन
कार्यकाल – 13 दिसम्बर 1884 – 10 दिसम्बर 1888
मुख्य घटना और कार्य
- डफरिन के काल में 28 दिसम्बर 1885 ई. को बम्बई में ए. ओ. ह्यूम के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
- इसी समय बंगाल टेनेन्सी एक्ट (किराया अधिनियम), अवध टेनेन्सी एक्ट तथा पंजाब टेनेन्सी एक्ट पारित हुआ।
- डफरिन के समय में तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्द हुआ और बर्मा को भारत में मिला लिया गया।
- लार्ड डफरिन के समय में अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा का निर्धारण किया गया।
लार्ड लैंसडाउन
कार्यकाल – 10 दिसम्बर 1888 – 11 अक्टूबर 1894
मुख्य घटना और कार्य
- भारत एंव अफगानिस्तान के बिच सिमा रेखा जिसे डूरण्ड रेखा के नाम से जाना जाता है, का निर्धारण 1893 ई. में लैंसडाउन के समय में हुआ।
- इस रेखा का निर्धारण ब्रिटिश अधिकारी सर मोर्टीमर डूरंड (Sir Mortimer Durand) और अफगान अमीर अब्दुर रहीम खान (Abdur Rahman Khan) के बीच हुआ।
- 1891 ई. में दूसरा कारखाना अधिनियम लाया गया, जिसमे महिलाओं को 11 घंटे प्रतिदिन से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
- लार्ड लैंसडाउन के समय में 1891 में एज ऑफ़ कन्सेंट बिल (Age of Consent Act) पारित हुआ, जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति के यौन कृत्यों के लिए सहमति की उम्र बढ़ा दी गयी, जिसमे लड़कियों की यौन सहमती की उम्र 10 वर्ष से बढाकर 12 वर्ष कर दी गयी।
- इससे कम उम्र में यौन सम्बन्ध बनाने पर इसे बलात्कार माना गया, चाहे वे विवाहित ही क्यों न हों।
लार्ड एल्गिन
कार्यकाल – 11 अक्टूबर 1894 – 6 जनवरी 1899
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड एल्गिन के कार्यकाल में भारत में क्रांतिकारियों की शुरुआत हुई, और पूना के चापेकर बंधुओं दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी चापेकर और वसुदेव हरी चापेकर ने ब्रिटिश प्लेग कमिश्नर, डब्ल्यू. सी. रैंड को गोली मारकर भारत की प्रथम राजनीतिक हत्या की।
- लार्ड एल्गिन के समय में ही भारत में देशव्यापी अकाल पड़ा, जिसमे करीब 45 लाख लोगों की मौत हुई।
- एल्गिन ने हिन्दुकुश पर्वत के दक्षिण में चित्राल राज्य के विद्रोह को दबाया।
लार्ड कर्जन
कार्यकाल – 6 जनवरी 1899 – 18 नवम्बर 1905
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड कर्जन के कार्यकाल में सर एण्ड्रयू फ़्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग का गठन किया गया। इस आयोग की अनुशंसा पर प्रान्तीय पुलिस की स्थापना व केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की स्थाना (C.I.D.) की भी स्थापना की गई।
- कर्जन के समय में उत्तरी पश्चिमी सीमावर्ती प्रान्त (North West Frontier Province) की स्थापना भी की गयी।
- शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर टॉमस रैले (Sir Thomas Ralley) की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया।
- कर्जन के समय में 1904 में प्राचीन स्मारक संरक्षण अधियम पारित हुआ, जिसके द्वारा भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान देने के लिए भारतीय पुरातत्त्व विभाग की स्थापना हुई।
- कर्ज़न ने 1901 ई. में सर कॉलिन स्कॉट मॉनक्रीफ (Sir Colin C. Scott-Moncrieff) की अध्यक्षता में एक सिंचाई आयोग का भी गठन किया।
- कर्जन के समय में भारत में भयानक अकाल भी पड़ा, जिससे करीब 60-90 लाख लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया।
- 1899-1990 ई. में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति के विश्लेषण के लिए सर एण्टनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन किया गया।
- लॉर्ड कर्ज़न के समय में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य था – 1905 ई. में बंगाल का विभाजन, जिसके बाद भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों का सूत्रपात हो गया।
- 1905 ई. में लॉर्ड कर्ज़न ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
लार्ड मिन्टों द्वितीय
कार्यकाल – 18 नवम्बर 1905 – 23 नवम्बर 1910
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड मिंटो के कार्यकाल में 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई।
- इसके कार्यकाल में 1906 में कांग्रेस का सूरत का अधिवेशन हुआ जिसमे कांग्रेस का विभाजन हो गया, जिसका 1916 के लखनऊ अधिवेशन में पुनः एकीकरण हुआ।
- लॉर्ड मिण्टो के समय में मॉर्ले-मिंटो सुधार अधिनियम पारित हुआ, जिसमे सरकार में भारतीय प्रतिनिधित्व में मामूली बढ़ोत्तरी हुई और हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मण्डल बनाया गया।
- इसके कार्यकाल में खुदीराम बोस को फांसी दे दी गयी, जिसने प्रफुल्लकुमार चाकी के साथ मिलकर कलकत्ता के मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड की बग्घी पर बम फेंका था।
- मिंटो के ही कार्यकाल 1908 में बालगंगाधर तिलक को 6 वर्ष की सजा सुनाई गयी थी, क्योंकि तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया था, और इन्हें बर्मा की जेल में भेज दिया गया।
- लार्ड मिंटो के समय में अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति औपचारिक रूप से अपना ली थी।
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
कार्यकाल – 23 नवम्बर 1910 – 4 अप्रैल 1916
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड हार्डिंग के समय सन 1911 में जॉर्ज पंचम के आगमन पर दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया, साथ ही बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया।
- 1911 में ही बंगाल से अलग करके बिहार और उड़ीसा नाम से नए राज्यों का निर्माण हुआ।
- हार्डिंग के कार्यकाल में भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।
- हार्डिंग के समय में ही सन 1914 में प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ, जिसके लिए वह भारत का समर्थन पाने में सफल रहा।
- हार्डिंग के समय में 1913 में फ़िरोजशाह मेहता ने बाम्बे क्रानिकल एवं गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रताप का प्रकाशन किया।
- हार्डिंग के कार्यकाल में तिलक ने अप्रैल 1915 में और एनी बेसेंट ने सितम्बर 1915 में होमरूल लीग की स्थापना की।
- 1916 ई. में पंडित महामना मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिन्दू की स्थापना की और लॉर्ड हार्डिंग को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलपति भी नियुक्त किया गया।
लार्ड चेम्सफोर्ड
कार्यकाल – 4 अप्रैल 1916 – 2 अप्रैल 1921
मुख्य घटना और कार्य
- इसके कार्यकाल में तिलक और एनी बेसेंट ने अपने होमरूल लीग के आन्दोलन की शुरुआत की।
- 1916 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में एक समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- इसके समय में ही भारत में शौकत अली, मुहम्मद अली और मौलाना अबुल कलम आजाद द्वारा खिलाफत आन्दोलन की भी शुरुआत की गयी, जिसे बाद में गाँधी द्वारा चलाये गए असहयोग आन्दोलन का भी समर्थन भी मिला।
- 1920 में ही मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज (सैयद अहमद खान द्वारा 1875 में स्थापित) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।
- चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में, सर सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त करके रौलेट एक्ट मार्च 1919 में पारित किया गया, जिससे मजिस्ट्रेटों को यह अधिकार मिल गया कि वह किसी भी संदेहास्पद स्थिति वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करके उस पर मुकदमा चला सकता था।
- चेम्सफोर्ड के समय में ही 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ।
- इसके समय में भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. व मॉण्टेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधार लाया गया।
- 1916 ई. में पूना में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना तथा 1917 ई. में शिक्षा पर सैडलर आयोग की नियुक्ति लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड के समय में ही की गई।
लार्ड रीडिंग
कार्यकाल – 2 अप्रैल 1921 – 3 अप्रैल 1926
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड रीडिंग के समय में गाँधी जी का भारतीय राजनीति में पूर्णरूप से प्रवेश हो चुका था।
- लार्ड रीडिंग के कार्यकाल में 1919 का रौलेट एक्ट वापस ले लिया गया।
- रीडिंग के समय में ही केरल में 1921 में मोपला विद्रोह हुआ, जो खिलाफत आन्दोलन का ही एक रूप था, जिसके नेता वरीयनकुन्नाथ कुंजअहमद हाजी, सीथी कोया थंगल और अली मुस्लियर थे।
- लार्ड रीडिंग के ही कार्यकाल में 5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा की घटना हुई, जिसकी वजह से गाँधी जी ने अपना असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया।
- लार्ड रीडिंग के समय में 1921 में प्रिन्स ऑफ़ वेल्स का भारत आगमन भी हुआ।
- लार्ड रीडिंग के कार्यकाल एम. एन. रॉय द्वारा दिसम्बर 1925 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी गठन किया गया।
- 1922 में चितरंजन दास, नरसिंह चिंतामन केलकर और मोतीलाल नेहरू ने मिलकर स्वराज पार्टी का गठन किया।
- लार्ड रीडिंग के कार्यकाल में दिल्ली और नागपुर विश्वविद्यालयों की भी स्थापना हुई।
लार्ड इरविन
कार्यकाल – 3 अप्रैल 1926 – 18 अप्रैल 1931
मुख्य घटना और कार्य
- इरविन के कार्यकाल के दौरान गाँधी जी ने 12 मार्च, 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की।
- इरविन के कार्यकाल में 1919 ई. के गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट की समीक्षा करने के लिए, 1928 में साइमन कमीशन नियुक्त किया गया।
- साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे, और इसके एक सदस्य क्लीमेंट एटली भी थे, जो बाद में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बने, जिनके कार्यकाल में 1947 में भारत और पाकिस्तान को स्वतंत्रता मिली।
- लार्ड इरविन के कार्यकाल में मोतीलाल नेहरु ने नेहरु रिपोर्ट पेश की, जिसमे भारत को अधिशसी राज्य का दर्जा देने की बात कही गयी।
- कांग्रेस ने 1930 ई. में महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया और अपने कुछ अनुयायियों के साथ दांडी यात्रा करके नमक कानून तोडा।
- इरविन के समय में लंदन में ब्रिटिश सरकार और गाँधी जी के बीच प्रथम गोलमेज सम्मलेन हुआ।
- मार्च 1931 में गाँधी और इरविन के बीच गाँधी-इरविन समझौता हुआ, जिसके बाद गाँधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस ले लिया।
- इरविन के कार्यकाल में 1929 में, पब्लिक सेफ्टी बिल और लाला लाजपत रॉय की हत्या के विरोध में दिल्ली के असेम्बली हॉल में भगत सिंह और उनके साथियों ने बम फेंका।
- लार्ड इरविन के कार्यकाल में ही 1929 में प्रसिद्ध लाहौर षड्यंत्र एवं स्वतंत्रता सेनानी जतिनदास की 64 दिन की भूख हड़ताल के बाद जेल में मृत्यु हो गयी थी।
- इरविन ने खनन और भू-विज्ञान के विकास के लिए इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस, धनबाद की स्थापना भी की।
लॉर्ड विलिंगडन
कार्यकाल – 18 अप्रैल 1931 – 18 अप्रैल 1936
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड विलिंगडन के कार्यकाल में 1931 में. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन और 1932 में तृतीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लन्दन में हुआ।
- विलिंगडन के समय में 1932 में देहरादून में भारतीय सेना अकादमी की स्थापना की गयी| 1934 में गाँधी जी ने दोबारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया।
- 1935 में गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट पारित किया गया, एवं 1935 में ही बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया।
- विलिंगडन के समय में ही भारतीय किसान सभा की भी स्थापना की गयी।
- महात्मा गाँधी एवं अम्बेडकर के बीच 24 सितम्बर, 1932 ई. को पूना समझौता हुआ।
लार्ड लिनलिथगो
कार्यकाल – 18 अप्रैल 1936 – 1 अक्टूबर 1943
मुख्य घटना और कार्य
- 1939 में सुभाष चन्द्र बोस ने कांग्रेस छोड़कर फॉरवर्ड ब्लाक नाम की अलग पार्टी का गठन कर लिया।
- लार्ड लिनलिथगो के समय में ही पहली बार मुस्लिम लीग द्वारा 1940 में पाकिस्तान की मांग की गयी।
- 1942 ई. में क्रिप्स मिशन भारत आया।
- 1940 में कांग्रेस ने व्यक्तिगत असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया।
- लार्ड लिनलिथगो के कार्यकाल में गाँधी जी ने करो या मरो का नारा देते हुए भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरुआत की।
लार्ड वेवेल
कार्यकाल – 1 अक्टूबर 1943 – 21 फ़रवरी 1947
मुख्य घटना और कार्य
- 1945 में लार्ड वेवेल ने शिमला में एक समझौते का आयोजन किया, जिसे शिमला समझौता या वेवेल प्लान के नाम से जाना गया।
- वेवेल के समय में 1946 में नौसेना का विद्रोह हुआ था।
- 1946 में अंतरिम सरकार का गठन किया गया।
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी, 1947 को भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा कर दी।
लार्ड माउंटबेटेन
कार्यकाल – 21 फ़रवरी 1947 – 15 अगस्त 1947
- लॉर्ड माउंटबेटन भारत का अंतिम वायसराय था।
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून, 1947 को भारत के विभाजन की घोषणा की।
- 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रस्तुत किया गया, जिसे 18 जुलाई, 1947 को पारित करके भारत की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गयी।
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा भारत को विभाजन करके भारत और पाकिस्तान नाम के दो राज्यों में बाँट दिया गया।
- 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
कार्यकाल – 15 अगस्त 1947 – 1948
- भारत की स्वतंत्रता के बाद 1948 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।
- ये स्वतंत्र भारत के प्रथम व अंतिम गवर्नर जनरल थे |
- ये प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे |