मुगल शासनकाल के उत्तरवर्ती दौर में वर्तमान महाराष्ट्र और उसके आसपास के क्षेत्र में मराठों के रूप में एक सशक्त क्षेत्रीय शक्ति का उदय हो रहा था। उनके इस उत्थान के पीछे तात्कालीन परिस्थितियां और कुछ अन्य कारक उत्तरदायी थे। ध्यातव्य है कि भक्ति आंदोलन के दौर में मराठा क्षेत्र की उल्लेखनीय भागीदारी हो रही थी। तत्कालीन मराठा संतों और कवियों ने जनसामान्य में हिंदू गौरव एवं एकता की भावना को जाग्रत किया। विषम भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन व्यतीत करने से मराठे बचपन से ही बेहद जुझारू, साहसी और युद्ध कौशल में पारंगत हो जाते थे। सामाजिक दृष्टि से समाज में सदभाव व्याप्त था जो क्षेत्रीय एकता के निर्माण का कारण बना। औरंगजेब की हिंदू विरोधी नीतियों ने मराठों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन मराठा शासकों में छत्रपति शिवाजी का नाम अग्रणीय है जिनके दौर में मराठा शक्ति ने नई ऊँचाइयाँ हासिल कीं।
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