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 बक्सर का युद्ध,1764

  • 1764 ई. के बक्सर के युद्ध ने भारतीयों के भाग्य का अंत कर दिया | इस युद्ध में एक ओर थीं तत्कालीन भारत की 3 प्रमुख शक्तियां और दूसरी ओर थे अंग्रेज ।
  • बक्सर (जो बनारस के पूर्व में स्थित है)  के मैदान में अवध के नवाब, मुगल सम्राट तथा मीर कासिम की संयुक्त सेना अक्टूबर 1764 ई. को पहुंची और दूसरी ओर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना
  • 23 अक्टूबर 1764 को निर्णायक बक्सर का युद्ध प्रारंभ हुआ युद्ध प्रारंभ होने से पूर्व ही अंग्रेजों ने अवध के नवाब की सेना से असद खान, साहूमल (रोहतास का सूबेदार) और  जैनुल आबदीन को धन का लालच देकर अपनी ओर कर लिया
  • शीघ्र ही हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने बक्सर के युद्ध को जीत लिया ।
  • इस युद्ध के बाद अंग्रेजों ने न केवल मुगल सम्राट से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त की बल्कि इस बात का भी संकेत स्पष्ट रूप से दिया कि अब भारत की संपूर्ण सत्ता अंग्रेजों के हाथों में स्थानांतरित हो जाएगी और भारतीयों को स्वाधीन रखने की शक्ति किसी में नहीं है।
  • मीर कासिम का संयुक्त गठबंधन बक्सर के युद्ध में इसलिए पराजित हो गया क्योंकि उसने युद्ध के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं की थी । शाह आलम गुप्त रूप से अंग्रेजों से मिला (कुछ इतिहासकार  ऐसा मानते हैं ) था तथा भारतीय सेना में अनेक प्रकार के दोष अंतर्निहित थे ।
  • बक्सर के युद्ध में पराजित होने के बाद शाह आलम जहां पहले ही अंग्रेजों के शरण में आ गया था वही अवध के नवाब ने कुछ दिन तक अंग्रेजों के विरुद्ध सैनिक सहायता हेतु भटकने के बाद मई, 1765 में अंग्रेजों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया ।
  • 5 फरवरी 1765 को  मीर जाफर की मृत्यु के बाद कंपनी ने उसके पुत्र नाज्मुद्दौला को अपने संरक्षण में बंगाल का नवाब बनाया ।
  • मई 1765 ई. में क्लाइव दूसरी बार बंगाल का गवर्नर बन कर आया, आते ही उसने शाह आलम और  शुजाउद्दौला से संधि की ।

12 अगस्त 1765 को क्लाइव ने मुगल बादशाह शाह आलम से इलाहाबाद की प्रथम संधि की जिसकी शर्तें  इस प्रकार हैं-

  1. मुगल बादशाह ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी कंपनी को सौंप दी।
  2. कंपनी ने अवध के नवाब से कड़ा और मानिकपुर छीनकर मुग़ल बादशाह को  दे दिया।
  3. एक फरमान द्वारा बादशाह शाहआलम ने नाज्मुद्दौला  को बंगाल का नवाब स्वीकार कर लिया ।
  4. कंपनी ने मुगल बादशाह को वार्षिक 26 लाख  रुपए देना स्वीकार किया ।

    इलाहाबाद की संधि से सबसे बड़ा लाभ कंपनी को बंगाल बिहार एवं उड़ीसा के वैधानिक अधिकार के रूप में प्राप्त हुआ

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