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बहादुर शाह प्रथम (1707 ई. से 1712 ई.)

  • उत्तराधिकार के युद्ध में सफल होने के बाद मुअज्जम 65 वर्ष की अवस्था में बहादुर शाह प्रथम की उपाधि के साथ दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ।
  • बहादुर शाह ने मराठों और राजपूतो के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति अपनाई। इसने शंभाजी के पुत्र शाहू को मुग़ल कैद से आजाद कर दिया
  • बहादुर शाह ने बुंदेल शासक छत्रसाल को बुंदेल राज्य का स्वामी स्वीकार कर लिया।
  • इतिहासकार खफी खाँ के अनुसार बादशाह राजकीय कार्यो में इतना लापरवाह था की लोग उसे ‘शाह-ए-बेखबर’ कहने लगे।
  • सिक्ख नेता बंदा बहादुर के विरुद्ध एक सैन्य अभियान के दौरान फरवरी 1712 ई. में बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु हो गई। इसे औरंगजेब के मकबरे के आंगन में दफनाया गया।
  • सर सिडनी ओवन ने बहादुर शाह के विषय में लिखा है की "वह अंतिम मुगल शासक था, जिसके बारे में कुछ अच्छी बातें कही जा सकती हैं।"

जहांदार शाह (1712 ई. से 1713 ई.)

  • 1712 ई. में बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जहाँदारशाह मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा।
  • ईरानी मूल के शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खां की सहायता से जहांदार शाह ने अपने भाई अजीम-उस-शान, रफी-उस-शान तथा जहान शाह की हत्या कर शासक बना।
  • यह एक अयोग्य एवं विलासी शासक था। जहांदार शाह पर उसकी प्रेमिका लालकंवर का काफी प्रभाव था।
  • जहांदार शाह ने जुल्फिकार खां को वजीर के सर्वोच्च पद पर नियुक्त किया।
  • जहांदार शाह ने वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिए राजस्व वसूली का कार्य ठेके पर देने की नई व्यवस्था प्रारंभ की जिसे इस्मतरारी व्यवस्था कहते है।
  • जहांदार शाह ने आमेर के राजा सवाई जयसिंह को ‘मिर्जा’ की उपाधि के साथ मालवा का सूबेदार बनाया।
  • जहांदार शाह ने मारवाड़ के राजा अजीत सिंह को ‘महाराजा’ की उपाधि प्रदान कर गुजरात का सूबेदार बनाया।
  • अजीमुशान के पुत्र फरूखसियर ने हिंदुस्तानी अमीर सैय्यद बंधुओं के सहयोग से जहांदार शाह को सिंहासन से अपदस्थ कर उसकी हत्या करवा दी।

फर्रुखसियर (1713 ई. से 1719 ई.)

  • सैय्यद बंधुओं की सहायता से मुग़ल सासन की गद्दी पर फरूखसियर आसीन हुआ।
  • फर्रुखसियर ने सैय्यद बंधुओं में से अब्दुल्ला खां को वजीर और हुसैन अली को मीर बख्शी नियुक्त किया। सैय्यद बंधुओं को मध्यकालीन भारतीय इतिहास में ‘शासक निर्माता’ के रुप में जाना जाता है।
  • फरूखसियर के शासन काल में सिक्खो के नेता बंदा बहादुर को पकड़ कर 1716 में उसका वध कर दिया गया।
  • फरूखसियर ने 1717 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बहुत सारी व्यापारिक रियायतें प्रदान कीं।
  • 1719 में हुसैन अली खान ने तत्कालीन मराठा बालाजी विश्वनाथ से ‘दिल्ली की संधि’ की जिसके तहत-
    • मुग़ल सम्राट की ओर से मराठा राज्य को मान्यता देना,
    • दक्कन में मुगलों के 6 प्रांतो से मराठों को चौथ और सरदेशमुखी वसूल करने का अधिकार प्रदान किया गया।
    • इसके बदले में मराठों द्वारा दिल्ली में सम्राट की रक्षा के लिए 15 हजार सैनिक रखने थे।
  • सैय्यद बंधुओं ने षड्यंत्र द्वारा जून, 1719 में फरुखसियर को सिंहासन से अपदस्थ करके उसकी हत्या करवा दी।
  • फरूखसियर की हत्या के बाद सैय्यद बंधुओं ने रफी-उर-दरजात तथा रफी-उद-दौला को मुग़ल बादशाह बनाया। दोनों ही सैय्यद बंधुओं के कठपुतली थे।
  • रफी-उद-दौला ‘शाहजहाँ द्वितीय’ की उपाधि धारण कर मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा।

मुहम्मद शाह (1719 ई. से 1748 ई.)

  • शाहजहाँ द्वितीय की मृत्यु के बाद उसके पुत्र रौशन अख्तर को सैय्यद बंधुओं ने मुहम्मद शाह की उपाधि के साथ मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठाया।
  • मोहम्मद शाह के शासनकाल में सैय्यद बंधुओं का पतन हो गया। इनके बाद आमीन खाँ को वजीर बनाया गया। लेकिन उसकी मृत्यु के बाद निजाम-उल-मुल्क वजीर बना, जो बाद में मुगल दरबार की साजिशों से तंग आकर दक्कन चला गया।
  • मुहम्मद शाह ने 1724 में जजिया कर अंतिम रुप से समाप्त कर दिया।
  • मुहम्मद शाह की सार्वजनिक मामलो के प्रति उदासीनता एवं विलासिता में तल्लीनता के कारण उसे ‘रंगीला’ कहा जाता था।
  • इसके शासन काल में कई राज्यो के सूबेदारोँ ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।
  • इसके शासनकाल में ईरान के साह नादिर शाह ने 1739 में भारत पर आक्रमण किया।
  • मुहम्मद शाह के शासन काल में नादिरशाह के उत्तराधिकारी अहमद शाह अब्दाली ने 1748 ई. में 50 हजार सैनिकों के साथ पंजाब पर आक्रमण किया।

नादिरशाह का आक्रमण (1739 ई.)

  • मोहम्मद शाह के शासनकाल में फारस के नादिरशाह ने 1738 से 39 के बीच भारत पर आक्रमण किया । 
  • ईरान का नेपोलियन के नाम से प्रसिद्ध नादिरशाह के भारत आक्रमण के समय बादशाह ने उसके आक्रमण को रोकने के लिए निजाम उल मुल्क कमरुद्दीन और खान-ए-दौरा के नेतृत्व में  सेना भेजी ।  जिसमें बाद में  सआदत खान भी शामिल हो गया था ।
  • 13 फरवरी 1739  के हुए करनाल के युद्ध में मुगल सेना बुरी तरह पराजित हुई |
  • अवध के नवाब सआदत खान ने नादिरशाह को सलाह दी कि वह बादशाह मोहम्मद शाह और निजाम को बंदी बना ले तथा राजधानी दिल्ली में संचित अपार खजाने को प्राप्त करे ।
  • 20 मार्च 1739 ई. को दिल्ली में प्रवेश कर नादिरशाह ने अपने चंद सैनिकों के मृत्यु के बदले भयंकर कत्लेआम का आदेश दिया जिसमें 20000 के करीब लोगों का कत्ल कर दिया गया ।
  • नादिर शाह दिल्ली में कुल 57 दिन तक रहा और लगातार लूटपाट करता रहा इसमें प्रसिद्ध मुगल राज सिंहासन तख्त-ए-ताऊस तथा  मुगल ताज में लगे विश्व के सर्वाधिक महंगे हीरे कोहिनूर को भी वापस जाते समय अपने साथ ले गया ।
  • नादिर शाह भारत से 1739 ई. में वापस गया तथा 1747 ई. में उसकी मृत्यु हो गई ।
  • मोहम्मद शाह के ही शासन काल में नादिर शाह के उत्तराधिकारी अहमद शाह अब्दाली ने 1748 ई. में भारत पर आक्रमण किया
  • अहमद शाह अब्दाली को दुर्रे- दुर्रानी युग का मोती कहा गया नादिरशाह ने उसके बारे में कहा था कि ‘अब्दाली जैसे चरित्र का व्यक्ति सारे ईरान, तूरान और हिंदुस्तान में नहीं देखा ।’

अहमद शाह (1748 ई. से 1754 ई.)

  • 1748 में मुहम्मद शाह की मृत्यु के बाद अहमद शाह मुगल शासक बना।
  • अहमद शाह ने अवध के सूबेदार सफदरजंग को अपना बजीर बनाया
  • अहमद शाह एक अयोग्य एवं भ्रष्ट शासक था। उसकी दुर्बलता का लाभ उठा कर उसकी माँ उधम बाई ने हिजड़ों के सरदार जावेद खां के साथ मिलकर शासन पर कब्जा जमा लिया था।
  • अहमद शाह अब्दाली ने अहमद शाह के शासन काल में 1748-59 के बीच भारत पर पांच बार आक्रमण किया।
  • मराठा सरदार मल्हार राव की सहायता से इमाद-उल-मुल्क, सफदरजंग को अपदस्थ कर मुग़ल साम्राज्य का वजीर बन गया।
  • 1754 वजीर इमाद-उल-मुल्क ने मराठो के सहयोग से अहमद शाह को अपदस्थ कर जहांदार शाह के पुत्र अजीजुद्दीन को ‘आलमगीर द्वितीय’ के नाम से गद्दी पर बैठाया।
  • आलमगीर द्वितीय वजीर इमाद-उल-मुल्क की कठपुतली था। इमाद-उल-मुल्क ने 1759 में आलमगीर द्वितीय की हत्या कर दी।

शाहआलम द्वितीय (1759 ई. से 1806 ई.)

  • आलमगीर द्वितीय के बाद अलीगौहर, शाह आलम द्वितीय की उपाधि धारण कर मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा।
  • शाहआलम द्वितीय ने 1764 ई. में बंगाल के शासक मीर कासिम और अवध के नवाब शुजाउद्दौला के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध बक्सर के युद्ध में भाग लिया।
  • बक्सर के युद्ध में ऐतिहासिक पराजय के बाद अंग्रेजों ने शाह आलम के साथ इलाहाबाद की संधि की, जिसके द्वारा शाहआलम को कड़ा तथा इलाहाबाद का क्षेत्र मिला। मुग़ल बादशाह शाह आलम ने बंगाल बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रदान की। जिसके बदले में कंपनी ने 26 लाख रुपए देने का वादा किया।
  • 1772 ई. मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने पेंशनभोगी शाहआलम द्वितीय को पुनः दिल्ली की गद्द्दी पर बैठाया। रुहेला सरदार गुलाम कादिर ने शाहआलम द्वितीय को अंधा कर के 1806 ई. में उसमे उसकी हत्या कर दी
  • शाहआलम द्वितीय के समय में 1803 में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
  • शाहआलम द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अकबर द्वितीय अंग्रेजों के संरक्षण में 1806 में मुगल बादशाह बना उसने 1837 तक शासन किया। अकबर द्वितीय ने राजा राम मोहन राय को इंग्लैण्ड भेजा था।

बहादुरशाह द्वितीय (1837 ई. -1857 ई.)

  • अकबर द्वितीय की मृत्यु के बाद बहादुरशाह द्वितीय मुगल बादशाह बना। यह जफ़र के नाम से शायरी लिखता था।
  • 1857 के विद्रोह में विद्रोहियों का साथ देने के कारण अंग्रेजों ने इसे निर्वासित कर रंगून भेज दिया जहाँ 1862 में इसकी मृत्यु हो गई।
  • यह मुगल साम्राज्य का अंतिम शासक सिद्ध हुआ। इसकी मृत्यु के साथ मुग़ल साम्राज्य का भारत में अंत हो गया।

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