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हड़प्पा की लिपि 

  • हड़प्पाई लिपि में लगभग 64 मूल चिन्ह हैं जो सेलखड़ी की आयताकार मुहरों, तांबे की गुटिकाओं आदि पर मिलते हैं।
  • इस लिपि का सबसे पुराना नमूना 1853 . में मिला था, जबकि 1923 . तक पूरी लिपि प्रकाश में गई थी, परन्तु अभी तक इसको पढ़ा नहीं जा सका है।
  • इसकी लिपि पिक्टोग्राफ अर्थात् चित्रात्मक थी जो दाईं ओर से बाईं ओर लिखी जाती थी। इस पद्धति को बूस्ट्रोफेडन कहा गया है। सबसे ज्यादा चित्रमछलीके प्राप्त हुए हैं।
  • हड़प्पा लिपि के अभिलेखों के लगभग 4 हज़ार नमूने प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन ये उतने लंबे नहीं है जितने कि दूसरी प्राचीन सभ्यताओं के। ज्यादातर अभिलेख मोहरों पर हैं जिन पर केवल 1 से लेकर 6 तक अक्षर ही लिखे गए हैं। सबसे लंबे अभिलेख पर भी सिर्फ 17 अक्षर ही हैं।
  • सिन्धु सभ्यता की लिपि के 600 से ज्यादा अक्षर हैं जिनमें से 60 ही मूल अक्षर हैं और बाकी के मूल अक्षरों में मात्राएं, अर्ध-अक्षर या अन्य अक्षरों के साथ जोड़कर बनाए जाते थे।

  • हड़प्पा लिपि मुख्यतः भावचित्रात्मक है, जिसका हर अक्षर किसी ध्वनि, भाव या वस्तू का सूचक है।

    हड़प्पा लिपि 2 हड़प्पा लिपि
  • सिंधु लिपि को पढ़े ना जाने के कारण हमें उनके साहित्य के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। अगर उनकी लिपि को पढ़कर उनके साहित्य के बारे में पता लगा लिया जाए तो वो आज की कई हिंदु लोक-कथाओं से जरूर मिलती जुलती होंगी क्योंकि हिंदु धर्म के कई देवी-देवता, जिनमें भगवान शिव भी शामिल हैं, को सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पूजते थे।

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