भारत : पशु संसाधन
पशुओं की संख्या की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में प्रथम है (दूसरा स्थान U.S.A. का है)। भारत में विश्व के लगभग 14% गाय एवं बैल तथा 57% भैंस पाए जाते हैं । देश के कुल मवेशियों में गाय-बैल का प्रतिशत 37.6 तथा भैंस का प्रतिशत 20 है । यद्यपि देश के कुल दुग्ध उत्पादन में भैंसों का योगदान 53% है ।
गाय-बैलों की संख्या (राज्यवार)(सर्वाधिक से घटते क्रम में )
1. मध्य प्रदेश > 2. पश्चिम बंगाल 3. उत्तर प्रदेश 4. महाराष्ट्र
भैसों की संख्या (राज्यवार) (सर्वाधिक से घटते क्रम में)
1.उत्तर प्रदेश > 2. आंध्र प्रदेश 3. राजस्थान 4. मध्य प्रदेश
- भारत के कुल कृषि उत्पादन में पशुपालन एवं मत्स्यपालन का योगदान 29.7% है ।
- वर्ष 2012-13 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP)में पशुपालन एवं मत्स्यपालन का योगदान 4.10% था ।
- कुल पशु-संख्या के अलावा दुधारू पशु-भैंस, बकरी, की संख्या में भी भारत का स्थान विश्व में प्रथम है ।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पशु संसाधन का महत्व
- सहायक रोजगार एवं वैकल्पिक अर्थव्यवस्था के रूप में- खासकर पर्वतीय, जनजातीय, अर्द्धशहरी एवं सूखा-प्रवण क्षेत्रों में ।
- प्रोटीन(दूध,अंडा,) उपलब्धता में सहायक-भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन प्रोटीन उपलब्धता 11.3 ग्राम है (विश्व में 29 ग्राम) दुग्ध उपलब्धता की दृष्टि से महत्त्व । भारत में वर्ष 2011-12 में प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन दुग्ध उपलब्धता 290 ग्राम थी (वर्ष 1950-51 में 124 ग्राम)।
- प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता की दृष्टि से भारतीय राज्यों में प्रथम स्थान पंजाब एवं दूसरा स्थान हरियाणा का है [वर्ष 2011-12] ।
- गोबर की दृष्टि से गोबर का उपयोग जैविक खाद, ईंधन एवं गोबर गैस के रूप में होता है ।
- पशुओं के सींग, खुर, हड्डियों से खाद बनाया जाता है ।
- पशु संसाधन का महत्व मांस, चमड़ा एवं ऊन उद्योग में विशेष रूप से है ।
- भारत विश्व में सबसे बड़ा चमड़ा उत्पादक देश है ।
- अण्डा के उत्पादन में भारत का विश्व में 5वाँ स्थान है ।
- भारत में, मुम्बई मांस के उत्पादन एवं निर्यात का सबसे बड़ा केन्द्र है । मुम्बई का ‘बूचर द्वीप ’ मांस उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है ।
दूध उत्पादन का क्रम (राज्यवार)
- उत्तर प्रदेश > 2. आंध्र प्रदेश > 3. राजस्थान > 4. पंजाब > 5. गुजरात
मांस उत्पादन का क्रम (राज्यवार)
- आंध्र प्रदेश > 2. महाराष्ट्र > 3. उत्तर प्रदेश > 4. तमिलनाडु
अण्डा उत्पादन का क्रम (राज्यवार)
1. आंध्र प्रदेश > 2. तमिलनाडु > 3. महाराष्ट्र > 4. हरियाणा > 5. पंजाब
ऊन उत्पादन का क्रम (राज्यवार)
1. राजस्थान > 2. जम्मू-कश्मीर > 3. कर्नाटक > 4. आंध्र प्रदेश
- भारत में भैंसे की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश (भारत का 25%) में है ।
- देश में सात केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्म हैं-
1. सूरतगढ़-राजस्थान 2. चिपलीमा-उड़ीसा
3. सुनबेड़ा-उड़ीसा 4 . धमरोड-गुजरात
5 . हैसरघट्टा-कर्नाटक 6 . अलमाडी-तमिलनाडु
7 . अंदेश नगर-उत्तर प्रदेश
- केन्द्रीय भेड़ प्रजनन फार्म-हिसार (हरियाणा)
- पशु रोग अनुसंधान एवं रोग निदान केन्द्र-इज्जत नगर (बरेली, उत्तर प्रदेश)
श्वेत क्रांति (दुग्ध क्रांति)
- दुग्ध उत्पादन में आशातीत वृद्धि की संकल्पना ही श्वेत क्रांति है । इसके तहत परम्परागत दुग्ध व्यवसाय को वाणिज्यिक दुग्धव्यवसाय में परिवर्तित कर दिया गया । भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत गुजरात के पुराने खेड़ा जिले (वर्तमान आनंद जिला) के आनंद नामक नगर से हुई । खेड़ा के दुग्ध उत्पादक किसानों ने निजी फर्म के शोषण मूलक नीतियों के विरोध में 1946 में एक सहकारी संघ बनाया । यह सं घ जिले के सारे गाँवों से दूध एकत्र कर आनंद में स्थापित अपने प्रसंस्करण संयंत्र 'अमूल' [ AMUL-Anand Milk Federation Union Limited ] को पहुँचाता था ।
- ‘अमूल' की सफलता से उत्साहित होकर सरकार ने 1965 में डॉ. वर्गीज कुरियन की अध्यक्षता में 'राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेन्ट बोर्ड'(NDDB)का गठन किया । बोर्ड के द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में तेजी लाने का प्रयास शुरू हुआ । इसे ‘ऑपरेशन फ्लड' नाम दिया गया ।
- इसे देश में तीन चरणों में लागू किया गया -
- प्रथम चरण- इसकी शुरुआत 1970 में हुई जो 1980 तक चला । इसके तहत 10 राज्यों में सहकारी डेयरी की स्थापना करने तथा 4 महानगरों (दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई)के ताजा दुग्ध बाजार पर वर्चस्व स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया ।
- दूसरा चरण-इसकी शुरुआत 1981 में हुई जो 1985 तक चला । इसमें 18 राज्यों को शामिल किया गया तथा 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को बाजार के रूप में चुना गया ।
- तीसरा चरण-इसकी शुरुआत 1985 से हुई जो 1996 तक चला । इसके अन्तर्गत भारत के सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों को शामिल कर लिया गया । एक करोड़ लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन का लक्ष्य रखा गया । इसी चरण में भारत ने दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान को प्राप्त किया । वर्तमान में भारत विश्व स्तर पर दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है ।
श्वेत क्रांति का प्रसार पश्चिमी राज्यों में अधिक हुआ, कारण-
गुजरात - चारा का परम्परागत क्षेत्र, तिलहन के अवशिष्ट का चारा के रूप में
प्रयोग दुग्ध की शहरी मांग ।
महाराष्ट्र - मुंबई में दुग्ध की वृहद मांग ।
पंजाब एवं हरियाणा - चारा हेतु मुलायम घास की उपलब्धता , दुग्ध की मांग , संरचनात्मक
सुविधा की उपलब्धता ।
राजस्थान (गंगानगर एवं हनुमानगढ़ जिला) - चारा की उपलब्धता , परम्परागत पशुपालन क्षेत्र ।
मध्य प्रदेश - चारे की कृषि अधिक क्षेत्रों में होती है ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश - चारा का उत्पादन, दिल्ली का बड़े बाजार के रूप में निकट में उपलब्ध होना ।
पूर्वी भारत में दुग्ध व्यवसाय के पिछड़ेपन का कारण-
- अधिक वर्षा एवं अधिक तापमान दुग्ध उत्पादक पशुओं तथा मुलायम घास के लिए प्रतिकूल होता है ।
- जनसंख्या दबाब का अधिक होना, सालों भर खाद्यान्न की खेती होना । इससे चारे की कृषि के लिए भूमि का अभाव ।
- दुग्ध की शहरी मांग का कम होना ।
नीली क्रांति
- नीली क्रांति का संबंध मत्स्य उत्पादन की तीव्र वृद्धि से है । भारत में इसकी शुरुआत सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90) के दौरान हुई ।
मत्स्य उत्पादन
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खारा जल / समुद्री मत्स्य उत्पादन प्रमुख मछलियाँ-मैकरेल, सारडाइन, हेरिंग, पर्च , कैटफिश आदि ।
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मीठा जल मत्स्य उत्पादन (नदी , तालाब , झील)प्रमुख मछलियाँ-रोहू, कतला, टेंगरा, हिलसा, झींगा, आदि ।
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- नीली क्रांति के अन्तर्गत तीन कार्यों पर बल दिया गया -
- मशीनी एवं तकनीकी विकास ।
- मत्स्य कृषि को बढ़ावा दिया जाना ।
- सहकारिता एवं विपणन की सुविधा ।
- 8वीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)के दौरान गहन सागरीय मछली कार्यक्रम शुरू किया गया । इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनी की सहभागिता को बढ़ावा दिया गया ।
- नीली क्रांति के दौरान कई मत्स्य बंदरगाहों की स्थापना की गयी, यथा तूतीकोरिन, पोरबन्दर, होनावर विशाखापत्तनम, धमारा, कोच्चि, कांडला, पोर्ट ब्लेयर, आदि ।
- उत्पादन बढ़ाने तथा नस्ल सुधार हेतु निम्न स्थानों पर अनुसंधान केन्द्र विकसित किए गए ।
- ताजे जल की मछली हेतु-बैरकपुर (कोलकाता)।
- समुद्री जल की मछली हेतु-मंडापम (तमिलनाडु)एवं मुबई ।
- केन्द्रीय मछली अनुसंधान केन्द्र-मुंबई । केन्द्रीय मत्स्य पालन और समुद्री इंजीनियरिंग, प्रशिक्षण संस्थान कोच्चि ।
नीली क्रांति की सफलता
- नीली क्रांति योजना के दौरान (1985-94)मत्स्य उत्पादन में 6% की वृद्धि हुई, जबकि 1951 से 1984 के बीच केवल 2.5% की वृद्धि दर्ज की गयी ।
- 2010-11 में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश था ।
- मीठा जल (स्वच्छ जल) मछली उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है । (प्रथम स्थान चीन का है)।
- 1985 के मुकाबले वर्तमान में मत्स्य निर्यात में 20% की वृद्धि हुई ।
- एशिया का सबसे बड़ा शृम्प मछली कृषि क्षेत्र आन्ध्र प्रदेश के नेल्लोर जिला का समुद्री क्षेत्र है ।
- तमिलनाडु के तंजौर जिला के समुद्री क्षेत्र में कैटफिश की कृषि प्रारम्भ की गयी है ।
कुल मछली उत्पादन की दृष्टि से क्रम (राज्यवार )
[ वर्ष 2010-11 के अनुसार ]
I . पश्चिम बंगाल (सर्वाधिक)
II . आन्ध्र प्रदेश
III . गुजरात
IV . केरल
V . तमिलनाडु
समुद्री मछली उत्पादन की दृष्टि से क्रम (घटते क्रम में) [ वर्ष 2010-11 के अनुसार ]
I .गुजरात (सर्वाधिक)
II . केरल
III . महाराष्ट्र
IV . तमिलनाडु
V . कर्नाटक
स्वच्छ जल मछली उत्पादन की दृष्टि से क्रम (घटते क्रम में)[ वर्ष 2010-11 के अनुसार ]
I. पश्चिम बंगाल (सर्वाधिक)
II . आन्ध्र प्रदेश
III . उत्तर प्रदेश
IV . बिहार
V . उड़ीसा
1950 -51 में कुल मछली उत्पादन का 29%स्वच्छ जल से प्राप्त होता था तथा 71%समुद्री क्षेत्र से , इसके विपरीत 2010-11 में स्वच्छ जल से 61% मछली का उत्पादन हुआ तथा समुद्री जल से 39% का ।
प्रमुख कृषि क्रांतियाँ
क्रांति का नाम क्रांति का उद्देश्य
हरित क्रांति - कृषि विकास को बढ़ावा देना ।
श्वेत क्रांति - दुग्ध उत्पादन एवं डेयरी विकास को बढ़ावा देना ।
नीली क्रांति - मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देना ।
पीली क्रांति - तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना ।
गुलाबी क्रांति - झींगा उत्पादन को बढ़ावा देना ।
भूरी क्रांति - ऊन , चमड़ा अथवा उर्वरक उत्पादन में वृद्धि हेतु ।
बादामी क्रांति - मसालों के उत्पादन एवं निर्यात में वृद्धि हेतु ।
लाल क्रांति - टमाटर अथवा मांस उपादन में वृद्धि ।
काली क्रांति - बायोडीजल उत्पादन में वृद्धि ।
स्वर्णिम (Golden)क्रांति - - हॉर्टीकल्चर को बढ़ावा देना ।
रजत (Silver)क्रांति - अंडा उत्पादन को बढ़ावा देना ।
इन्द्रधनुष क्रांति - उपर्युक्त सभी क्रांतियों पर बल ।
अमृत क्रांति - नदी-जोड़ परियोजनाओं को बढ़ावा देना